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UP के लिए बिहार के नेता दिल्ली में कर रहे गोलबंदी, 'हाथ' का साथ छोड़ 'साइकिल' पर सवारी की तैयारी

उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Assembly Elections) को लेकर बिहार समेत पूरे उत्तर भारत में सियासत तेज होती नजर आ रही है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के एक्टिव होने से राजनीति कुछ ज्यादा ही चरम पर है. लालू ने शरद पवार, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की है. विपक्षी नेताओं के रुख को देखकर लगता है कि वे कांग्रेस की बजाय सपा के साथ जाना पसंद करेंगे.

लालू
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Published : Aug 3, 2021, 8:44 PM IST

पटना: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) को लेकर बिहार में भी गहमागहमी दिखने लगी है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मुलाकात के बाद सियासत में और की गर्माहट आ गई है. मंगलवार को शरद यादव से मुलाकात के बाद लालू ने एक तरह से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह यूपी चुनाव के बहाने भविष्य की तैयारी में लगे हैं और तमाम नेताओं को एकजुट कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- शरद यादव से मिलकर बोले लालू- 'जनता परिवार फिर से होगा एकजुट, नीतीश के लिए कोई जगह नहीं'

जेल से बाहर आने के बाद आरजेडी अध्यक्ष एक बार फिर एक्टिव हो गए हैं. विपक्षी नेताओं की एकजुटता की कवायद में उन्होंने सबसे पहले एनसीपी चीफ पहले शरद पवार से मुलाकात की. उसके बाद सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से भी उनकी भेंट हुई है. अब शरद यादव से मुलाकात के बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है कि यूपी चुनाव में आरजेडी और एनसीपी कहीं न कहीं 'साइकिल' की सवारी करने की तैयारी में हैं और इसमें 'हाथ' का साथ छूटता दिख रहा है.

देखें रिपोर्ट

इस बारे में राष्ट्रीय जनता दल के नेता कहते हैं यूपी चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन इतना तय है कि बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही हैं. प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनाव में भले ही कांग्रेस और वाम दल अलग-अलग लड़े, लेकिन नतीजा सबके सामने है. इसलिए यूपी चुनाव में भले ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अलग-अलग लड़ें, हम सबका लक्ष्य एक ही है, और वह है यूपी में बीजेपी को हराना.

"हर चुनाव की परिस्थितियां अलग-अलग होती है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में हमारा गठबंधन अलग-अलग तरह से है. इसलिए यूपी चुनाव में परिस्थितियों को देखकर फैसला होगा"- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

हालांकि इस बारे में कांग्रेस के नेता कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं. वह इशारा जरूर कर रहे हैं कि अगर बीजेपी को हराना है तो सब को एकजुट होना पड़ेगा. प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि यूपी चुनाव में अभी वक्त है, इसलिए परिस्थितियों को देखकर फैसला होगा. हमारा लक्ष्य सिर्फ एक ही है कि केंद्र से मोदी और यूपी से योगी को बाहर करना.

वहीं, बीजेपी नेता लालू और अन्य नेताओं की मुलाकात को एक्सपायरी दवा बता रहे हैं. प्रदेश प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि एक्सपायरी दवा से भला किसका फायदा होता है. इन सभी को अपने स्वार्थ ने एक साथ खड़ा किया है, लेकिन जनता इन्हें अच्छी तरह पहचानती है. उन्होंने कहा कि यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जितने काम किए हैं, इससे उनकी वापसी तय है. लालू के महागठबंधन का यूपी में कोई असर नहीं होगा.

बहरहाल लालू यादव विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का प्रयास पहले भी कर चुके हैं. हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने खुद चुनाव नहीं लड़कर ममता बनर्जी की पार्टी को समर्थन दिया था. वहां कांग्रेस और वाम दल अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन इसका बड़ा फायदा ममता बनर्जी को हुआ. ऐसे में पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों ने कहीं ना कहीं यूपी चुनाव की दिशा तय कर दी है.

