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क्या इस बार बिना धांधली के पूरी हो पाएगी शिक्षक नियोजन प्रक्रिया? - महिला अभ्यर्थी

शिक्षक नियोजन प्रक्रिया पिछली बार की तरह ही चल रही है. जिससे सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. हालांकि शिक्षा मंत्री ने कहा कि इससे निपटने के लिए विभाग पूरी तरह से तैयार है.

नियोजन प्रक्रिया पर शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा की प्रतिक्रिया
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Published : Sep 1, 2019, 11:09 AM IST

पटना: बिहार में शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का 27 अगस्त से आवेदन आना शुरू हो गया है. जबकि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के लिए आवेदन की प्रक्रिया 18 सितंबर से शुरू हो रही है. हालांकि नियोजन प्रक्रिया में पिछली बार की धांधली से सीख लिए बिना उसी ढर्रे पर नियोजन की प्रक्रिया अपनाई गई है. जिस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. हालांकि सरकार की तरफ से इससे निपटने का दावा किया गया है.

बिहार में पिछले कई साल से शिक्षक नियोजन की निगरानी जांच चल रही है. जांच प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक पकड़े गए, जो फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे थे. हाईकोर्ट ने इस मामले की मॉनिटरिंग शुरू की. कई बार हाईकोर्ट के आदेश के बाद हजारों की संख्या में फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों ने खुद इस्तीफा दे दिया. लेकिन अब भी बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक मौजूद हैं, जिन पर निगरानी विभाग कार्रवाई नहीं कर पायी है.

नियोजन प्रक्रिया पर ईटीवी भारत संवाददता की स्पेशल रिपोर्ट

70 हजार से ज्यादा शिक्षकों का डाटा गायब
जानकारी के मुताबिक 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं. फोल्डर, यानी शिक्षकों की योग्यता से संबंधित कागजात जो विभिन्न नियोजन इकाइयों में जमा किया गया था. इस मामले में सीधे-सीधे नियोजन इकाई के प्रमुख या कई जगहों पर संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी या जिला शिक्षा पदाधिकारी भी संदेह के घेरे में है.

education minister krishnnandan verma
कृष्णनंदन वर्मा, शिक्षा मंत्री

अयोग्य अभ्यर्थी बने शिक्षक
वहीं, छात्र नेता अशोक क्रांति ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे पदाधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अशोक क्रांति ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पिछली बार बड़ी संख्या में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा हुआ था. फर्जी डिग्री और पैसे के बल पर बड़ी संख्या में बिना योग्यता वाले शिक्षक बन गए. जबकि योग्य अभ्यर्थी काउंसिलिंग के बावजूद शिक्षक नहीं बन पाए. इसके अलावे मेरिट लिस्ट और मेधा सूची प्रकाशन में नियोजन इकाइयों ने जमकर धांधली की. नियोजन के समय निचले स्थान पर रहने वाले अयोग्य अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र थमा दिया गया.

student leader ashok kranti
अशोक क्रांति, छात्र नेता

क्या कहा गया है नियोजन प्रक्रिया में:

  • नियोजन में यह साफ-साफ कहा गया है कि सारे काम पारदर्शी तरीके से किए जाएंगे.
  • मेरिट लिस्ट बनाने, मेधा सूची और वैकेंसी की जगह जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी.
  • वेबसाइट के जरिए आवेदक को सारी जानकारी मिलेगी.
    • शिक्षकों ने बताया PM मोदी को बिहार का शिक्षा मंत्री, साइंस की स्पेलिंग भी सुनिए https://t.co/PqzNaeHeD8

      — ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) August 16, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लेकिन पिछली बार भी ऐसा नहीं हो पाया था. हालांकि इस बार भी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की बहाली में ज्यादातर जिलों ने ऑनलाइन लिस्ट जारी नहीं किया है.

