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इतनी सारी मिठाइयों में बप्पा को मोदक ही क्यों भाया?

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Published : Sep 3, 2019, 11:44 PM IST

Updated : Sep 4, 2019, 7:31 AM IST

गणेश चतुर्थी की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है. बप्पा के भक्त गणपति को खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं भक्त बप्पा को भोग में मोदक चढ़ा के प्रसन्न कर रहे हैं.

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गोरखपुर/पटना: भाद्रपद माह में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी त्योहार पूरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. 10 दिन तक गणपति के भक्त गणेश की आवभगत में मग्न रहते हैं. गणेश चतुर्थी में लोग गणपति बप्पा के जयकारों के साथ उनकी मूर्ति की स्थापना करते हैं. साथ ही बप्पा को खुश करने के लिए उपासना करते हैं, लेकिन जब बात बप्पा को खुश करने की है तो मोदक का भोग लगाना भक्त कैसे भूल सकते हैं.

जगह-जगह लोग अपने तरीके से गजानन की पूजा कर रहे हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार गणपति को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका होता है. गणपति को मोदक का भोग लगाना. यूं तो गणपति को कई प्रकार के भोग लगाए जाते हैं, जैसे बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, गुड़ और नारियल से बनी चीजें जो उन्हें प्रिय हैं, लेकिन इन सब में सबसे प्रिय बप्पा को मोदक ही है. फिर चाहे मोदक को तमिल के कोझूकत्ताई, कन्नड़ के मोदका या फिर तेलुगु के कुडूम नाम से बोला जाए.

गोरखपुर से विशेष रिपोर्ट

गणपति को मोदक क्यों हैं इतने प्रिय
एक कथा के अनुसार भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश को ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया ने भोजन पर आमंत्रित किया था. भोजन करने पहुंचे गणपति को बहुत जोर की भूख लगी थी, जिसके चलते अनुसूया ने सबसे पहले गणेशजी को भोजन कराने का निर्णय लिया. भोजन करने बैठे गणपति को अनुसूया ने खाना परोसना शुरू किया, लेकिन गणपति की भूख तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. अनुसूया खाना परोसती जातीं और गणपति उसे खाते जाते मगर उनकी भूख शांत ही नहीं हो रही थी, जिसे देख वहां सब आश्चर्यचकित थे.

गणपति की भूख का यह हाल देख अनुसूया के मन में एक ख्याल आया कि क्यों न गणपति को कुछ मीठा परोसा जाए. मन की बात मानते हुए अनुसूया ने गणपति के आगे मोदक परोस दिए, जिसे खाते बप्पा का मन आनंद से भर गया. गणपति ने मोदक को खाकर एक डकार मारी, जिसके बाद कहा जाता है कि भगवान शिव का भी पेट भर गया और उन्होंने एक साथ 21 डकार मारी. तभी से यह माना जाने लगा की बप्पा का प्रिय प्रसाद मोदक है. वहीं भगवान शिव के 21 डकार मारने के कारण यह माना गया कि गणपति को प्रसाद में 21 मोदक चढ़ाए जाएंगे.

दूसरी कथा की मानें तो...

मोदक का जन्म अमृत से हुआ था. एक बार एक देव भगवान शिव और माता पार्वती के पास मोदक लेकर पहुंचे. उस मोदक में दैवीय शक्ति थी, जिसे खाते कोई भी कला और साहित्य में निपुण हो जाता. मोदक देख माता पार्वती के मन में यह विचार आया कि क्यों न यह मोदक कार्तिकेय और गणेश में बांट दिया जाए, लेकिन माता पार्वती के दोनों पुत्र मोदक बांटने को तैयार नहीं थे. इसके चलते माता पार्वती को एक युक्ति सूझी. देवी ने अपने दोनों पुत्रों के बीच एक प्रतिस्पर्धा कराई, जिसमें उन्होंने कहा कि जो ब्रम्हांड का चक्कर पहले लगा के आएगा उसे यह मोदक मिलेगा. यह सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर सवार होकर ब्रम्हांड का चक्कर लगाने निकल गए. वहीं गणपति जी ने चतुराई दिखाई और अपने माता-पिता की परिक्रमा लगाई. परिक्रमा पूर्ण करने के बाद गणपति ने कहा मेरे माता-पिता ही ब्रम्हांड हैं. इतना सुनते ही भगवान शिव और माता पार्वती बहुत प्रसन्न हुए और सारे मोदक गणपति को दे दिए.

