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शारदीय नवरात्र: दूसरे दिन भगवती ब्रह्मचारिणी की आराधना, जानें इसका महत्व

नवरात्र का दूसरा दिन भगवती ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिन माना जाता है. पूर्ण रूप से ज्योतिर्मय मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है, जो मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं. श्रद्धालु अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान और साधना करते हैं.

Worship of Brahmacharini on second day of Shardiya Navratri
Worship of Brahmacharini on second day of Shardiya Navratri
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Published : Oct 8, 2021, 8:44 AM IST

पटना: शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) में दूर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) के लिए जाना जाता है. जिन्हें शास्त्रों में अपर्णा (Aparna) भी कहा गया है. मां ब्रह्मचारिणी का दूसरा नाम अपर्णा भी है. इस दिन उन्हीं की पूजा-अर्चना की जाती है. मां के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली. इससे ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली.

यह भी पढ़ें - शारदीय नवरात्र: पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा, जानें इसका महत्व

देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ता है. मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में अक्ष माला और कमंडल सुसज्जित हैं. मां के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना भक्त मंत्र और जाप करके करते हैं. शास्त्रों और वेद पुराणों के मुताबिक, भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक तपस्या की. अंत में उनकी तपस्या सफल हुई. माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना करने से भक्तों के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं.

देखें वीडियो

इस दिन सुबह उठकर के नित्य कर्मों से निवृत्त होकर के स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके घर में या मंदिर में आसन बैठकर मां की पूजा आराधना करते हैं. उन्हें फूल, अक्षत, रोली और चंदन आदि अर्पित करते हैं. इस दिन मां को दूध, दही, घी और मधु शक्कर से स्नान कराने के उपरांत भोग लगाते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि माता के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा आज की जाती है. माता के इस स्वरूप की जितनी व्याख्यान की जाए वह कम है.

माता ब्रह्मचारिणी का अद्भुत महिमा है. माता ब्रह्मचारिणी एक हाथ में कमंडल है, एक हाथ में पुष्प है और माता अभय मुद्रा में है. अभय मुद्रा में होने के कारण भक्तों को माता मनवांछित फल देती है. ब्रह्मचारिणी माता का वस्त्र सवेत है. माता को हरा रंग बेहद ही पसंद है, माता के भोग में दूध मिश्री के साथ-साथ भक्त नाना प्रकार फल मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं. लेकिन मिश्री और दूध का भोग भक्त जरूर लगाएं. कथा के अनुसार या कहा जाता है की माता पार्वती भी ब्रह्मचारिणी की पूजा की थी और भगवान शिव को पाई थी.

आचार्य ने बताया कि बहुत सारे श्रद्धालु भक्त फलाहार का सेवन करके माता के 9 रूपों का पूजा करते हैं और कई भक्तों सेंधा नमक, अरवा, चावल, दूध और रोटी एक समय में भोजन करके ही पूजा आराधना माता का करते हैं.

मां ब्रह्मचारिणी पूजन के मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

अर्थात- हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे आपको मेरा बारम्बार नमस्कार है. जो अपने एक हाथ में कमण्डल और दूसरे हाथ में अक्षमाला धारण करती हैं, जो सदैव अपने भक्तों पर कृपा करती हैं और संपूर्ण कष्ट दूर करके अभीष्ट कामनाओं की पूर्ती करती हैं. इसके अतिरिख्त मां के इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं- ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

यह भी पढ़ें - कलश जलभरी को लेकर सोन नदी के तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, बदइंतजामी से नाराज दिखे श्रद्धालु

यह भी पढ़ें - शारदीय नवरात्र: ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, भक्तों के लिए ऑनलाइन दर्शन की भी व्यवस्था

बात दें कि पटनासिटी में नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन सभी देवी मंदिर और पूजा पंडालों में वैदिक मंत्रों के साथ ब्राह्मण की देख-रेख में सपन्न किया जा रहा है. राजधानी पटना के सभी देवी मंदिरों में सुवह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. शंख की ध्वनि और घण्टा की टनकार और भक्तों की जयजयकार से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी, ग्रह पटनदेवी मन्दिर, छोटी पटनदेवी मंदिर अगमकुआं शीतला मंदिर समेत कई जगह भक्तों की भीड़ उमड़ी है. सभी भक्त आयोजन समिति द्वारा कोरोना गाइडलाइन का पालन कर पूजा सम्पन्न कर रहे है.