  • पटना: बीपीएसएससी के कट ऑफ डेट बढ़ाने की मांग को लेकर छात्रों ने किया प्रदर्शन https://t.co/ZD3TVYR74l

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शिक्षा मंत्री ने ईटीवी भारत के पहल की तारीफ की
ईटीवी भारत ने यह तमाम बातें शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा के संज्ञान में लाई. शिक्षा मंत्री को बताया गया कि अगर पुराने ढर्रे पर ही नियोजन की प्रक्रिया शुरू हुई तो फिर वहीं खेल होगा. जबकि, योग्य अभ्यर्थी हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जाएंगे. शिक्षा मंत्री ने ईटीवी भारत के इस पहल की तारीफ की. शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि पिछली बार की तरह इस बार नहीं होगा. जो भी समस्याएं हैं, उनका निराकरण किया जायेगा.

  • ईटीवी भारत की खबर पर मुहर, एनआईओएस से D.El.Ed अभ्यर्थियों के नियोजन पर फैसला बाकी https://t.co/JRqfyiFBiu

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नियोजन प्रक्रिया का बड़ा पेंच
हालांकि नियोजन प्रक्रिया में एक और बड़ा पेंच है. 50 फीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है. 50 फीसदी महिला अभ्यर्थी नहीं मिलने पर सीटें खाली रह जायेगी. उस पर और कोई नियोजन नहीं होगा. ऐसे में नियोजन नहीं होने पर स्कूलों में शिक्षकों की वैकेंसी बाकी रह जाएगी. यानी इसका सीधा प्रभाव शिक्षा पर पड़ेगा. सरकार की इस प्रक्रिया में खाली पड़े रिजर्व सीटों पर शेष अभ्यर्थियों का नियोजन नहीं हो पायेगा.

पटना: बिहार में शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का 27 अगस्त से आवेदन आना शुरू हो गया है. जबकि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के लिए आवेदन की प्रक्रिया 18 सितंबर से शुरू हो रही है. हालांकि नियोजन प्रक्रिया में पिछली बार की धांधली से सीख लिए बिना उसी ढर्रे पर नियोजन की प्रक्रिया अपनाई गई है. जिस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. हालांकि सरकार की तरफ से इससे निपटने का दावा किया गया है.

बिहार में पिछले कई साल से शिक्षक नियोजन की निगरानी जांच चल रही है. जांच प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक पकड़े गए, जो फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे थे. हाईकोर्ट ने इस मामले की मॉनिटरिंग शुरू की. कई बार हाईकोर्ट के आदेश के बाद हजारों की संख्या में फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों ने खुद इस्तीफा दे दिया. लेकिन अब भी बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक मौजूद हैं, जिन पर निगरानी विभाग कार्रवाई नहीं कर पायी है.

नियोजन प्रक्रिया पर ईटीवी भारत संवाददता की स्पेशल रिपोर्ट

70 हजार से ज्यादा शिक्षकों का डाटा गायब
जानकारी के मुताबिक 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं. फोल्डर, यानी शिक्षकों की योग्यता से संबंधित कागजात जो विभिन्न नियोजन इकाइयों में जमा किया गया था. इस मामले में सीधे-सीधे नियोजन इकाई के प्रमुख या कई जगहों पर संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी या जिला शिक्षा पदाधिकारी भी संदेह के घेरे में है.

education minister krishnnandan verma
कृष्णनंदन वर्मा, शिक्षा मंत्री

अयोग्य अभ्यर्थी बने शिक्षक
वहीं, छात्र नेता अशोक क्रांति ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे पदाधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अशोक क्रांति ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पिछली बार बड़ी संख्या में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा हुआ था. फर्जी डिग्री और पैसे के बल पर बड़ी संख्या में बिना योग्यता वाले शिक्षक बन गए. जबकि योग्य अभ्यर्थी काउंसिलिंग के बावजूद शिक्षक नहीं बन पाए. इसके अलावे मेरिट लिस्ट और मेधा सूची प्रकाशन में नियोजन इकाइयों ने जमकर धांधली की. नियोजन के समय निचले स्थान पर रहने वाले अयोग्य अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र थमा दिया गया.

