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लॉकडाउन में हिट हुआ गृह उद्योग का कॉन्सेप्ट, अपनी हुनर से महिलाएं भर रही हैं जिंदगी में खुशियों के रंग

वैश्विक महामारी कोरोना के दुनिया में फैलने के बाद देशभर में लोग विभिन्न परेशानियों का सामने कर रहे हैं. वहीं, इस दौर ने काफी हद तक लोगों के जीने का तरीका बदल दिया है तो वहीं वर्क कल्चर भी बदला है. राजधानी पटना में महिलाएं कैसे इस समय का सही उपयोग कर रही हैं पढ़िए इस रिपोर्ट में...

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Published : Jul 4, 2020, 1:12 PM IST

Updated : Jul 4, 2020, 3:24 PM IST

लॉकडाउन
लॉकडाउन

पटना: कोरोना काल ने लोगों को दशक के सबसे बुरे दिन दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. दुनिया भर में लोग आर्थिक मंदी के साथ ही मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. लॉकडाउन ने हजारों-लाखों लोगों का रोजगार छीन लिया है. ऐसे में महिलाओं को रोजमर्रा के अलावा अन्य दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है.

खादी पर सुंदर पेंटिंग
खादी पर सुंदर पेंटिंग

लॉकडाउन में उत्पन्न हुए 'आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया' वाले हालात ने लोगों को कई समस्याओं में डाल दिया है. घर में रहने से लगातार खर्च बढ़ रहा है और आय का जरिया बंद होता जा रहा है. इसे देखते हुए अब महिलाओं ने जिम्मेदारी का बीड़ा अपने कंधों पर उठा लिया है. महिला उद्योग से जुड़ी कुछ महिलाएं इन दिनों काफी कुछ कर रही हैं और गृह उद्योग को बढ़ावा देकर महिलाओं को रोजगार सृजन भी उपलब्ध करा रही हैं.

बांस की सुंदर वस्तुएं
बांस की सुंदर वस्तुएं

2018 में शुरू किया स्टार्टअप

इन्हीं में से एक हैं पटना की रहने वाली कावेरी, जो खादी उद्योग से जुड़े हुए काम करती हैं. 2018 से इन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया था और खुद अपनी सहेली के साथ मिलकर काम करती थीं. अब जब लॉकडाउन में लोग घर पर हैं तो इनने सामान लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जिससे इनकी मांग बढ़ गई है और मांग बढ़ने से काम भी मिल रहा है.

बांस से बनी टोकरी
बांस से बनी टोकरी

काम करने के साथ ही लॉकडाउन में उन्होंने कुछ महिलाओं को प्रशिक्षित भी कर दिया है. साथ ही इन महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. इनकी टीम में आज करीब 15 महिलाएं काम कर रही हैं.

हुनर ने बनाया सशक्त

दरभंगा की रहने वाली प्रीति ने बताया कि लॉकडाउन के कारण वह गांव में फंस गई थीं. वहां उन्होंने देखा कि लोग बांस के टुकड़ों से छोटी-छोटी चीजें बना रहे हैं, जिसके बाद उन्हें कॉन्सेप्ट आया और उन्होंने बांस की कई वस्तुओं को बनवाना शुरू किया. बेरोजगारी के कारण पास काफी लोग उनके पास काम करने पहुंच गए और इस हुनर ने लोगों को रोजी-रोटी देना शुरू कर दिया.

लोगों को मिल रहा रोजगार
लोगों को मिल रहा रोजगार

लोगों को मिला प्लास्टिक का विकल्प

प्रीति ने बताया कि सबसे खास बात यह थी कि अधिकतर लोगों को काम पहले से ही आता था और जिन्हें नहीं आता था उनको प्रशिक्षण दिया गया. अब लोग प्लास्टिक कम इस्तेमाल करते हैं. इसलिए हम बांस से जुड़ी हुई चीजें बनाते हैं, ताकि लोगों को प्लास्टिक का विकल्प मिल सके और सभी इको फ्रेंडली भी हों.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

अधिक महिलाओं को देना चाहती हैं रोजगार

आज उनकी टीम में करीब 25 से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि लोगों से काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है और आगे जरूरत पड़ने पर वह इसका विस्तार करेंगी. इससे और अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा पाएंगी.

