पटना: बिहार बीजेपी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय केंद्र में मंत्री बन चुके हैं. 2 महीने के भीतर नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी होनी है. ताजपोशी से पहले प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नेता दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं. वो अपने पक्ष में लॉबिंग कर रहे हैं. हर जातीय समुदाय के नेता तर्क देने में जुटे हैं कि उन्हें क्यों प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए.
सूबे का सक्रिय भाजपाई को प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहता है. लेकिन हम पिछले रिकॉर्ड पर गौर करें तो प्रदेश अध्यक्ष की सूची में अगड़ी जाति से आने वाले नेताओं की संख्या ज्यादा है. नित्यानंद राय से पहले मंगल पांडे और उससे पहले सीपी ठाकुर प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष थे. बदली परिस्थितियों में बीजेपी ने अध्यक्ष पद के लिए नेता का तो खुलासा नहीं किया है. लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि अत्यंत पिछड़े वर्ग से कोई प्रदेश अध्यक्ष हो सकता है.
इस कैटगरी में तो ये नाम
पिछड़े वर्ग से कोई बड़ा चेहरा सामने नहीं है. लेकिन प्रेम कुमार अत्यंत पिछड़ा वर्ग से आते हैं और वो बिहार सरकार में मंत्री हैं. अगर पार्टी फैसला लेती है, तो प्रेम कुमार अध्यक्ष पद की कमान संभाल सकते हैं. बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया भी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं और इनके ऊपर भी पार्टी दांव लगा सकती है. संजीव चौरसिया को संगठन में काम करने का अनुभव भी प्राप्त है.
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इन चेहरों पर भी पड़ सकती है नजर
पार्टी अगर पिछड़ा कार्ड खेलती है तो ऐसी स्थिति में है पार्टी के उपाध्यक्ष सम्राट चौधरी का नाम भी सर्वोपरी हो सकता है. सम्राट चौधरी कुशवाहा समुदाय से आते हैं और पार्टी में कुशवाहा समुदाय से कोई बड़ा नेता नहीं है. सम्राट चौधरी जीतन राम मांझी प्रकरण में जेडीयू से बगावत कर बीजेपी में आए हैं. अगर कुर्मी जाति के उम्मीदवार को पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहेगी, तो ऐसी स्थिति में प्रेम रंजन पटेल और राजीव रंजन का चेहरा भी सामने होगा. आपको बता दें कि प्रेम रंजन पटेल कुर्मी जाति से आते हैं और वह 10 वर्षों तक विधायक रहे हैं. पिछले 30 वर्षों से वो संगठन के लिए काम कर रहे हैं.
फॉर्मूला इसलिए तय माना जा रहा है
केंद्रीय मंत्रिमंडल में बीजेपी ने सवर्ण और यादवों को जगह दी है इसलिए यह माना जा रहा है कि बिहार प्रदेश का अध्यक्ष पिछड़ा है या अति पिछड़ा हो सकता है. यादव जाति से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की अगर बात होगी, तो ऐसी स्थिति में केंद्रीय मंत्री रह चुके रामकृपाल यादव और विधान पार्षद नवल किशोर यादव का नाम सबसे ऊपर होगा. नवल किशोर यादव 30 साल से लगातार विधान पार्षद है और पटना के स्थानीय भी हैं. रामकृपाल यादव की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी नए प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है. खास बात यह है कि रामकृपाल यादव और नवल किशोर यादव दोनों नेताओं का बैकग्राउंड आरजेडी का है. पार्टी अगर अगड़ी जाति से किसी को अध्यक्ष बनाती है, तो ऐसी स्थिति में मिथिलेश तिवारी का नाम सबसे ऊपर है.
जिन्हें नहीं मिला मंत्री पद
इसके अलावा राधा मोहन शर्मा, देवेश कुमार और नीतीश मिश्रा का नाम भी दावेदारों की सूची में शामिल है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह ना मिलने वाला नेता भी अगला प्रदेश अध्यक्ष हो सकता हैं. जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, राजीव प्रताप रूडी और राधा मोहन सिंह को वरिष्ठता के आधार पर तवज्जो दी जा सकती है. फिलहाल, अध्यक्ष पद को लेकर बिहार बीजेपी का कोई नेता स्पष्ट तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
प्रदेश महामंत्री और विधान पार्षद राधा मोहन शर्मा ने ईटीवी भारत के सवाल पर कहा कि केंद्रीय नेतृत्व यह तय करेगा कि अगला अध्यक्ष कौन होगा. पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि कोई जल्दबाजी नहीं है. फिलहाल, नित्यानंद राय प्रदेश अध्यक्ष हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के बाद बिहार प्रदेश में अध्यक्ष चयन का काम भी पूरा कर लिया जाएगा.