student leader ashok kranti
अशोक क्रांति, छात्र नेता

क्या कहा गया है नियोजन प्रक्रिया में:

  • नियोजन में यह साफ-साफ कहा गया है कि सारे काम पारदर्शी तरीके से किए जाएंगे.
  • मेरिट लिस्ट बनाने, मेधा सूची और वैकेंसी की जगह जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी.
  • वेबसाइट के जरिए आवेदक को सारी जानकारी मिलेगी.
    • शिक्षकों ने बताया PM मोदी को बिहार का शिक्षा मंत्री, साइंस की स्पेलिंग भी सुनिए https://t.co/PqzNaeHeD8

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लेकिन पिछली बार भी ऐसा नहीं हो पाया था. हालांकि इस बार भी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की बहाली में ज्यादातर जिलों ने ऑनलाइन लिस्ट जारी नहीं किया है.

  • पटना: बीपीएसएससी के कट ऑफ डेट बढ़ाने की मांग को लेकर छात्रों ने किया प्रदर्शन https://t.co/ZD3TVYR74l

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शिक्षा मंत्री ने ईटीवी भारत के पहल की तारीफ की
ईटीवी भारत ने यह तमाम बातें शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा के संज्ञान में लाई. शिक्षा मंत्री को बताया गया कि अगर पुराने ढर्रे पर ही नियोजन की प्रक्रिया शुरू हुई तो फिर वहीं खेल होगा. जबकि, योग्य अभ्यर्थी हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जाएंगे. शिक्षा मंत्री ने ईटीवी भारत के इस पहल की तारीफ की. शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि पिछली बार की तरह इस बार नहीं होगा. जो भी समस्याएं हैं, उनका निराकरण किया जायेगा.

  • ईटीवी भारत की खबर पर मुहर, एनआईओएस से D.El.Ed अभ्यर्थियों के नियोजन पर फैसला बाकी https://t.co/JRqfyiFBiu

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नियोजन प्रक्रिया का बड़ा पेंच
हालांकि नियोजन प्रक्रिया में एक और बड़ा पेंच है. 50 फीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है. 50 फीसदी महिला अभ्यर्थी नहीं मिलने पर सीटें खाली रह जायेगी. उस पर और कोई नियोजन नहीं होगा. ऐसे में नियोजन नहीं होने पर स्कूलों में शिक्षकों की वैकेंसी बाकी रह जाएगी. यानी इसका सीधा प्रभाव शिक्षा पर पड़ेगा. सरकार की इस प्रक्रिया में खाली पड़े रिजर्व सीटों पर शेष अभ्यर्थियों का नियोजन नहीं हो पायेगा.

Intro:बिहार में शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया चल रही है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों का 27 अगस्त से ही आवेदन देना शुरू है जबकि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के लिए आवेदन की प्रक्रिया 18 सितंबर से शुरू हो रही है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि पिछले नियोजन की धांधली से सीख लिए बिना शिक्षा विभाग ने आखिर क्यों उसी ढर्रे पर एक बार फिर नियोजन की प्रक्रिया अपनाई है। पटना से एक बेहद खास रिपोर्ट


