पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदलते ही नेता जी क्षेत्र बदलने को मजबूर हो रहे हैं. इस बार तो कई नेताओं ने अपना क्षेत्र बदला है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा लालू के लाल तेज प्रताप यादव की हो रही है. दरअसल, तेज प्रताप यादव अपनी पुरानी सीट महुआ को छोड़कर हसनपुर को चुना है. ऐसे में सवाल उठता है कि तेज प्रताप महुआ से मोह भंग हो गया या समीकरण बदल गया.
गौरतलब है कि 2015 विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप महागठबंधन प्रत्याशी के तौर पर महुआ सीट से जीतकर सदन पहुंचे थे. लेकिन इस बार समीकरण बदल गए हैं. नीतीश कुमार अब एनडीए का हिस्सा हैं. यहां से जेडीयू ने आरजेडी के पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन की बेटी आस्मा परवीन को अपना प्रत्याशी बनाया है. गौरतलब है कि महुआ सीट पर यादव और मुस्लिमों की संख्या सबसे अधिक है.
माना जा रहा है कि जेडीयू ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर आरजेडी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा दी है. इसके अलावे जेडीयू के साथ बीजेपी भी है. ऐसे में बीजेपी के परंपरागत वोट जेडीयू के साथ है. अगर तेज प्रताप यहां से चुनाव लड़ते तो जोखिम भरा होता. यही कारण है कि तेज प्रताप ने महुआ छोड़कर हसनपुर सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया.
हसनपुर ही क्यों?
दरअसल, हसनपुर सीट यादव बाहुल्य सीट मानी जाती है. साथ ही यहां पर कुशवाहा वोटर्स की संख्या काफी अच्छी है. अगर हसनपुर सीट का इतिहास देखा जाए तो तो इस सीट पर 1967 के बाद से हमेशा यादव समाज का ही झंडा बुलंद रहा है. 2010 में परिसीमन के बाद इस सीट पर लगातार दो बार से जेडीयू का कब्जा है. इस सीट से जेडीयू के राजकुमार राय दो बार जीते हैं, राज कुमार राय भी यादव जाति से ही आते हैं.
यादव मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक
दरअसल, हसनपुर सीट पर वोटरों की कुल संख्या 2 लाख 40 हजार 948 है. इसमें यादव मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. यही कारण है कि तेज प्रताप यादव अपने लिए इसे सुरक्षित सीट मान रहे हैं और यहां से किस्मत अजमा रहे हैं. तेज प्रताप का मुकाबल जेडीयू प्रत्याशी राजकुमार राय से है, जो 2010 से ही यहां से विधायक हैं.