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Navratri 2021: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानिए माता रानी के मंत्र, आरती और पूजन विधि

आज नवरात्रि के सातवें दिन मां काली की पूजा की जाती है. मां काली काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था. इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारी' भी कहते हैं.

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Published : Oct 12, 2021, 7:30 AM IST

Updated : Oct 12, 2021, 7:59 AM IST

पटना: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि में मां दुर्गा (Navratri Maa Durga Puja) के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं. दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है.

इसे भी पढ़ें: Navratri 2021: पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए पूजन और कलश स्थापना के लाभ

नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है. इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगती है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है. अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है.

ये भी पढ़ें: Navratri 2021: पहले दिन मां तारा चंडी शक्तिपीठ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, जानें क्या है महिमा

मां कालरात्रि की आराधना करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय जीवन में कभी नहीं सताता है. मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का होता है. रंग के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं होती हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. कहा जाता है कि जो भक्त मां की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.

मां कालरात्रि मंत्र-

नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी.

देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है और इनके बाल बिखरे हुए हैं. इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है. इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है. इनके तीन नेत्र है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है.

कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था. इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए. शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा. शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया.

दुर्गा जी ने जैसे ही रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाना चाहिए. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके मां का स्मरण करना चाहिए. इतना ही नहीं, मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. इसके बाद मां को उनका प्रिय पुष्प रातरानी अर्पित करना चाहिए.

इसके बाद मां की पूजा कथा कर मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसके बाद मां की आरती करें. मान्यता है कि मां कालरात्रि को गुड़ जरूर अर्पित करना चाहिए. साथ ही इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. इसलिए ब्राह्माणों को दान अवश्य करें. बता दें मां का प्रिय रंग लाल है.

मां काली आरती-

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

तेरे भक्त जनो पर,

भीर पडी है भारी माँ ।

दानव दल पर टूट पडो,

माँ करके सिंह सवारी ।

सौ-सौ सिंहो से बलशाली,

अष्ट भुजाओ वाली,

दुष्टो को पलमे संहारती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

माँ बेटे का है इस जग मे,

बडा ही निर्मल नाता ।

पूत - कपूत सुने है पर न,

माता सुनी कुमाता ॥

सब पे करूणा दरसाने वाली,

अमृत बरसाने वाली,

दुखियो के दुखडे निवारती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

नही मांगते धन और दौलत,

न चांदी न सोना माँ ।

हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,

इक छोटा सा कोना ॥

सबकी बिगडी बनाने वाली,

लाज बचाने वाली,

सतियो के सत को सवांरती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

7 अक्टूबर 2021गुरुवारप्रतिपदा घटस्थापनामां शैलपुत्री पूजा
8 अक्टूबर 2021शुक्रवारद्वितीयामां ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर 2021शनिवारतृतीय, चतुर्थीमां चंद्रघंटा पूजा, मां कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर 2021रविवारपंचमीमां स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर 2021सोमवारषष्ठीमां कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर 2021मंगलवारसप्तमीमां कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर 2021बुधवारअष्टमीमां महागौरी दुर्गा पूजा
14 अक्टूबर 2021गुरुवारमहानवमीमां सिद्धिदात्री पूजा
15 अक्टूबर 2021शुक्रवारविजयादशमीविजयदशमी, दशहरा

पटना: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि में मां दुर्गा (Navratri Maa Durga Puja) के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं. दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है.

इसे भी पढ़ें: Navratri 2021: पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए पूजन और कलश स्थापना के लाभ

नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है. इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगती है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है. अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है.

ये भी पढ़ें: Navratri 2021: पहले दिन मां तारा चंडी शक्तिपीठ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, जानें क्या है महिमा

मां कालरात्रि की आराधना करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय जीवन में कभी नहीं सताता है. मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का होता है. रंग के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं होती हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. कहा जाता है कि जो भक्त मां की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.

मां कालरात्रि मंत्र-

नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी.

देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है और इनके बाल बिखरे हुए हैं. इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है. इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है. इनके तीन नेत्र है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है.

कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था. इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए. शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा. शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया.

दुर्गा जी ने जैसे ही रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाना चाहिए. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके मां का स्मरण करना चाहिए. इतना ही नहीं, मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. इसके बाद मां को उनका प्रिय पुष्प रातरानी अर्पित करना चाहिए.

इसके बाद मां की पूजा कथा कर मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसके बाद मां की आरती करें. मान्यता है कि मां कालरात्रि को गुड़ जरूर अर्पित करना चाहिए. साथ ही इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. इसलिए ब्राह्माणों को दान अवश्य करें. बता दें मां का प्रिय रंग लाल है.

मां काली आरती-

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

तेरे भक्त जनो पर,

भीर पडी है भारी माँ ।

दानव दल पर टूट पडो,

माँ करके सिंह सवारी ।

सौ-सौ सिंहो से बलशाली,

अष्ट भुजाओ वाली,

दुष्टो को पलमे संहारती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

माँ बेटे का है इस जग मे,

बडा ही निर्मल नाता ।

पूत - कपूत सुने है पर न,

माता सुनी कुमाता ॥

सब पे करूणा दरसाने वाली,

अमृत बरसाने वाली,

दुखियो के दुखडे निवारती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

नही मांगते धन और दौलत,

न चांदी न सोना माँ ।

हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,

इक छोटा सा कोना ॥

सबकी बिगडी बनाने वाली,

लाज बचाने वाली,

सतियो के सत को सवांरती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

7 अक्टूबर 2021गुरुवारप्रतिपदा घटस्थापनामां शैलपुत्री पूजा
8 अक्टूबर 2021शुक्रवारद्वितीयामां ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर 2021शनिवारतृतीय, चतुर्थीमां चंद्रघंटा पूजा, मां कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर 2021रविवारपंचमीमां स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर 2021सोमवारषष्ठीमां कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर 2021मंगलवारसप्तमीमां कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर 2021बुधवारअष्टमीमां महागौरी दुर्गा पूजा
14 अक्टूबर 2021गुरुवारमहानवमीमां सिद्धिदात्री पूजा
15 अक्टूबर 2021शुक्रवारविजयादशमीविजयदशमी, दशहरा
Last Updated : Oct 12, 2021, 7:59 AM IST
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