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Patna Atal Path : यहां फुटपाथ पर रोज लगता है शिक्षा का मेला, गरीब छात्रों का सपना साकार करने में जुटे हैं युवा

बिहार के पटना का अटल पथ, जहां फुटपाथ किनारे गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है.पटना के युवाओं की टीम इन बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. एक बच्ची से शुरू हुई इस मुहिम से अब 100 से ज्यादा स्टूडेंट जुड़े हैं, जो गरीब परिवार से आते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

पटना में फुटपाथ गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं युवा
पटना में फुटपाथ गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं युवा
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 13, 2023, 6:09 AM IST

पटना में फुटपाथ गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं युवा

पटनाः बिहार का हर बच्चा-बच्चा शिक्षित होगा, क्योंकि पटना के युवाओं ने इसका बीड़ा उठा लिया है. पटना अटल पथ किनारे फुटपाथ पर पढ़ाई (Studying on footpath in Patna) करने वाले सभी बच्चे एक दिन डॉक्टर, इंजीनियर और शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं. मंगलवार को ईटीवी भारत ने पटना में फूटपाथ पर पढ़ाई करने वाले बच्चों से बातचीत की. युवा से लेकर रिटायर्ड अधिकारी तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Teachers Day 2023: धनरूआ के दिव्यांग शिक्षक कई सालों से बच्चों को दे रहे निशुल्क शिक्षा, सरकारी नौकरी कर रहे कई छात्र

पटना का अटल पथ बना पाठशालाः अटल पथ का फूटपाथ पर हर रोज शिक्षा का मेला लगता है. खुले आसमान के नीचे सोमवार से शुक्रवार शाम 5 से 7 बजे तक बच्चों को पढ़ाया जाता है. पढ़ाई करने वाले बच्चे काफी उत्साहित नजर आए. बच्चों के बीच निशुल्क शिक्षा दान कर रहे युवक अमन सिंह ने इसकी शुरुआत 2019 से एक छात्र से की थी. आज के समय में 100 से अधिक छात्र-छात्राएं फूटपाथ पर पढ़ाई कर रहे हैं.

बैलून बेचने वाली लड़की से शुरुआतः उन्होंने बताया कि वे एक बैलून बेचने वाली बच्ची को पढ़ाया था. जिसके बाद उस बच्ची ने अन्य बच्चे को जुटाने का काम किया. देखते ही देखते भीड़ जुट गई. आज वह बैलून बेचने वाली लड़की चौथी क्लास से आठवीं क्लास में चली गई है. बच्चों को पढ़ाने वाले अमन खुद इवेंट प्लानर का काम करते हैं. अपने काम से समय निकाल कर बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं.

"2019 में इसकी शुरुआत हुई. बैलून बेचने वाली लड़की मिली थी, जिसके बैग में कुछ फटी पुरानी किताब थी. लड़की ने कहने पर उसे पढाया था. उसके बाद उसने कहा कि वह फिर आएगी. इसकी बाद धीरे-धीरे कारवां बढ़ते गया. आज वह बच्ची चौथी कक्षा से आठवीं में चली गई है. अभी 120 से अधिक बच्चों का रजिस्टर में नामांकन है, जिसमें प्रतिदिन 40 से 50 की संख्या में बच्चे आते हैं." - अमन सिंह, इवेंट प्लानर

बच्चों का सपना पूरा कर रहें युवाः खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे मोहम्मद चांद से बातचीत की गई तो उसने बताया कि वह आठवीं कक्षा में पढ़ता है. यहां पढ़ाई करना काफी अच्छा लगता है. वह बड़ा होकर आर्कियोलॉजिस्ट बनना चाहता है. चौथी कक्षा का छात्र उत्तम कुमार को अंग्रेजी विषय ज्यादा पसंद हैं. वह बड़ा होकर फौजी बनना चाहता है. छात्र सपना कुमारी गणित पढ़ती है और वह डॉक्टर बनना चाहती है. ये उन बच्चों के सपने हैं, जिसे पूरे करने में युवा जुटे हुए हैं.

कई युवा बढ़ा रहे हाथः बता दें कि अमन सिंह के अलावे कई ऐसे युवा हैं जो बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. पटना में ही बीकॉम के छात्र विद्युत ने बताया कि वह सेकंड ईयर के छात्र हैं. रोजाना शाम में आकर बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि यह एक तरीके से जीवन का हिस्सा बन गया है. बच्चे भी पूरी लगन से पढ़ाई करते हैं.

"बच्चे काफी होनहार हैं और इनमें सीखने की काफी ललक है. यह देखकर बहुत अच्छा लगता है. बच्चे शांतिपूर्ण तरीके से पढ़ाई कर रहे हैं. यह एक जीवन का हिस्सा हो गया है. रोज आकर बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं." -विद्युत, बीकॉम का छात्र

रिटायर्ड अधिकारी में जुटेः बीएसएनएल के रिटायर्ड अधिकारी डॉ अशोक कुमार भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे बीएसएनल में डिप्टी जनरल मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं. रिटायरमेंट के बाद से समय कैसे कटेगा, यही सोचते थे, फिर उन्होंने देखा कि कुछ युवा बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने में लगे हुए हैं, जिसके बाद उन्होंने सोचा कि अब जीवन में सब कुछ हो गया. अब से इन बच्चों के बीच समय देना है.

