पूर्णिया: 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों' ये लाइनें चरितार्थ कर दी हैं पूर्णियां के रहने वाले तेजस्वी ने. महज 50 हजार रुपये से अपना स्टार्टअप शुरू करने वाले तेजस्वी आज तकरीबन 35 लाख रुपये सालाना का कारोबार करने वाले राज्य के करोड़पति युवा बन गए हैं. चलिए जानते हैं, कौन हैं ये तेजस्वी और कैसे मेहनत के साथ-साथ ख्वाबों को पूरा करने के लिए इन्होंने दिन रात एक कर ये मुकाम हासिल किया.
एक ओर जहां युवा डिग्रियां पूरी होते ही जॉब पाने की आपाधापी में लग जाते हैं. तो वहीं गिनती भर ही सही मगर ऐसे युवा भी हैं, जो बेहतर सैलरी वाले सरकारी या प्राइवेट संस्थानों में बतौर एम्प्लॉई बने रहने के बजाए खुद का स्टार्टअप खोल रहे हैं. संघर्ष और संकल्पना को सफलता का मूर्त रूप देने वाले इन्हीं युवाओं में शामिल है बिहार के पूर्णिया से ताल्लुक रखने वाले मैकेनिकल इंजीनियर तेजस्वी कुमार ज्योति. तेजस्वी महज 27 साल के हैं और इन्होंने 2014 में एक छोटे से प्लांट से शुरूआत कर आज 4 प्लांट बना करोड़पति बनने तक का सफर पूरा किया है.
पर्यावरण प्रेमी तेजस्वी का प्लांट
जिले के माधोपारा इलाके में रहने वाले तेजस्वी कुमार ज्योति के 4 प्लांटों में 15 स्टाफ हैं. बतौर मैकेनिकल इंजिनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर तेजस्वी सबसे पहले भूषण स्टील जैसी नाम कंपनी में मोटी तनख्वाह पर काम करने दिल्ली गए. लेकिन बचपन से कुछ नया करने की चाहत ने उनके कदमों को अपने घर वापसी कर दिया. इसके बाद पर्यावरण प्रेमी तेजस्वी ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कागज के प्लेट (दोना), ग्लास आदि की मशीनें बनाना शुरू किया और खुद प्रोडक्शन करने लगें.
संघर्ष का दौर...
शुरुआती दौर में आने-वाली रुकावटें और दिक्कतों के आगे घुटने टेकने के बजाए तेजस्वी ने अपने इस प्रोडक्शन को आगे बढ़ाने का काम किया. इसके बाद उन्होंने चार और प्लांट लगा दिए. धीरे-धीरे सफलता के पायदान चढ़ते हुए तेजस्वी ने अपनी मार्केट तैयार की. आज वो खुद के स्टार्टअप से करोड़पति बन गए हैं. तेजस्वी कुमार ज्योति बताते हैं कि उनका कारोबार महज जिले और बिहार तक ही सीमित नहीं है. उनके कस्टमर यूपी, कोलकाता, झारखंड और एमपी में भी हैं.
घर वालों ने किया सपोर्ट
तेजस्वी की मेहनत और लगन को घर वालों ने भी सराहा है. तेजस्वी कहते हैं कि जब उनके मन स्टार्टअप का ख्याल आया, तो उन्होंने ये बात घर वालों के सामने रखी. इसके बाद घर वालों ने हामी भर दी. मां-पिताजी ने सपोर्ट किया. इसके बाद उन्हें सफलता हाथ लगी. भाईयों में सबसे छोटे ही सही मगर अटल विचारों वाले तेजस्वी की ये कहानी ये साबित करती है कि कैसे आप घर पर ही रहकर अपने ख्वाबों को पंख लगा सकते हैं. तेजस्वी की मेहनत और पॉजिटिविटी ने आज उन्हें करोड़पति बना दिया.