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रखरखाव के अभाव में कहीं धूमिल न हो जाए बिहार का यह ऐतिहासिक भवन

कोरोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद मुख्य सचिवालय भवन के मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. जिससे भवन की छत जगह जगह से टूटने लगी है.

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Published : Jul 23, 2020, 7:47 PM IST

पटनाः राजधानी स्थित मुख्य सचिवालय को नीतीश सरकार ने ऐतिहासिक भवन घोषित कर दिया है. इसके रखरखाव और मरम्मती की जिम्मेवारी भवन निर्माण विभाग के पास है. हर साल सचिवालय के भवन की मरम्मत और रखरखाव के नाम पर करोड़ों रुपए का बिल बनाया जा रहा है. लेकिन पिछले कई सालों से इसके जो हालात बन गए हैं. उससे यही लगता है कि अगले कुछ सालों तक यह भवन शायद ही खड़ा रह सके.

'अधिकारियों को नहीं है कोई चिंता'
ईटीवी भारत ने कुछ दिन पहले मुख्य सचिव दीपक कुमार के सचिवालय स्थित कार्यालय के बाहर प्लास्टर गिरने की खबर दिखाई थी. उस वक्त भी बरसात के पानी छत पर लगने के वजह से प्लास्टर गिरा था. लेकिन नीतीश सरकार के अफसर कान में तेल डालकर इस कदर सोए हुए हैं कि 103 वर्ष पुराने ऐतिहासिक भवन की उनको कोई चिंता नहीं है.

देखें रिपोर्ट

सरकारी उपक्रम और फाइलों को हो रहा नुकसान
आज भी बारिश होने की वजह से सचिवालय भवन के कैबिनेट विभाग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल और कैबिनेट हॉल में भी पानी रिसने की वजह से कई सरकारी उपक्रम और फाइलों को नुकसान हो रहा है. भवन के छत पर लगातार बरसात के दिनों में पानी लगने की वजह से छत कमजोर होने लगी है और इससे पानी रिसने लगा है.

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बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह की मूर्ति

मरम्मत को नाम पर हो रही खानापूर्ति
सचिवालय कर्मचारी ने बताया कि भवन निर्माण विभाग को सूचना दी जा रही है. लेकिन खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं हो रहा है. राज्य में लॉकडाउन लागू है और सचिवालय में कई कोरोना संक्रमित मिलने की वजह से यहां उपस्थिति न के बराबर है. पटना में लगातार कई दिनों से बारिश हो रही है जिसके कारण सचिवालय भवन की छत पर पानी लगते ही पानी फॉल्स सीलिंग तक पहुंच कर उसे गिरा दे रही है.

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रात में जगमगाता मुख्य सचिवालय

सचिवालय भवन की विस्तृत जानकारी
सचिवालय भवन का निर्माण 1913 में शुरू हुआ और 1917 में यह बनकर तैयार हो गया. यह कलकत्ता के मार्टीन बर्न नामक ठेकेदार ने बनाया था. इसका आर्किटेक्ट सिडनी के जोसेफ पी. मुंनिंग्स ने किया था. देश के कई गुने चुने भवन में एक पटना स्थित सचिवालय भवन भी है. भवन के बीचो-बीच बने टावर की ऊंचाई 184 फीट है. पहले इसकी ऊंचाई 198 फीट थी लेकिन 1934 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त होने के बाद इसकी ऊंचाई कम कर दी गई. वर्तमान में इस भवन में 22 विभागों का कार्यालय स्थित है.

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मुख्य सचिवालय भवन

स्कूली बच्चों को कराया जाता है भ्रमण
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कैबिनेट सभाकक्ष इस सचिवालय भवन में स्थित हैं. हाल के दिनों में भवन के साज सज्जा के लिए रंगीन रोशनी का इंतजाम किया गया. साथ ही बिहार से जुड़े विभूतियों का स्मारक चिन्ह और प्रतिमा भी लगाई गई है. बता दें कि कोरोना संक्रमण से पहले तक शनिवार और रविवार को स्कूली बच्चों को इस ऐतिहासिक भवन का भ्रमण कराया जा रहा था.

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मुख्य सचिवालय

क्यों नहीं हो रही मरम्मत ?
कर्मचारी बताते हैं कि भवन का फाल्स सीलिंग बदल दी जाती है लेकिन छत की कोई मरम्मत नहीं की जाती है. पहले भी मुख्य सचिव कार्यालय के गार्ड और स्टाफ के जानकारी देने के बावजूद सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर प्लास्टर की मरम्मत कर दी जाती है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार करोड़ों रुपये हर साल खर्च करने पर भी भवन निर्माण विभाग सचिवालय की मरम्मत क्यों नहीं करा पा रहा है?