"बच्चे काफी होनहार हैं, जो आगे भविष्य में निश्चित ही बेहतर मुकाम हासिल करेंगे. कई बच्चे मध्यम स्तर के हैं, लेकिन एक बात अच्छी है कि सभी में पढ़ने की ललक है. जीवन में जो कुछ भी पढ़ा है, उसे इन बच्चों के बीच में साझा कर एक अलग आनंद की अनुभूति होती है. लगता है कि जीवन सार्थक हो रहा है." -डॉ अशोक कुमार, रिटायर्ड अधिकारी, BSNL

पटना में फुटपाथ गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं युवा

पटनाः बिहार का हर बच्चा-बच्चा शिक्षित होगा, क्योंकि पटना के युवाओं ने इसका बीड़ा उठा लिया है. पटना अटल पथ किनारे फुटपाथ पर पढ़ाई (Studying on footpath in Patna) करने वाले सभी बच्चे एक दिन डॉक्टर, इंजीनियर और शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं. मंगलवार को ईटीवी भारत ने पटना में फूटपाथ पर पढ़ाई करने वाले बच्चों से बातचीत की. युवा से लेकर रिटायर्ड अधिकारी तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं.

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पटना का अटल पथ बना पाठशालाः अटल पथ का फूटपाथ पर हर रोज शिक्षा का मेला लगता है. खुले आसमान के नीचे सोमवार से शुक्रवार शाम 5 से 7 बजे तक बच्चों को पढ़ाया जाता है. पढ़ाई करने वाले बच्चे काफी उत्साहित नजर आए. बच्चों के बीच निशुल्क शिक्षा दान कर रहे युवक अमन सिंह ने इसकी शुरुआत 2019 से एक छात्र से की थी. आज के समय में 100 से अधिक छात्र-छात्राएं फूटपाथ पर पढ़ाई कर रहे हैं.

बैलून बेचने वाली लड़की से शुरुआतः उन्होंने बताया कि वे एक बैलून बेचने वाली बच्ची को पढ़ाया था. जिसके बाद उस बच्ची ने अन्य बच्चे को जुटाने का काम किया. देखते ही देखते भीड़ जुट गई. आज वह बैलून बेचने वाली लड़की चौथी क्लास से आठवीं क्लास में चली गई है. बच्चों को पढ़ाने वाले अमन खुद इवेंट प्लानर का काम करते हैं. अपने काम से समय निकाल कर बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं.

"2019 में इसकी शुरुआत हुई. बैलून बेचने वाली लड़की मिली थी, जिसके बैग में कुछ फटी पुरानी किताब थी. लड़की ने कहने पर उसे पढाया था. उसके बाद उसने कहा कि वह फिर आएगी. इसकी बाद धीरे-धीरे कारवां बढ़ते गया. आज वह बच्ची चौथी कक्षा से आठवीं में चली गई है. अभी 120 से अधिक बच्चों का रजिस्टर में नामांकन है, जिसमें प्रतिदिन 40 से 50 की संख्या में बच्चे आते हैं." - अमन सिंह, इवेंट प्लानर

बच्चों का सपना पूरा कर रहें युवाः खुले आसमान के नीचे पढ़ाई कर रहे मोहम्मद चांद से बातचीत की गई तो उसने बताया कि वह आठवीं कक्षा में पढ़ता है. यहां पढ़ाई करना काफी अच्छा लगता है. वह बड़ा होकर आर्कियोलॉजिस्ट बनना चाहता है. चौथी कक्षा का छात्र उत्तम कुमार को अंग्रेजी विषय ज्यादा पसंद हैं. वह बड़ा होकर फौजी बनना चाहता है. छात्र सपना कुमारी गणित पढ़ती है और वह डॉक्टर बनना चाहती है. ये उन बच्चों के सपने हैं, जिसे पूरे करने में युवा जुटे हुए हैं.

कई युवा बढ़ा रहे हाथः बता दें कि अमन सिंह के अलावे कई ऐसे युवा हैं जो बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. पटना में ही बीकॉम के छात्र विद्युत ने बताया कि वह सेकंड ईयर के छात्र हैं. रोजाना शाम में आकर बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि यह एक तरीके से जीवन का हिस्सा बन गया है. बच्चे भी पूरी लगन से पढ़ाई करते हैं.

"बच्चे काफी होनहार हैं और इनमें सीखने की काफी ललक है. यह देखकर बहुत अच्छा लगता है. बच्चे शांतिपूर्ण तरीके से पढ़ाई कर रहे हैं. यह एक जीवन का हिस्सा हो गया है. रोज आकर बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं." -विद्युत, बीकॉम का छात्र

रिटायर्ड अधिकारी में जुटेः बीएसएनएल के रिटायर्ड अधिकारी डॉ अशोक कुमार भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे बीएसएनल में डिप्टी जनरल मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं. रिटायरमेंट के बाद से समय कैसे कटेगा, यही सोचते थे, फिर उन्होंने देखा कि कुछ युवा बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने में लगे हुए हैं, जिसके बाद उन्होंने सोचा कि अब जीवन में सब कुछ हो गया. अब से इन बच्चों के बीच समय देना है.

"बच्चे काफी होनहार हैं, जो आगे भविष्य में निश्चित ही बेहतर मुकाम हासिल करेंगे. कई बच्चे मध्यम स्तर के हैं, लेकिन एक बात अच्छी है कि सभी में पढ़ने की ललक है. जीवन में जो कुछ भी पढ़ा है, उसे इन बच्चों के बीच में साझा कर एक अलग आनंद की अनुभूति होती है. लगता है कि जीवन सार्थक हो रहा है." -डॉ अशोक कुमार, रिटायर्ड अधिकारी, BSNL

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