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पटना में 'आधी आबादी' चला रही रक्तदान को लेकर मुहिम, ग्रुप के जरिए लोगों को कर रही प्रेरित - ETV Bihar NEWS

राजधानी पटना में रक्तदान को लेकर एक महिला ग्रुप काफी एक्टिव (Blood Donation Group Of Patna)है. साल 2016 में इस ग्रुप की शुरुआत की गई थी. जिसमें सिर्फ महिलाएं शामिल हैं, पिछले 5 साल में इस रक्तदान ग्रुप में 50 से ज्यादा महिलाएं शामिल हुई हैं. वहीं, इस ग्रुप में लगातार महिलाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाता है साथ ही उन्हें जोड़ने की पहल की जा रही है.

पटना में आधी आबादी की रक्तदान को लेकर मुहिम
पटना में आधी आबादी की रक्तदान को लेकर मुहिम
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Published : May 4, 2022, 10:14 PM IST

पटना: रक्तदान को महादान कहा जाता है. रक्त शरीर की ऐसी जरूरत है जो केवल शरीर में ही बनती है. इसका न तो कहीं प्रोडक्शन किया जाता है और न ही इसकी फैक्ट्री लगाई जा सकती है. ये सिर्फ मनुष्य एक दूसरे को दान कर सकता है. रक्त को लेकर ऐसी स्थिति भी होती है कि अगर समय पर ना मिले तो आदमी खुद को असहाय महसूस करने लगता है. देश के तमाम शहरों में लोगों को मदद पहुंचाने के उद्देश्य से रक्तदान के ग्रुप भी चलाया जाता है. लेकिन राजधानी पटना में रक्तदान करने वालों का एक ऐसा भी ग्रुप है, जिसकी मेंबर केवल महिलाएं (Women Blood Donation Group Of Patna) हैं. 2016 में केवल एक लड़की ने इस ग्रुप की शुरुआत की थी और पिछले 6 साल में 50 से ज्यादा महिलाएं इस ग्रुप से जुड़ चुकी हैं. इस ग्रुप को नाम भी दिया गया है और लगातार महिलाओं को इस ग्रुप से जुड़ने के लिए पहल की जा रही है.

ये भी पढ़ें: सेवा और समर्पण अभियान के तहत MLA श्रेयसी सिंह ने किया रक्तदान

2016 में शिखा मेहता ने ग्रुप की शुरुआत की: इस ग्रुप को शुरू करने वाली शिखा मेहता ने बताया कि 2016 में उन्होंने इस ग्रुप की शरुआत की. इसके पीछे उद्देश्य केवल दूसरों की (Campaign for Blood donation In patna) मदद करना था. शिखा ने कहा कि लोगों की मदद करने और जीवन दान के लिए रक्तदान करना चाहिए. हर किसी को पैसे की मदद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जब भी कोई नया काम किया जाता है तो परेशानी होती है. शुरुआती दौर में भी उनको भी परेशानी हुई थी और आज भी परेशानी होती है. लेकिन खुशी इस बात है कि अब उनकी बातों को लोग समझ रहे हैं.

''रक्तदान के नाम से ही महिला हो या पुरुष थोड़ी सी सोच में पड़ जाते हैं. लोगों के मन में एक अजीब सी झिझक होती है. लेकिन इस ग्रुप के माध्यम से लोगों को मोटिवेट करने का काम किया जाता है. साथ ही शिखा ने बताया कि महिलाओं पर परिवार और घर का भी प्रेशर होता है. ऐसे में जब उन्हें कभी खून की जरूरत होती है तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए इस ग्रुप के जरिए महिलाओं को बताने की कोशिश करती हूं कि वो भी रक्तदान कर सकती हैं. कभी-कभी ऐसा भी वक्त आता है जब अकाउंट में पैसे रखे रह जाते हैं लेकिन जरूरत के वक्त खून नहीं मिलता. उस वक्त रक्त की अहमियत पता चलती है.''- शिखा मेहता, ग्रुप की फाउंडर सदस्य

ग्रुप की मेंबर्स ने कई बार किया ब्लड डोनेट: वहीं, इस ब्लड ग्रुप की मेंबर श्वेता मेहता ने बताया कि अब तक वो तीन से चार बार रक्तदान कर चुकी हैं. पहली बार उन्होंने एक डिलीवरी पेशेंट के लिए रक्तदान किया था. ग्रुप की दूसरी मेंबर सपना बताया कि उन्होंने इस ग्रुप के बारे में सुना था जानकारी मिली थी फिर उसके बाद से उन्होंने शिखा से संपर्क किया और इस ग्रुप से जुड़ गईं. हालांकि अभी उन्होंने केवल एक बार ही रक्तदान किया है लेकिन आगे भी रक्तदान करने का जज्बा रखती हैं. इस ग्रुप में वर्किंग लेडी की जिम्मेदारी संभालने वाली ममता चौधरी ने कहा कि अनायास ही उन्होंने पहली बार रक्तदान किया था लेकिन अब यह जरूरी कार्यों में शामिल हो गया है. अब उन्हें हर 3 महीने में रक्तदान करने की इच्छा होती है. वहीं, शिखा ने बताया कि इस ग्रुप से सोशल साइट और विभिन्न मैसेंजर के जरिए तकरीबन 5000 लोग जुड़ चुके हैं. उनकी इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस ग्रुप में जोड़ा जाए.

