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Nitish Birth Control Remarks : 'महिलाएं पढ़-लिख लेंगी तो आबादी घटेगी', नीतीश कुमार के दावों में कितनी सच्चाई, इन आंकड़ों से समझिए - नीतीश का जनसंख्या नियंत्रण पर बयान

बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने 7 नवंबर को जनसंख्या नियंत्रण और महिला एजुकेशन को लेकर एक बयान दिया था, जिसके बाद पूरे देश की राजनीति में काफी बवाल मचा. यहां हम नीतीश के बयान पर मचे बवाल की बात नहीं करेंगे. 'महिलाएं पढ़-लिख लेंगी तो आबादी घटेगी', नीतीश कुमार के इस दावे में कितनी सच्चाई, उसे आंकड़ों के जरिये समझने की कोशिश करेंगे.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 10, 2023, 9:10 PM IST

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री.

पटना: जनसंख्या में लगातार वृद्धि सरकार के लिए चिंताजनक है. बिहार सरकार भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयासरत है. सरकार का मानना है कि महिलाएं अगर शिक्षित हो जाएंगी तो जनसंख्या खुद-ब-खुद नियंत्रण हो जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में दावा किया है कि महिला अगर साक्षर हो जाए तो प्रजनन दर में कमी आएगी. मुख्यमंत्री ने कहा है कि लड़कियों के शिक्षित होने के कारण प्रजनन दर 4.3 से घटकर 2.9 तक पहुंच गई है. आने वाले दिनों में इसको दो के नीचे लाया जाएगा.

पढ़ाई-लिखाई का आबादी से क्या है कनेक्शन : 2001 में महिलाओं की साक्षरता दर 33% थी जबकि 2011 में यह दर 53% हो गयी. साल दर साल महिलाओं की साक्षरता दर का असर आबादी पर भी दिखा. बात करें 1991 से 2001 के बीच इस दौर में आबादी करीब 29 फीसदी बढ़ी. लेकिन साल 2001 से 2011 के बीच इसमें गिरावट देखने को मिली, यह आंकड़ा गिरकर 25 फीसदी हो गया.


"महिला साक्षरता जैसे-जैसे बढ़ेगी वैसे-वैसे प्रजनन दर में कमी आएगी. बिहार में भी सरकार ने महिलाओं को साक्षर करने की कवायद शुरू की है. उसके सकारात्मक नतीजे भी सामने आए हैं. जरूरत इस बात की है कि जो योजनाएं सरकार ने महिलाओं के लिए लागू किये हैं उसे वास्तविक रूप में धरातल पर लाया जाए."- डॉ विद्यार्थी विकास, प्राध्यापक, आरएन सिन्हा इंस्टीच्यूट


क्या कहती है SRS की रिपोर्ट: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के बाद अगर एसआरएस 2020 यानी सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट के आकंड़ों को देखें तो पढ़ाई लिखाई के साथ प्रजनन दर का सीधा संबंध है. एसआरएस की रिपोर्ट की मानें तो एक मां जो अशिक्षित है, उसका प्रजनन दर 3.1 है, और शिक्षित मां का प्रजनन दर 1.9 है.

पढ़ाई लिखाई का प्रजनन दर से सीधा संबंधः इतना ही नहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षित मां अपने जीवन में दो या कम बच्चे पैदा करती है, जबकि अशिक्षित मां तीन बच्चे पैदा करती है. ऐसे में मां की पढ़ाई लिखाई का प्रजनन दर से सीधा संबंध सामने आता है. रिपोर्ट की माने तो ग्रेजुएशन तक पढ़ी मां का प्रजनन दर 1.6 है, जबति कम पढ़ी लिखी यानी 10वीं तक की पढ़ाई करने वाली मां का प्रजनन दर 1.9 है.

साक्षर होने पर घटा है टीएफआरः ऐसा देखा गया है कि महिलाओं के लिए टीएफआर (Total Fertility Rate) शिक्षा के साथ कम हो जाती है. अशिक्षित महिलाओं में टीएफआर 3 थी. मतलब है कि औसतन एक अशिक्षित महिला के तीन बच्चे थे. जो महिलाएं साक्षर थीं और उनके पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी, उनमें यह दर 2.5 थी. प्राथमिक स्तर से नीचे की शिक्षा पाने वाली महिलाओं की कुल प्रजनन दर 2.9, जबकि प्राथमिक स्तर की शिक्षा वाली महिलाओं की टीएफआर 2.5 थी. मिडिल स्तर तक शिक्षा प्राप्त महिलाओं की प्रजनन दर 2.2 थी. दसवीं कक्षा से अधिक शिक्षित लोगों का टीएफआर 2 से नीचे था.

