मुजफ्फरपुर: अपनी मिठास और अनूठे स्वाद के लिए पूरी दुनियाभर में बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची (Muzaffarpur Lychee) को अलग मुकाम हासिल है. शायद यही वजह है की जिले की पहचान उसके शाही लीची से होती है. लेकिन लीची के घर में कुछ किसान अपनी मेहनत और हौसले की बदौलत अब यह पहचान बदल रहे हैं. मीनापुर की माधुरी सिंह की पहचान ऐसी ही एक सफल महिला की है. जो मुजफ्फरपुर की परंपरागत लीची की बागवानी की जगह आज जिले में अमरूद (Guava Farming) की सफल बागवानी से सफलता का एक नया अध्याय लिख रही हैं.
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माधुरी सिंह पानापुर में करीब सात एकड़ में किए गए सफल अमरूद की बागवानी अब दूसरे किसानों को भी सफलता का राह दिखा रही हैं. यही वजह है की आज पानापुर में दो दर्जन से अधिक किसान करीब सौ एकड़ जमीन पर इलाहाबादी अमरूद की सफल बागवानी कर रहे हैं. इसकी वजह से अब मीनापुर प्रखंड के पानापुर की पहचान उसके मीठे और सुंदर अमरूद से बन रही है.
'अमरूद की खेती में काफी अच्छी सफलता मिली है. लेकिन इस साल बारिश की वजह से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं यहां के किसानों में एकता नहीं होने की वजह से अमरूद के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं.' :- माधुरी सिंह, किसान
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इलाहाबाद की रहने वाली माधुरी सिंह के पास लीची की बागवानी भी है. लेकिन जब पानापुर में सात एकड़ जमीन पर बागवानी की बात चली तो उन्होंने अमरूद की बागवानी पर हाथ आजमाने की पहल की. इसके लिए उन्होंने इलाहाबाद से अमरूद के पौधे मंगाये. कई बार बहुत सारे पौधे सुख भी गए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इस काम में उन्होंने पूषा कृषि विश्वविद्यालय के जानकारों से सलाह भी ली. जिसके बाद करीब पांच सालों से वे सफलतापूर्वक अमरूद की बागवानी कर अच्छी आमदनी कर रही हैं.
वहीं उनकी सफलता को देख अब इलाके के दूसरे किसान भी लीची जगह अमरूद की बागवानी में हाथ आजमा रहे हैं. इस वजह से अब इलाके में अमरूद के बगीचे बहुआयत संख्या में नजर आते हैं. हालांकि इस बार इलाके में लगातार हो रही बारिश से अमरूद के बगीचे में जलजमाव बहुत हो गया है. इस वजह से इस बार अमरूद की फसल प्रभावित हुई है. जिससे किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
वहीं इन तमाम परेशानी और कठिनाई के बीच भी माधुरी सिंह बुलंद हौसले के साथ अभी भी अमरूद की बागवानी को और बढ़ाने की कोशिश में लगी हुई हैं. उनकी यह पहल निसंदेह दूसरी महिलाओं को भी कृषि के क्षेत्र में आगे आने के लिए प्रेरित कर रहा है.