गोरखपुर/पटना: भाद्रपद माह में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी त्योहार पूरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. 10 दिन तक गणपति के भक्त गणेश की आवभगत में मग्न रहते हैं. गणेश चतुर्थी में लोग गणपति बप्पा के जयकारों के साथ उनकी मूर्ति की स्थापना करते हैं. साथ ही बप्पा को खुश करने के लिए उपासना करते हैं, लेकिन जब बात बप्पा को खुश करने की है तो मोदक का भोग लगाना भक्त कैसे भूल सकते हैं.

जगह-जगह लोग अपने तरीके से गजानन की पूजा कर रहे हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार गणपति को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका होता है. गणपति को मोदक का भोग लगाना. यूं तो गणपति को कई प्रकार के भोग लगाए जाते हैं, जैसे बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, गुड़ और नारियल से बनी चीजें जो उन्हें प्रिय हैं, लेकिन इन सब में सबसे प्रिय बप्पा को मोदक ही है. फिर चाहे मोदक को तमिल के कोझूकत्ताई, कन्नड़ के मोदका या फिर तेलुगु के कुडूम नाम से बोला जाए.

गोरखपुर से विशेष रिपोर्ट

गणपति को मोदक क्यों हैं इतने प्रिय
एक कथा के अनुसार भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश को ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया ने भोजन पर आमंत्रित किया था. भोजन करने पहुंचे गणपति को बहुत जोर की भूख लगी थी, जिसके चलते अनुसूया ने सबसे पहले गणेशजी को भोजन कराने का निर्णय लिया. भोजन करने बैठे गणपति को अनुसूया ने खाना परोसना शुरू किया, लेकिन गणपति की भूख तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. अनुसूया खाना परोसती जातीं और गणपति उसे खाते जाते मगर उनकी भूख शांत ही नहीं हो रही थी, जिसे देख वहां सब आश्चर्यचकित थे.

गणपति की भूख का यह हाल देख अनुसूया के मन में एक ख्याल आया कि क्यों न गणपति को कुछ मीठा परोसा जाए. मन की बात मानते हुए अनुसूया ने गणपति के आगे मोदक परोस दिए, जिसे खाते बप्पा का मन आनंद से भर गया. गणपति ने मोदक को खाकर एक डकार मारी, जिसके बाद कहा जाता है कि भगवान शिव का भी पेट भर गया और उन्होंने एक साथ 21 डकार मारी. तभी से यह माना जाने लगा की बप्पा का प्रिय प्रसाद मोदक है. वहीं भगवान शिव के 21 डकार मारने के कारण यह माना गया कि गणपति को प्रसाद में 21 मोदक चढ़ाए जाएंगे.

दूसरी कथा की मानें तो...

मोदक का जन्म अमृत से हुआ था. एक बार एक देव भगवान शिव और माता पार्वती के पास मोदक लेकर पहुंचे. उस मोदक में दैवीय शक्ति थी, जिसे खाते कोई भी कला और साहित्य में निपुण हो जाता. मोदक देख माता पार्वती के मन में यह विचार आया कि क्यों न यह मोदक कार्तिकेय और गणेश में बांट दिया जाए, लेकिन माता पार्वती के दोनों पुत्र मोदक बांटने को तैयार नहीं थे. इसके चलते माता पार्वती को एक युक्ति सूझी. देवी ने अपने दोनों पुत्रों के बीच एक प्रतिस्पर्धा कराई, जिसमें उन्होंने कहा कि जो ब्रम्हांड का चक्कर पहले लगा के आएगा उसे यह मोदक मिलेगा. यह सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर सवार होकर ब्रम्हांड का चक्कर लगाने निकल गए. वहीं गणपति जी ने चतुराई दिखाई और अपने माता-पिता की परिक्रमा लगाई. परिक्रमा पूर्ण करने के बाद गणपति ने कहा मेरे माता-पिता ही ब्रम्हांड हैं. इतना सुनते ही भगवान शिव और माता पार्वती बहुत प्रसन्न हुए और सारे मोदक गणपति को दे दिए.

Intro:गोरखपुर। भगवान गणेश को मोदक क्यों है पसंद....जानिए ज्योतिषचार्य डॉ धनेश मणि की जुबानी।


Body:इस खबर /इंटरवियू को डेस्क की डिमांड पर भेजा जा रहा है। इसे शिफ्ट इंचार्ज सुधीर जी और आयुषी कंटेंट एडिटर को बताया जाय।


Conclusion:मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724
Last Updated : Sep 4, 2019, 7:31 AM IST
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