ये भी पढ़ें: पटना बीजेपी प्रदेश कार्यालय में भाजयुमो ने लगाया रक्तदान शिविर, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने किया उद्घाटन

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पटना: रक्तदान को महादान कहा जाता है. रक्त शरीर की ऐसी जरूरत है जो केवल शरीर में ही बनती है. इसका न तो कहीं प्रोडक्शन किया जाता है और न ही इसकी फैक्ट्री लगाई जा सकती है. ये सिर्फ मनुष्य एक दूसरे को दान कर सकता है. रक्त को लेकर ऐसी स्थिति भी होती है कि अगर समय पर ना मिले तो आदमी खुद को असहाय महसूस करने लगता है. देश के तमाम शहरों में लोगों को मदद पहुंचाने के उद्देश्य से रक्तदान के ग्रुप भी चलाया जाता है. लेकिन राजधानी पटना में रक्तदान करने वालों का एक ऐसा भी ग्रुप है, जिसकी मेंबर केवल महिलाएं (Women Blood Donation Group Of Patna) हैं. 2016 में केवल एक लड़की ने इस ग्रुप की शुरुआत की थी और पिछले 6 साल में 50 से ज्यादा महिलाएं इस ग्रुप से जुड़ चुकी हैं. इस ग्रुप को नाम भी दिया गया है और लगातार महिलाओं को इस ग्रुप से जुड़ने के लिए पहल की जा रही है.

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2016 में शिखा मेहता ने ग्रुप की शुरुआत की: इस ग्रुप को शुरू करने वाली शिखा मेहता ने बताया कि 2016 में उन्होंने इस ग्रुप की शरुआत की. इसके पीछे उद्देश्य केवल दूसरों की (Campaign for Blood donation In patna) मदद करना था. शिखा ने कहा कि लोगों की मदद करने और जीवन दान के लिए रक्तदान करना चाहिए. हर किसी को पैसे की मदद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जब भी कोई नया काम किया जाता है तो परेशानी होती है. शुरुआती दौर में भी उनको भी परेशानी हुई थी और आज भी परेशानी होती है. लेकिन खुशी इस बात है कि अब उनकी बातों को लोग समझ रहे हैं.

''रक्तदान के नाम से ही महिला हो या पुरुष थोड़ी सी सोच में पड़ जाते हैं. लोगों के मन में एक अजीब सी झिझक होती है. लेकिन इस ग्रुप के माध्यम से लोगों को मोटिवेट करने का काम किया जाता है. साथ ही शिखा ने बताया कि महिलाओं पर परिवार और घर का भी प्रेशर होता है. ऐसे में जब उन्हें कभी खून की जरूरत होती है तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए इस ग्रुप के जरिए महिलाओं को बताने की कोशिश करती हूं कि वो भी रक्तदान कर सकती हैं. कभी-कभी ऐसा भी वक्त आता है जब अकाउंट में पैसे रखे रह जाते हैं लेकिन जरूरत के वक्त खून नहीं मिलता. उस वक्त रक्त की अहमियत पता चलती है.''- शिखा मेहता, ग्रुप की फाउंडर सदस्य

ग्रुप की मेंबर्स ने कई बार किया ब्लड डोनेट: वहीं, इस ब्लड ग्रुप की मेंबर श्वेता मेहता ने बताया कि अब तक वो तीन से चार बार रक्तदान कर चुकी हैं. पहली बार उन्होंने एक डिलीवरी पेशेंट के लिए रक्तदान किया था. ग्रुप की दूसरी मेंबर सपना बताया कि उन्होंने इस ग्रुप के बारे में सुना था जानकारी मिली थी फिर उसके बाद से उन्होंने शिखा से संपर्क किया और इस ग्रुप से जुड़ गईं. हालांकि अभी उन्होंने केवल एक बार ही रक्तदान किया है लेकिन आगे भी रक्तदान करने का जज्बा रखती हैं. इस ग्रुप में वर्किंग लेडी की जिम्मेदारी संभालने वाली ममता चौधरी ने कहा कि अनायास ही उन्होंने पहली बार रक्तदान किया था लेकिन अब यह जरूरी कार्यों में शामिल हो गया है. अब उन्हें हर 3 महीने में रक्तदान करने की इच्छा होती है. वहीं, शिखा ने बताया कि इस ग्रुप से सोशल साइट और विभिन्न मैसेंजर के जरिए तकरीबन 5000 लोग जुड़ चुके हैं. उनकी इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस ग्रुप में जोड़ा जाए.

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