ये भी पढ़ें- शरद पवार ने लालू यादव से मुलाकात की

ये भी लगभग तय है कि सपा के समर्थन में आरजेडी यूपी चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगा, फिलहाल तो ऐसा ही कुछ होता हुआ दिख रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस के बिना ही एक बार फिर तमाम विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस आगे क्या फैसला करती है और यूपी चुनाव में विपक्षी दलों का मोर्चा किस हद तक बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ा करता है.

पटना: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) को लेकर बिहार में भी गहमागहमी दिखने लगी है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मुलाकात के बाद सियासत में और की गर्माहट आ गई है. मंगलवार को शरद यादव से मुलाकात के बाद लालू ने एक तरह से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह यूपी चुनाव के बहाने भविष्य की तैयारी में लगे हैं और तमाम नेताओं को एकजुट कर रहे हैं.

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जेल से बाहर आने के बाद आरजेडी अध्यक्ष एक बार फिर एक्टिव हो गए हैं. विपक्षी नेताओं की एकजुटता की कवायद में उन्होंने सबसे पहले एनसीपी चीफ पहले शरद पवार से मुलाकात की. उसके बाद सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) और अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से भी उनकी भेंट हुई है. अब शरद यादव से मुलाकात के बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है कि यूपी चुनाव में आरजेडी और एनसीपी कहीं न कहीं 'साइकिल' की सवारी करने की तैयारी में हैं और इसमें 'हाथ' का साथ छूटता दिख रहा है.

देखें रिपोर्ट

इस बारे में राष्ट्रीय जनता दल के नेता कहते हैं यूपी चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन इतना तय है कि बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही हैं. प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनाव में भले ही कांग्रेस और वाम दल अलग-अलग लड़े, लेकिन नतीजा सबके सामने है. इसलिए यूपी चुनाव में भले ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अलग-अलग लड़ें, हम सबका लक्ष्य एक ही है, और वह है यूपी में बीजेपी को हराना.

"हर चुनाव की परिस्थितियां अलग-अलग होती है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में हमारा गठबंधन अलग-अलग तरह से है. इसलिए यूपी चुनाव में परिस्थितियों को देखकर फैसला होगा"- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

हालांकि इस बारे में कांग्रेस के नेता कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं. वह इशारा जरूर कर रहे हैं कि अगर बीजेपी को हराना है तो सब को एकजुट होना पड़ेगा. प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि यूपी चुनाव में अभी वक्त है, इसलिए परिस्थितियों को देखकर फैसला होगा. हमारा लक्ष्य सिर्फ एक ही है कि केंद्र से मोदी और यूपी से योगी को बाहर करना.

वहीं, बीजेपी नेता लालू और अन्य नेताओं की मुलाकात को एक्सपायरी दवा बता रहे हैं. प्रदेश प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि एक्सपायरी दवा से भला किसका फायदा होता है. इन सभी को अपने स्वार्थ ने एक साथ खड़ा किया है, लेकिन जनता इन्हें अच्छी तरह पहचानती है. उन्होंने कहा कि यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जितने काम किए हैं, इससे उनकी वापसी तय है. लालू के महागठबंधन का यूपी में कोई असर नहीं होगा.

बहरहाल लालू यादव विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का प्रयास पहले भी कर चुके हैं. हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने खुद चुनाव नहीं लड़कर ममता बनर्जी की पार्टी को समर्थन दिया था. वहां कांग्रेस और वाम दल अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन इसका बड़ा फायदा ममता बनर्जी को हुआ. ऐसे में पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजों ने कहीं ना कहीं यूपी चुनाव की दिशा तय कर दी है.

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ये भी लगभग तय है कि सपा के समर्थन में आरजेडी यूपी चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगा, फिलहाल तो ऐसा ही कुछ होता हुआ दिख रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस के बिना ही एक बार फिर तमाम विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस आगे क्या फैसला करती है और यूपी चुनाव में विपक्षी दलों का मोर्चा किस हद तक बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ा करता है.

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