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आज है महाशिवरात्रि, ऐसे करेंगे भोलेनाथ की पूजा तो होगी सभी मनोकामनाएं पूरी

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है. आज के दिन भोलेनाथ को कैसे प्रसन्न करें जानने के लिए आगे पढ़ें..

Mahashivratri 2021
Mahashivratri 2021
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Published : Aug 6, 2021, 6:02 AM IST

पटना: आज महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2021) के मौके पर श्रद्धालु भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. भोलेनाथ का पूरे विधि विधान के साथ जलाभिषेक किया जाता है. बेल पत्र, दूध, धतुरा ये सारी चीजें भगवान शिव को अति प्रिय हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

यह भी पढ़ें- सावन की दूसरी सोमवारी को बम-बम भोले के जयकारे से भक्तिमय हुआ माहौल

सावन का महीना चल रहा है. ऐसे में सावन के मासिक महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. पटना के खाजपुरा शिव मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित धनंजय उपाध्याय ने बताया कि प्रत्येक शिवरात्रि महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस दिन शिव जी की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. लेकिन सावन मास के त्रयोदशी तिथि को जो शिवरात्रि पड़ती है उसका विशेष महत्व होता है.

देखें रिपोर्ट

त्रयोदशी और चतुर्दशी के बीच का जो समय होता है वह शिवरात्रि होता है. शिवरात्रि का मतलब होता है कि वह महत्वपूर्ण तिथि जिस दिन ब्रह्मा और विष्णु द्वारा शिवलिंग की विधिवत पूजा की गई थी. कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, पुष्प इत्यादि से जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

सावन का महीना भगवान शिव जी के लिए समर्पित महीना है. ऐसे में इस महीने में जो शिवरात्रि आता है उसका महत्व काफी बढ़ जाता है. सावन मास के शिवरात्रि के दिन अगर भगवान की दूध, दही, घी, शहद इत्यादि से पूजा की जाए तो यह अति लाभदायक माना जाता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत. बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए. दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग का आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिल पाया.

शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जिनमें से एक के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है.

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा: मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है.

यह भी पढ़ें- गया में कोरोना महामारी पर आस्था भारी, मार्कंडेय महादेव मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

यह भी पढ़ें- सावन की पहली सोमवारी आज: पटना के शिव मंदिरों में लोगों ने किया जलाभिषेक, कोरोना से मुक्ति के लिए की प्रार्थना

पटना: आज महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2021) के मौके पर श्रद्धालु भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. भोलेनाथ का पूरे विधि विधान के साथ जलाभिषेक किया जाता है. बेल पत्र, दूध, धतुरा ये सारी चीजें भगवान शिव को अति प्रिय हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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सावन का महीना चल रहा है. ऐसे में सावन के मासिक महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. पटना के खाजपुरा शिव मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित धनंजय उपाध्याय ने बताया कि प्रत्येक शिवरात्रि महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस दिन शिव जी की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. लेकिन सावन मास के त्रयोदशी तिथि को जो शिवरात्रि पड़ती है उसका विशेष महत्व होता है.

देखें रिपोर्ट

त्रयोदशी और चतुर्दशी के बीच का जो समय होता है वह शिवरात्रि होता है. शिवरात्रि का मतलब होता है कि वह महत्वपूर्ण तिथि जिस दिन ब्रह्मा और विष्णु द्वारा शिवलिंग की विधिवत पूजा की गई थी. कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, पुष्प इत्यादि से जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

सावन का महीना भगवान शिव जी के लिए समर्पित महीना है. ऐसे में इस महीने में जो शिवरात्रि आता है उसका महत्व काफी बढ़ जाता है. सावन मास के शिवरात्रि के दिन अगर भगवान की दूध, दही, घी, शहद इत्यादि से पूजा की जाए तो यह अति लाभदायक माना जाता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत. बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए. दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग का आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिल पाया.

शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जिनमें से एक के अनुसार, मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यही कारण है कि महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है.

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा: मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है.

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