पटना: असुरक्षित गर्भपात (Unsafe Abortion) के प्रति जागरूक करने की लिए कार्यशाला का आयोजन (Workshop Organized in Patna) राजधानी पटना के एक निजी होटल में किया गया. यह कार्यशाला आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के द्वारा साझा प्रयास के तहत आयोजित हुआ. इसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले तमाम संगठन शामिल हुए. जिसमें बिहार वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन के कार्यपालक निदेशक स्वपन मजूमदार ने बताया कि बिहार में 1 वर्ष में होने वाले 12.5 लाख गर्भपात में से 84% स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर होते हैं. 5% गर्भपात प्रशिक्षित सेवा प्रदाता द्वारा कराये जाते हैं. असुरक्षित गर्भपात मृत्यु का एक बड़ा कारण है. इस विषय पर जागरुकता बहुत जरूरी है.
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इस दौरान आईवीएफ की प्रमुख तकनीकी विशेषज्ञ डॉक्टर संगीता बत्रा ने बताया कि असुरक्षित गर्भपात मातृ मृत्यु का एक बड़ा कारण है. देश भर में होने वाले मातृ मृत्यु में 8% मौत असुरक्षित गर्भपात से होती है. उन्होंने बताया कि बिहार में हर वर्ष 149 महिलाओं की मृत्यु असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है. गर्भपात से जुड़ी समाज में कई प्रकार की अवधारणाएं हैं. जिसको दूर किया जाना बहुत जरूरी है. गर्भपात के लिए सरकारी या निजी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षित डॉक्टरों की निगरानी में गर्भपात कराना चाहिए. कभी भी अनप्रोफेशनल के पास गर्भपात कराने के लिए ना जाएं. गर्भपात के लिए कोई घरेलू टोटके न करें. यह महिला के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है.
डॉक्टर संगीता बत्रा ने कहा कि गर्भपात को लेकर कई प्रकार की अवधारणाएं हैं, लेकिन महावारी के बाद के 20 सप्ताह तक गर्भपात कराया जा सकता है. इसके अलावा विशेष परिस्थिति में 24 सप्ताह तक गर्भपात कराया जा सकता है, लेकिन जरूरी है कि इसे कोई विशेषज्ञ प्रोफेशनल ही करे. कई बार महिलाओं को पता भी नहीं चलता और गर्भ ठहर जाता है. गर्भपात के लिए वह अलग-अलग नुस्खे अपनाने लगती हैं, लेकिन यह सब न करते हुए जरूरी है कि नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में जाएं. डॉक्टर की निगरानी में गर्भपात कराएं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में सरकार की तरफ से विशेष व्यवस्था की गई है.
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