पटनाः राजधानी स्थित मुख्य सचिवालय को नीतीश सरकार ने ऐतिहासिक भवन घोषित कर दिया है. इसके रखरखाव और मरम्मती की जिम्मेवारी भवन निर्माण विभाग के पास है. हर साल सचिवालय के भवन की मरम्मत और रखरखाव के नाम पर करोड़ों रुपए का बिल बनाया जा रहा है. लेकिन पिछले कई सालों से इसके जो हालात बन गए हैं. उससे यही लगता है कि अगले कुछ सालों तक यह भवन शायद ही खड़ा रह सके.

'अधिकारियों को नहीं है कोई चिंता'
ईटीवी भारत ने कुछ दिन पहले मुख्य सचिव दीपक कुमार के सचिवालय स्थित कार्यालय के बाहर प्लास्टर गिरने की खबर दिखाई थी. उस वक्त भी बरसात के पानी छत पर लगने के वजह से प्लास्टर गिरा था. लेकिन नीतीश सरकार के अफसर कान में तेल डालकर इस कदर सोए हुए हैं कि 103 वर्ष पुराने ऐतिहासिक भवन की उनको कोई चिंता नहीं है.

देखें रिपोर्ट

सरकारी उपक्रम और फाइलों को हो रहा नुकसान
आज भी बारिश होने की वजह से सचिवालय भवन के कैबिनेट विभाग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल और कैबिनेट हॉल में भी पानी रिसने की वजह से कई सरकारी उपक्रम और फाइलों को नुकसान हो रहा है. भवन के छत पर लगातार बरसात के दिनों में पानी लगने की वजह से छत कमजोर होने लगी है और इससे पानी रिसने लगा है.

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बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह की मूर्ति

मरम्मत को नाम पर हो रही खानापूर्ति
सचिवालय कर्मचारी ने बताया कि भवन निर्माण विभाग को सूचना दी जा रही है. लेकिन खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं हो रहा है. राज्य में लॉकडाउन लागू है और सचिवालय में कई कोरोना संक्रमित मिलने की वजह से यहां उपस्थिति न के बराबर है. पटना में लगातार कई दिनों से बारिश हो रही है जिसके कारण सचिवालय भवन की छत पर पानी लगते ही पानी फॉल्स सीलिंग तक पहुंच कर उसे गिरा दे रही है.

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रात में जगमगाता मुख्य सचिवालय

सचिवालय भवन की विस्तृत जानकारी
सचिवालय भवन का निर्माण 1913 में शुरू हुआ और 1917 में यह बनकर तैयार हो गया. यह कलकत्ता के मार्टीन बर्न नामक ठेकेदार ने बनाया था. इसका आर्किटेक्ट सिडनी के जोसेफ पी. मुंनिंग्स ने किया था. देश के कई गुने चुने भवन में एक पटना स्थित सचिवालय भवन भी है. भवन के बीचो-बीच बने टावर की ऊंचाई 184 फीट है. पहले इसकी ऊंचाई 198 फीट थी लेकिन 1934 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त होने के बाद इसकी ऊंचाई कम कर दी गई. वर्तमान में इस भवन में 22 विभागों का कार्यालय स्थित है.

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मुख्य सचिवालय भवन

स्कूली बच्चों को कराया जाता है भ्रमण
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कैबिनेट सभाकक्ष इस सचिवालय भवन में स्थित हैं. हाल के दिनों में भवन के साज सज्जा के लिए रंगीन रोशनी का इंतजाम किया गया. साथ ही बिहार से जुड़े विभूतियों का स्मारक चिन्ह और प्रतिमा भी लगाई गई है. बता दें कि कोरोना संक्रमण से पहले तक शनिवार और रविवार को स्कूली बच्चों को इस ऐतिहासिक भवन का भ्रमण कराया जा रहा था.

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मुख्य सचिवालय

क्यों नहीं हो रही मरम्मत ?
कर्मचारी बताते हैं कि भवन का फाल्स सीलिंग बदल दी जाती है लेकिन छत की कोई मरम्मत नहीं की जाती है. पहले भी मुख्य सचिव कार्यालय के गार्ड और स्टाफ के जानकारी देने के बावजूद सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर प्लास्टर की मरम्मत कर दी जाती है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार करोड़ों रुपये हर साल खर्च करने पर भी भवन निर्माण विभाग सचिवालय की मरम्मत क्यों नहीं करा पा रहा है?

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