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

7 अक्टूबर 2021गुरुवारप्रतिपदा घटस्थापनामां शैलपुत्री पूजा
8 अक्टूबर 2021शुक्रवारद्वितीयामां ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर 2021शनिवारतृतीय, चतुर्थीमां चंद्रघंटा पूजा, मां कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर 2021रविवारपंचमीमां स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर 2021सोमवारषष्ठीमां कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर 2021मंगलवारसप्तमीमां कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर 2021बुधवारअष्टमीमां महागौरी दुर्गा पूजा
14 अक्टूबर 2021गुरुवारमहानवमीमां सिद्धिदात्री पूजा
15 अक्टूबर 2021शुक्रवारविजयादशमीविजयदशमी, दशहरा

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पटना: शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) में दूर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) के लिए जाना जाता है. जिन्हें शास्त्रों में अपर्णा (Aparna) भी कहा गया है. मां ब्रह्मचारिणी का दूसरा नाम अपर्णा भी है. इस दिन उन्हीं की पूजा-अर्चना की जाती है. मां के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली. इससे ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली.

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देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ता है. मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में अक्ष माला और कमंडल सुसज्जित हैं. मां के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना भक्त मंत्र और जाप करके करते हैं. शास्त्रों और वेद पुराणों के मुताबिक, भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक तपस्या की. अंत में उनकी तपस्या सफल हुई. माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना करने से भक्तों के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं.

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इस दिन सुबह उठकर के नित्य कर्मों से निवृत्त होकर के स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके घर में या मंदिर में आसन बैठकर मां की पूजा आराधना करते हैं. उन्हें फूल, अक्षत, रोली और चंदन आदि अर्पित करते हैं. इस दिन मां को दूध, दही, घी और मधु शक्कर से स्नान कराने के उपरांत भोग लगाते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि माता के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा आज की जाती है. माता के इस स्वरूप की जितनी व्याख्यान की जाए वह कम है.

माता ब्रह्मचारिणी का अद्भुत महिमा है. माता ब्रह्मचारिणी एक हाथ में कमंडल है, एक हाथ में पुष्प है और माता अभय मुद्रा में है. अभय मुद्रा में होने के कारण भक्तों को माता मनवांछित फल देती है. ब्रह्मचारिणी माता का वस्त्र सवेत है. माता को हरा रंग बेहद ही पसंद है, माता के भोग में दूध मिश्री के साथ-साथ भक्त नाना प्रकार फल मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं. लेकिन मिश्री और दूध का भोग भक्त जरूर लगाएं. कथा के अनुसार या कहा जाता है की माता पार्वती भी ब्रह्मचारिणी की पूजा की थी और भगवान शिव को पाई थी.

आचार्य ने बताया कि बहुत सारे श्रद्धालु भक्त फलाहार का सेवन करके माता के 9 रूपों का पूजा करते हैं और कई भक्तों सेंधा नमक, अरवा, चावल, दूध और रोटी एक समय में भोजन करके ही पूजा आराधना माता का करते हैं.

मां ब्रह्मचारिणी पूजन के मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

अर्थात- हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे आपको मेरा बारम्बार नमस्कार है. जो अपने एक हाथ में कमण्डल और दूसरे हाथ में अक्षमाला धारण करती हैं, जो सदैव अपने भक्तों पर कृपा करती हैं और संपूर्ण कष्ट दूर करके अभीष्ट कामनाओं की पूर्ती करती हैं. इसके अतिरिख्त मां के इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं- ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

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बात दें कि पटनासिटी में नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन सभी देवी मंदिर और पूजा पंडालों में वैदिक मंत्रों के साथ ब्राह्मण की देख-रेख में सपन्न किया जा रहा है. राजधानी पटना के सभी देवी मंदिरों में सुवह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. शंख की ध्वनि और घण्टा की टनकार और भक्तों की जयजयकार से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है. शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी, ग्रह पटनदेवी मन्दिर, छोटी पटनदेवी मंदिर अगमकुआं शीतला मंदिर समेत कई जगह भक्तों की भीड़ उमड़ी है. सभी भक्त आयोजन समिति द्वारा कोरोना गाइडलाइन का पालन कर पूजा सम्पन्न कर रहे है.

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

7 अक्टूबर 2021गुरुवारप्रतिपदा घटस्थापनामां शैलपुत्री पूजा
8 अक्टूबर 2021शुक्रवारद्वितीयामां ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर 2021शनिवारतृतीय, चतुर्थीमां चंद्रघंटा पूजा, मां कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर 2021रविवारपंचमीमां स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर 2021सोमवारषष्ठीमां कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर 2021मंगलवारसप्तमीमां कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर 2021बुधवारअष्टमीमां महागौरी दुर्गा पूजा
14 अक्टूबर 2021गुरुवारमहानवमीमां सिद्धिदात्री पूजा
15 अक्टूबर 2021शुक्रवारविजयादशमीविजयदशमी, दशहरा

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