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महिलाओं ने खुद की सुरक्षा को माना सर्वोपरि, वोट उसी को जो देगा इसकी गारंटी!

बिहार चुनाव में महिला मतदाताओं को लेकर पार्टियां अपना एजेंडा सेट करने में जुट गई हैं. सत्तारूढ़ दल महिलाओं को लेकर चलाई गयी अपनी योजनाओं से उनका ध्यानाकर्षण करने की तैयारी कर रहे हैं, तो वहीं क्राइम ग्राफ को लेकर विपक्षी पार्टियां सक्रिय हैं. पढ़ें पूरी खबर

बिहार चुनाव 2020
बिहार चुनाव 2020
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Published : Sep 12, 2020, 7:46 PM IST

पटना: चुनाव के समय राजनीतिक दलों की नजर आधी आबादी यानी महिलाओं के वोट बैंक पर रहती है. ऐसे में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी पार्टियां महिलाओं के लिए कई वादों और दावों के साथ दम भरते नजर आ रहीं हैं. बिहार में बदले माहौल में महिलाएं सुरक्षा को सर्वोपरि मानती हैं.

बिहार के चुनाव में महिला वोटर सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाती है. राज्य में आधी आबादी के वोट से ही वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार प्रचंड बहुमत से जीतते रहे हैं. इसबार भी सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी महिलाओं के हित में किये गये कामों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं.

आधी आबादी तय करेगी सत्ता
आधी आबादी तय करेगी सत्ता

शराबबंदी बनेगा हथियार
बिहार में 4 साल पहले शराबबंदी लागू की गई. शराबबंदी लागू होने का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को मिला है. घरेलू हिंसा जहां कम हुई है, वहीं महिलाएं घर के बाहर भी खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. पिछले 15 साल के दौरान महिला सशक्तिकरण के लिए नीतीश सरकार ने कई ठोस कदम उठाएं हैं. सीएम नीतीश कुमार ने दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए मानव श्रृंखला बनवाई, तो वहीं महिलाओं के लिए कई योजानएं भी लांच की. ऐसे में इन्हीं खास उपलब्धियों के साथ चुनाव को साधने की तैयारी की जा रही है.

शराबबंदी बनेगा मुद्दा
शराबबंदी बनेगा मुद्दा

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार के प्रयास
बिहार सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए. शैक्षणिक प्रोत्साहन, कन्या विवाह योजना के अलावा महिलाओं के लिए अलग नीति एवं अतिरिक्त आरक्षण दिया गया. महिलाओं के सामाजिक परिवर्तन के लिए, जहां ठोस कदम उठाए गए. वहीं, महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना शुरू की गई.

  • मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, बालिका साइकिल योजना, बालिका प्रोत्साहन योजना शुरू की.
  • बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत उच्च शिक्षा हेतु महिलाओं को 1% सरल ब्याज के दर पर शिक्षा ऋण दिया गया.
  • कन्या विवाह योजना के अंतर्गत गरीब परिवार की कन्याओं को विवाह के समय 5000 रुपये तक की राशि सहायता स्वरूप देने का फैसला लिया गया.
  • हिंसा पीड़ित महिलाओं को सामाजिक मनोवैज्ञानिक चिकित्सकीय एवं कानूनी सलाह के लिए महिला हेल्पलाइन शुरू किया गया.
  • पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण दिया गया.
  • प्राथमिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया.
  • पुलिस सब इंस्पेक्टर एवं कांस्टेबल नियुक्ति में आधी आबादी को 35 फीसदी आरक्षण मिला.

आरक्षित रोजगार महिलाओं का अधिकार निश्चय के तहत राज्य के सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण के प्रावधान किए गए. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जीविका के माध्यम से 10 लाख स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया. अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन के लिए प्रोत्साहन राशि स्वरूप 1 लाख तक की सहायता राशि दी गई. बालिकाओं और किशोरियों के पूर्ण विकास के लिए मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना लागू किया गया. एक कन्या के स्नातक तक की पढ़ाई के लिए 55 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने के प्रावधान वर्तमान सरकार ने किया.

पटना से रंजीत की रिपोर्ट

पढ़ें ये खबर : महिला वोटरों पर नीतीश की नजर, क्या इस बार भी बनेंगी खेवनहार?

