पटनाः दुनिया जब 2020 का जश्न मना रही थी तो किसी को ये अंदाजा भी नहीं था कि ये साल उनकी खुशियों पर ग्रहण लगाने आ रहा है. साल 2020 ज्यादातर लोगों के जेहन में कोरोना काल के रूप में दर्ज रहेगा. ये वो दौर था जब लोग इस महामारी से बचने के लिए घरों में सिमट कर रह गए. इस संक्रमण से पूरी दुनिया की रफ्तार थम सी गई. चीन से शुरू हुए संक्रमण ने दुनिया को अपने चपेट में ले लिया. इससे बचने के लिए कोई दवाई कारगर नहीं थी. और न ही कोई वैक्सीन इसलिए सरकार ने अचानक ही लॉकडाउन लगा दिया. यहीं से एक दूसरी चुनौती सरकार के सामने खड़ी हो गई. दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी तलाशने पहुंचे मजदूर सड़कों पर आ गया. उसे बस किसी तरह घर पहुंचने की फिक्र थी. वो पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़ा. लॉकडाउन में बिहार के करीब 22 लाख प्रवासी अपने घर वापस लौटे.
1,554 ट्रेनों से लौटे थे लोग
पलायन के मुद्दे पर खूब राजनीति हुई. विपक्ष इस दौरान सरकार पर आक्रामक रहा. तो प्रवासियों की सुविधा को लेकर सरकार भी चिंतित दिखाई दी. लेकिन सीएम नीतीश कुमार दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासियों को प्रदेश लाने के लिए तैयार नहीं थे. उनका मानना था कि दूसरे राज्यों से लोग आने लगेंगे तो लॉकडाउन का उद्देश अधूरा रह जाएगा. लेकिन विपक्ष ने इसे मुद्द बनाकर खूब भुनाया. अंत में राज्य सरकार को केंद्र से स्पेशल ट्रेनें चलाने की अनुशंसा करनी पड़ी थी. 1,554 ट्रेनों से कुल 21 लाख 76 हजार 261 बिहार लौटे थे.
1200 किली साइकिल चलाकर आई थी लड़की
लॉकडाउन के लगातार बढ़ते मियाद ने घरों से दूर रह रहे लोगों के सब्र का बांध तोड़ दिया और वे लोग पैदल ही अपने घरों का रुख कर लिया. दूसरे राज्यों की तरह बिहार में भी भारी संख्या में लोग पैदल और साइकिल से लौटे थे. जिससे जो साधन बन पड़ा उसी के सहारे घर लौटना शुरू हो गया. बिहार की ज्योति कुमारी हरियाणा के गुरुग्राम से अपने पिता मोहन पासवान को साइकल पर बैठा कर दरभंगा पहुंची थी. 15 वर्षीय ज्योति घर पहुंचने के लिए एक हफ्ते में 1200 किमी साइकिल चलाई थी. ज्योति के इस जुनून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ने भी ट्विटर के जरिए सराहा था.
क्वारंटाइन सेंटर में 18,87,467 लोग रहे
ट्रेन से लौटने वालों के लिए सरकार ने एक हजार रुपये किराया और खाने पीने का इंतजाम किया. इसके अलावा सभी जिलों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए थे. ट्रेन से लौटे 18,87,467 लोगों को 14 दिनों तक सेंटर में रखने के इंतजाम किए गए. यहां प्रवासियों के खाने-पीने से लेकर उनकी नियमित स्वास्थ्य जांच की भी व्यवस्था की गई थी. इस बीच क्वारंटाइन सेंटर्स पर पर्याप्त अव्यवस्था की खबरें आतीं रहीं. वायरल वीडियो से नीतीश सरकार के इंतजामों को विपक्ष ने मुद्दा बनाया. इस दौरान बिहार सरकार की खूब किरकिरी भी हुई.
बिहार पुलिस के बयान पर हुआ था बवाल
बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से एक बयान जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि भारी संख्या में लौट रहे प्रवासी मजदूरों की वजह से प्रदेश में चोरी की घटना में इजाफा हो सकती है. इस बयान पर बिहार पुलिस को जमकर घेरा गया था, फिर प्रशासन और सरकार को इसपर सफाई तक देनी पड़ी थी. वहीं, राजस्थान के कोटा में पढ़ रहे छात्रों को लाने से सरकार के मना करने के बाद वहां के स्टूडेंट्स समस्या बताते हुए वीडियो बनाकर जारी करने लगे थे, उन वीडियो के वायरल के बाद सरकार पर काफी दबाव बना था.
विपक्ष का सरकार पर हमला
लॉकडाउन में प्रवासियों के बिहार लौटने का मामला चुनाव में भी छाया रहा. विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ा. वह इस मसले पर अभी भी सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस का मानना है सत्तारूढ़ एनडीए को चुनाव में प्रवासियों के मुद्द कि नुकसान भी हुआ है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि कई लाख लोग जो दूसरे राज्यों में काम कर रहे थे, बिहार की सरकार ने उन्हें आने से रोका. कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद वे घर तो लौट आए. लेकिन सरकार किसी को भी रोजगार उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है. उन्होंने कहा कि बाहर से आए लोगों में काफी आक्रोश था. क्योंकि सरकार की ओर से उनके खाने-पीने और रहने की समूचित व्यवस्था नहीं की गई थी.
सरकार कर ही प्रवासियों को रोजगार देने का वादा
वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जो प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से लौटकर बिहार आए हैं. उन्हें उनके कौशल के आधार पर रोजगार दिया गया है. पार्टी के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जो लोग रोजगार के लिए फिर से बाहर जाना चाहते हैं, वे जा रहे हैं. लेकिन जो उम्मीद लेकर आए हैं और यहां रहना चाहते हैं, उनके रोजगार को लेकर सरकार गंभीर है.
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से गरीबों के खाते में एक-एक हजार रुपए डाले गए. इसके अलावा मुफ्त में अनाज भी बांटे गए. जो प्रवासी जहां फंसे थे, उनके लिए वही कैंप लगाकर उनतक मदद पहुंचाई गई.
'पुनर्वास और रोजगार का रोड मैप तैयार'
राजीव रंजन ने कहा कि प्रवासियों के क्वारंटीन को लेकर या उनके पुनर्वास और रोजगार के लिए रोड मैप बनाकर जो काम बिहार में हो रहा है, वह कई दूसरे राज्यों से बहुत बेहतर है. चुनाव में नुकसान के सवाल पर उन्होंने कहा कि जहां भी हम हारे हैं, वह राजद की ही टीम लोजपा के उम्मीदवारों के कारण हारे हैं.
अलविदा 2020
साल 2020 तो अलविदा हो रहा है. नया साल 2021 उम्मीदों से भरा साल होगा. नए साल पर स्वदेशी कोरोना वैक्सीन आ जाएगी. ऐसे में नीतीश सरकार के सामने दो बड़ी चुनौती होगी. पहली ये कि, लॉकडाउन में घर लौटे लोगों को रोजगार मुहैया कराने की होगी. और दूसरी चुनौती, कोरोना के वैक्सिनेशन की. हालांकि की सरकार ने घोषणा की है कि सभी को मुफ्त में वैक्सीन दी जाएगी.
बता दें कि बिहार में अभी तक करीब 2.5 लाख लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. जिसमें से 2.4 लाख से ज्यादा लोग इलाज के बाद स्वस्थ भी हुए हैं. वहीं, करीब 1350 लोगों की मौत भी हुई है. प्रदेश में कोरोना का रिकवरी रेट 97.44 फीसदी है.