Body:बिहार में पिछले कई साल से शिक्षक नियोजन की निगरानी जांच चल रही है। जांच प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में ऐसी शिक्षक पकड़े गए जो फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे थे। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की मॉनिटरिंग शुरू की । कई बार हाई कोर्ट के आदेश के बाद हजारों की संख्या में फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों ने खुद इस्तीफा दे दिया। लेकिन अब भी बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक काम कर रहे हैं जिन की डिग्री फर्जी है। हालांकि निगरानी आज तक ऐसे शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। जानकारी के मुताबिक 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं। फोल्डर यानी शिक्षकों की योग्यता से संबंधित कागजात जो उन्होंने विभिन्न नियोजन इकाइयों में जमा किए थे। इस मामले में सीधे-सीधे नियोजन इकाई के प्रमुख या कई जगहों पर संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी या जिला शिक्षा पदाधिकारी भी संदेह के घेरे में है लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है यह आरोप लगाया है छात्र नेता अशोक क्रांति ने उनका कहना है कि पिछली बार बड़ी संख्या में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा हुआ। फर्जी डिग्री और पैसे के बल पर बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की बहाली हुई जो शिक्षक बनने के लायक नहीं थे। नियोजन प्रक्रिया के दौरान नियोजन इकाई में योग्य शिक्षकों को काउंसिलिंग के बावजूद यह कहकर लौटा दिया जाता था कि उन्होंने काउंसलिंग की ही नहीं। इसमें भी बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ। इसके साथ-साथ मेरिट लिस्ट बनाने को लेकर और मेधा सूची के प्रकाशन में भी नियोजन इकाइयों ने जमकर घालमेल किया। यही नहीं, जब नियोजन पत्र बांटने की बारी आई उस समय भी योग्य अभ्यर्थियों की बजाए पैसे के दम पर मेधा सूची में निचले स्थान के अभ्यर्थी को पसंदीदा स्कूल या पसंदीदा जगह पर नियोजन पत्र दे दिया गया। आपको बता दें कि नियोजन में यह साफ साफ कहा गया है कि सारे काम पारदर्शी तरीके से किए जाएंगे। मेरिट लिस्ट बनाने से लेकर मेधा सूची और किस-किस जगह पर वैकेंसी है, यह तमाम चीजें उस जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि सभी आवेदक इसे देख सकें। लेकिन पिछली बार भी ऐसा नहीं हुआ और इस बार भी जो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की बहाली हो रही है उसमें भी ज्यादातर जिल़ों ने ऑनलाइन यह लिस्ट जारी नहीं की है। ईटीवी भारत में यह तमाम बातें शिक्षा मंत्री के संज्ञान में लाई। शिक्षा मंत्री को बताया गया कि अगर पुराने ढर्रे पर ही नियोजन की प्रक्रिया शुरू हुई तो फिर वही खेल होगा और योग्य अभ्यर्थी हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जाएंगे। शिक्षा मंत्री ने ईटीवी भारत की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा पिछली बार की तरह इस बार नहीं होगा और जो भी समस्याएं हैं उनका समाधान निकाला जाएगा। एक और बड़ा पेंच है इस नियोजन प्रक्रिया में। बिहार सरकार ने 50 फ़ीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी है। लेकिन अगर 50 फ़ीसदी महिलाएं नहीं मिलती है तो वह सीटें खाली रह जाती हैं। यानी उस पर और कोई नियोजन नहीं होगा। जाहिर है जब नियोजन नहीं होगा तो फिर स्कूलों में शिक्षकों की वैकेंसी बाकी रह जाएगी यानी इसका सीधा प्रभाव शिक्षा पर पड़ेगा। तो सरकार ऐसी प्रक्रिया क्यों बनाती है कि सीटें खाली रह जाए। जब महिलाओं की वैकेंसी के बराबर अभ्यर्थी नहीं मिल पाते तो उस स्थिति में बाकी बची सीटों पर शेष अभ्यर्थियों का नियोजन होना चाहिए। लेकिन सरकार ने सिर्फ महिलाओं के लिए सीट रिजर्व करके एक तरह से स्कूलों को भगवान भरोसे छोड़ दिया। इस बारे में भी सरकार को सोचना होगा कि क्यों यह सीटें खाली रहें जब बड़ी संख्या में अभ्यर्थी उपलब्ध है।


Conclusion:अशोक क्रांति छात्र नेता कृष्ण नंदन वर्मा शिक्षा मंत्री बिहार
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