क्राइम को लेकर विपक्ष हमलावर
वहीं बिहार की विपक्षी पार्टियां क्राइम को लेकर सरकार पर हमला करती रहीं हैं. चुनाव के समय भी इसे ही मुद्दा बनाया जा रहा है. दुष्कर्म, छेड़छाड़, छिनैती और लूटपाट की वारदातों को हाईलाइट किया जा रहा है. ऐसे में सत्तासीन सरकार अपनी योजनाओं और उठाए गये कदमों को कवच बना रही है.

मतदान के दौरान महिलाओं की पसंद
बिहार की महिलाएं सुरक्षा को सबसे ऊपर रखती हैं. विधि व्यवस्था का सवाल हो या फिर उनके परिवार के सुरक्षा का मामला, इन सब चीजों को ध्यान में रखकर महिलाएं मतदान करती हैं. शराबबंदी कानून ने महिलाओं के लिए एक तरीके से सुरक्षा कवच का काम किया है.

प्रोफेसर डीएम दिवाकर, सामाजिक एवं आर्थिक विशेषज्ञ
प्रोफेसर डीएम दिवाकर, सामाजिक एवं आर्थिक विशेषज्ञ

ईटीवी भारत ने पटना की कई महिलाओं से बात की. गृहिणी अर्चना भट्ट का मानना है कि महिलाएं सबसे पहले यह देखती है कि जो उम्मीदवार मैदान में है. उसकी छवि कैसी है. इसके अलावा हम शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी ख्याल रखते हुए मतदान करते हैं.

प्रियंवदा केसरी का कहना है कि हम मतदान करते समय सुरक्षा का ख्याल रखते हैं. हमारा देश और राज्य किसके हाथों में सुरक्षित रहेगा, उस आधार पर प्रत्याशियों का हम चयन करते हैं और मतदान करते हैं.

नीलांजना भट्टाचार्य का मानना है कि सुरक्षा हमारे लिए सबसे ऊपर है सामाजिक सुरक्षा और परिवार की सुरक्षा. शराबबंदी के बाद महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. मतदान करने से पहले महिलाएं यह सोचती हैं कि सुरक्षा सड़क और सफाई व्यवस्था हमारे लिए कौन बेहतर तरीके से कर पाएगा.

एक्सपर्ट की राय
महिला सशक्तिकरण को लेकर बुद्धिजीवी भी सकारात्मक सोच रखते हैं. प्रोफेसर डीएम दिवाकर का मानना है कि पिछले 15 साल के दौरान महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत काम हुए. बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभी और बहुत काम करने की जरूरत है.

पटना: चुनाव के समय राजनीतिक दलों की नजर आधी आबादी यानी महिलाओं के वोट बैंक पर रहती है. ऐसे में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी पार्टियां महिलाओं के लिए कई वादों और दावों के साथ दम भरते नजर आ रहीं हैं. बिहार में बदले माहौल में महिलाएं सुरक्षा को सर्वोपरि मानती हैं.

बिहार के चुनाव में महिला वोटर सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाती है. राज्य में आधी आबादी के वोट से ही वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार प्रचंड बहुमत से जीतते रहे हैं. इसबार भी सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी महिलाओं के हित में किये गये कामों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं.

आधी आबादी तय करेगी सत्ता
आधी आबादी तय करेगी सत्ता

शराबबंदी बनेगा हथियार
बिहार में 4 साल पहले शराबबंदी लागू की गई. शराबबंदी लागू होने का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को मिला है. घरेलू हिंसा जहां कम हुई है, वहीं महिलाएं घर के बाहर भी खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. पिछले 15 साल के दौरान महिला सशक्तिकरण के लिए नीतीश सरकार ने कई ठोस कदम उठाएं हैं. सीएम नीतीश कुमार ने दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए मानव श्रृंखला बनवाई, तो वहीं महिलाओं के लिए कई योजानएं भी लांच की. ऐसे में इन्हीं खास उपलब्धियों के साथ चुनाव को साधने की तैयारी की जा रही है.

शराबबंदी बनेगा मुद्दा
शराबबंदी बनेगा मुद्दा

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार के प्रयास
बिहार सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए. शैक्षणिक प्रोत्साहन, कन्या विवाह योजना के अलावा महिलाओं के लिए अलग नीति एवं अतिरिक्त आरक्षण दिया गया. महिलाओं के सामाजिक परिवर्तन के लिए, जहां ठोस कदम उठाए गए. वहीं, महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना शुरू की गई.

  • मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, बालिका साइकिल योजना, बालिका प्रोत्साहन योजना शुरू की.
  • बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत उच्च शिक्षा हेतु महिलाओं को 1% सरल ब्याज के दर पर शिक्षा ऋण दिया गया.
  • कन्या विवाह योजना के अंतर्गत गरीब परिवार की कन्याओं को विवाह के समय 5000 रुपये तक की राशि सहायता स्वरूप देने का फैसला लिया गया.
  • हिंसा पीड़ित महिलाओं को सामाजिक मनोवैज्ञानिक चिकित्सकीय एवं कानूनी सलाह के लिए महिला हेल्पलाइन शुरू किया गया.
  • पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण दिया गया.
  • प्राथमिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया गया.
  • पुलिस सब इंस्पेक्टर एवं कांस्टेबल नियुक्ति में आधी आबादी को 35 फीसदी आरक्षण मिला.

आरक्षित रोजगार महिलाओं का अधिकार निश्चय के तहत राज्य के सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण के प्रावधान किए गए. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जीविका के माध्यम से 10 लाख स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया. अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन के लिए प्रोत्साहन राशि स्वरूप 1 लाख तक की सहायता राशि दी गई. बालिकाओं और किशोरियों के पूर्ण विकास के लिए मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना लागू किया गया. एक कन्या के स्नातक तक की पढ़ाई के लिए 55 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने के प्रावधान वर्तमान सरकार ने किया.

पटना से रंजीत की रिपोर्ट

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क्राइम को लेकर विपक्ष हमलावर
वहीं बिहार की विपक्षी पार्टियां क्राइम को लेकर सरकार पर हमला करती रहीं हैं. चुनाव के समय भी इसे ही मुद्दा बनाया जा रहा है. दुष्कर्म, छेड़छाड़, छिनैती और लूटपाट की वारदातों को हाईलाइट किया जा रहा है. ऐसे में सत्तासीन सरकार अपनी योजनाओं और उठाए गये कदमों को कवच बना रही है.

मतदान के दौरान महिलाओं की पसंद
बिहार की महिलाएं सुरक्षा को सबसे ऊपर रखती हैं. विधि व्यवस्था का सवाल हो या फिर उनके परिवार के सुरक्षा का मामला, इन सब चीजों को ध्यान में रखकर महिलाएं मतदान करती हैं. शराबबंदी कानून ने महिलाओं के लिए एक तरीके से सुरक्षा कवच का काम किया है.

प्रोफेसर डीएम दिवाकर, सामाजिक एवं आर्थिक विशेषज्ञ
प्रोफेसर डीएम दिवाकर, सामाजिक एवं आर्थिक विशेषज्ञ

ईटीवी भारत ने पटना की कई महिलाओं से बात की. गृहिणी अर्चना भट्ट का मानना है कि महिलाएं सबसे पहले यह देखती है कि जो उम्मीदवार मैदान में है. उसकी छवि कैसी है. इसके अलावा हम शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी ख्याल रखते हुए मतदान करते हैं.

प्रियंवदा केसरी का कहना है कि हम मतदान करते समय सुरक्षा का ख्याल रखते हैं. हमारा देश और राज्य किसके हाथों में सुरक्षित रहेगा, उस आधार पर प्रत्याशियों का हम चयन करते हैं और मतदान करते हैं.

नीलांजना भट्टाचार्य का मानना है कि सुरक्षा हमारे लिए सबसे ऊपर है सामाजिक सुरक्षा और परिवार की सुरक्षा. शराबबंदी के बाद महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. मतदान करने से पहले महिलाएं यह सोचती हैं कि सुरक्षा सड़क और सफाई व्यवस्था हमारे लिए कौन बेहतर तरीके से कर पाएगा.

एक्सपर्ट की राय
महिला सशक्तिकरण को लेकर बुद्धिजीवी भी सकारात्मक सोच रखते हैं. प्रोफेसर डीएम दिवाकर का मानना है कि पिछले 15 साल के दौरान महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत काम हुए. बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभी और बहुत काम करने की जरूरत है.

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