इसे भी पढ़ेंः Nitish Kumar Sorry : 'मैं माफी मांगता हूं', महिलाओं पर विवादित बयान को लेकर नीतीश कुमार ने मांगी माफी

इसे भी पढ़ेंः Nitish Controversial Statement : सदन में नीतीश के असंसदीय बयान पर हंगामा, देखिए क्या बोलीं महिला विधायक

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री.

पटना: जनसंख्या में लगातार वृद्धि सरकार के लिए चिंताजनक है. बिहार सरकार भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयासरत है. सरकार का मानना है कि महिलाएं अगर शिक्षित हो जाएंगी तो जनसंख्या खुद-ब-खुद नियंत्रण हो जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में दावा किया है कि महिला अगर साक्षर हो जाए तो प्रजनन दर में कमी आएगी. मुख्यमंत्री ने कहा है कि लड़कियों के शिक्षित होने के कारण प्रजनन दर 4.3 से घटकर 2.9 तक पहुंच गई है. आने वाले दिनों में इसको दो के नीचे लाया जाएगा.

पढ़ाई-लिखाई का आबादी से क्या है कनेक्शन : 2001 में महिलाओं की साक्षरता दर 33% थी जबकि 2011 में यह दर 53% हो गयी. साल दर साल महिलाओं की साक्षरता दर का असर आबादी पर भी दिखा. बात करें 1991 से 2001 के बीच इस दौर में आबादी करीब 29 फीसदी बढ़ी. लेकिन साल 2001 से 2011 के बीच इसमें गिरावट देखने को मिली, यह आंकड़ा गिरकर 25 फीसदी हो गया.


"महिला साक्षरता जैसे-जैसे बढ़ेगी वैसे-वैसे प्रजनन दर में कमी आएगी. बिहार में भी सरकार ने महिलाओं को साक्षर करने की कवायद शुरू की है. उसके सकारात्मक नतीजे भी सामने आए हैं. जरूरत इस बात की है कि जो योजनाएं सरकार ने महिलाओं के लिए लागू किये हैं उसे वास्तविक रूप में धरातल पर लाया जाए."- डॉ विद्यार्थी विकास, प्राध्यापक, आरएन सिन्हा इंस्टीच्यूट


क्या कहती है SRS की रिपोर्ट: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के बाद अगर एसआरएस 2020 यानी सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट के आकंड़ों को देखें तो पढ़ाई लिखाई के साथ प्रजनन दर का सीधा संबंध है. एसआरएस की रिपोर्ट की मानें तो एक मां जो अशिक्षित है, उसका प्रजनन दर 3.1 है, और शिक्षित मां का प्रजनन दर 1.9 है.

पढ़ाई लिखाई का प्रजनन दर से सीधा संबंधः इतना ही नहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षित मां अपने जीवन में दो या कम बच्चे पैदा करती है, जबकि अशिक्षित मां तीन बच्चे पैदा करती है. ऐसे में मां की पढ़ाई लिखाई का प्रजनन दर से सीधा संबंध सामने आता है. रिपोर्ट की माने तो ग्रेजुएशन तक पढ़ी मां का प्रजनन दर 1.6 है, जबति कम पढ़ी लिखी यानी 10वीं तक की पढ़ाई करने वाली मां का प्रजनन दर 1.9 है.

साक्षर होने पर घटा है टीएफआरः ऐसा देखा गया है कि महिलाओं के लिए टीएफआर (Total Fertility Rate) शिक्षा के साथ कम हो जाती है. अशिक्षित महिलाओं में टीएफआर 3 थी. मतलब है कि औसतन एक अशिक्षित महिला के तीन बच्चे थे. जो महिलाएं साक्षर थीं और उनके पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी, उनमें यह दर 2.5 थी. प्राथमिक स्तर से नीचे की शिक्षा पाने वाली महिलाओं की कुल प्रजनन दर 2.9, जबकि प्राथमिक स्तर की शिक्षा वाली महिलाओं की टीएफआर 2.5 थी. मिडिल स्तर तक शिक्षा प्राप्त महिलाओं की प्रजनन दर 2.2 थी. दसवीं कक्षा से अधिक शिक्षित लोगों का टीएफआर 2 से नीचे था.

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