पटना: कोरोना काल ने लोगों को दशक के सबसे बुरे दिन दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. दुनिया भर में लोग आर्थिक मंदी के साथ ही मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. लॉकडाउन ने हजारों-लाखों लोगों का रोजगार छीन लिया है. ऐसे में महिलाओं को रोजमर्रा के अलावा अन्य दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है.

खादी पर सुंदर पेंटिंग
खादी पर सुंदर पेंटिंग

लॉकडाउन में उत्पन्न हुए 'आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया' वाले हालात ने लोगों को कई समस्याओं में डाल दिया है. घर में रहने से लगातार खर्च बढ़ रहा है और आय का जरिया बंद होता जा रहा है. इसे देखते हुए अब महिलाओं ने जिम्मेदारी का बीड़ा अपने कंधों पर उठा लिया है. महिला उद्योग से जुड़ी कुछ महिलाएं इन दिनों काफी कुछ कर रही हैं और गृह उद्योग को बढ़ावा देकर महिलाओं को रोजगार सृजन भी उपलब्ध करा रही हैं.

बांस की सुंदर वस्तुएं
बांस की सुंदर वस्तुएं

2018 में शुरू किया स्टार्टअप

इन्हीं में से एक हैं पटना की रहने वाली कावेरी, जो खादी उद्योग से जुड़े हुए काम करती हैं. 2018 से इन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया था और खुद अपनी सहेली के साथ मिलकर काम करती थीं. अब जब लॉकडाउन में लोग घर पर हैं तो इनने सामान लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जिससे इनकी मांग बढ़ गई है और मांग बढ़ने से काम भी मिल रहा है.

बांस से बनी टोकरी
बांस से बनी टोकरी

काम करने के साथ ही लॉकडाउन में उन्होंने कुछ महिलाओं को प्रशिक्षित भी कर दिया है. साथ ही इन महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. इनकी टीम में आज करीब 15 महिलाएं काम कर रही हैं.

हुनर ने बनाया सशक्त

दरभंगा की रहने वाली प्रीति ने बताया कि लॉकडाउन के कारण वह गांव में फंस गई थीं. वहां उन्होंने देखा कि लोग बांस के टुकड़ों से छोटी-छोटी चीजें बना रहे हैं, जिसके बाद उन्हें कॉन्सेप्ट आया और उन्होंने बांस की कई वस्तुओं को बनवाना शुरू किया. बेरोजगारी के कारण पास काफी लोग उनके पास काम करने पहुंच गए और इस हुनर ने लोगों को रोजी-रोटी देना शुरू कर दिया.

लोगों को मिल रहा रोजगार
लोगों को मिल रहा रोजगार

लोगों को मिला प्लास्टिक का विकल्प

प्रीति ने बताया कि सबसे खास बात यह थी कि अधिकतर लोगों को काम पहले से ही आता था और जिन्हें नहीं आता था उनको प्रशिक्षण दिया गया. अब लोग प्लास्टिक कम इस्तेमाल करते हैं. इसलिए हम बांस से जुड़ी हुई चीजें बनाते हैं, ताकि लोगों को प्लास्टिक का विकल्प मिल सके और सभी इको फ्रेंडली भी हों.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

अधिक महिलाओं को देना चाहती हैं रोजगार

आज उनकी टीम में करीब 25 से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि लोगों से काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है और आगे जरूरत पड़ने पर वह इसका विस्तार करेंगी. इससे और अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा पाएंगी.

Last Updated : Jul 4, 2020, 3:24 PM IST
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