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बिहार में महागठबंधन की हार पर रार बरकरार, जिम्मेदारी से बच रहे नेता

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Published : May 27, 2019, 7:32 PM IST

शिवानंद तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन के सबसे बड़ी पार्टी तो कांग्रेस थी. इसलिए हार की जिम्मेदारी सबसे बड़ी पार्टी की बनती है.

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पटना: लोकसभा चुनाव 2019 बिहार में महागठबंधन की करारी हार के लिए कौन जिम्मेदार है, यह एक अहम सवाल है. हार की जिम्मेदारी लेने से महागठबंधन के नेता बचते दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार के 40 में से 39 सीट पर जीत का परचम लहराया तो वहीं महागठबंधन के खाते में सिर्फ एक सीट गई.

महागठबंधन को सिर्फ एक सीट
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने अपना प्रदर्शन अच्छा रखा. साथ ही बिहार में भी एनडीए ने अपना प्रदर्शन काफी अच्छा रखा. लेकिन एनडीए को हराने के लिए बिहार में बने 5 पार्टियों की महागठबंधन पूरी तरह फेल साबित हुई. एनडीए ने जहां 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की. वहीं, महागठबंधन की ओर से कांग्रेस पार्टी ने मात्र एक, किशनगंज लोकसभा सीट पर जीत हासिल की.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

एनडीए को हराने के लिए कांग्रेस और राजद ने छोटी पार्टियों को मिलाकर महागठबंधन बनाया था. लेकिन एनडीए की लहर के आगे महागठबंधन धराशायी हो गया. ऐसे में अब ये अहम हो गया है कि आखिर इस हार की जिम्मेदारी कौन ले? महागठबंधन के अंदर अब इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

कांग्रेस पर निशाना
ईटीवी भारत ने इसको लेकर पहले RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी से सवाल किया. उन्होंने जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया. उनका कहना है कि हार की जिम्मेदारी सिर्फ राजद ही क्यों ले, कांग्रेस क्यों नहीं?

महागठबंधन के नेताओं का बयान

'कांग्रेस का नेतृत्व फेल'
शिवानंद तिवारी ने कहा कि देशभर में गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व में बना था. कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और उनके नेता प्रधानमंत्री बनने वाले थे. बिहार में गठबंधन इसी शर्त पर बना था कि जीतेंगे तो प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस पार्टी के नेता का नाम आगे करेंगे. ऐसे में हार की जिम्मेदारी भी सबसे बड़ी पार्टी की ही बनती है. उन्होंने कहा कि नेतृत्व ने अच्छे से काम नहीं किया, जिसका खामियाजा छोटी पार्टियों को भी भुगतना पड़ा.

हार किसी एक की जिम्मेदारी नहीं- कांग्रेस
वहीं, बिहार कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कहना है कि हार की जिम्मेदारी कोई एक पार्टी नहीं लेती है. बल्कि गठबंधन में सारे लोगों को लेनी चाहिए. हालांकि इशारों में ही उन्होंने कह दिया कि गठबंधन में जो सबसे बड़ी पार्टी होती है, उनकी जवाबदेही भी बड़ी होती है.

मांझी का क्या है कहना?
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का कहना है कि इस चुनाव में हुई करारी हार का सबसे बड़ा जिम्मेदार हमारी नीति रही है. एनडीए ने जहां अपना सीट चुनाव से पहले ही डिक्लियर कर दिया था. वहीं, महागठबंधन में सीटों को लेकर हुई खींचतान हार का सबसे बड़ा कारण रहा है.

समीक्षा बैठक पर टिकी सबकी नजर
बहरहाल, अगर हार की जिम्मेदार ठहराने की बात की जाए तो इस समय महागठबंधन में हर नेता अपने आप को बचाने की कोशिश लगा है. एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि किसी एक नेता को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराना कितना सही है? पार्टी के समीक्षा बैठक होने वाली है. इस बैठक के बाद ही कोई फैसला हो पाएगा कि आखिर इतनी बड़ी हार का जिम्मेदार कौन है?

पटना: लोकसभा चुनाव 2019 बिहार में महागठबंधन की करारी हार के लिए कौन जिम्मेदार है, यह एक अहम सवाल है. हार की जिम्मेदारी लेने से महागठबंधन के नेता बचते दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार के 40 में से 39 सीट पर जीत का परचम लहराया तो वहीं महागठबंधन के खाते में सिर्फ एक सीट गई.

महागठबंधन को सिर्फ एक सीट
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने अपना प्रदर्शन अच्छा रखा. साथ ही बिहार में भी एनडीए ने अपना प्रदर्शन काफी अच्छा रखा. लेकिन एनडीए को हराने के लिए बिहार में बने 5 पार्टियों की महागठबंधन पूरी तरह फेल साबित हुई. एनडीए ने जहां 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की. वहीं, महागठबंधन की ओर से कांग्रेस पार्टी ने मात्र एक, किशनगंज लोकसभा सीट पर जीत हासिल की.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

एनडीए को हराने के लिए कांग्रेस और राजद ने छोटी पार्टियों को मिलाकर महागठबंधन बनाया था. लेकिन एनडीए की लहर के आगे महागठबंधन धराशायी हो गया. ऐसे में अब ये अहम हो गया है कि आखिर इस हार की जिम्मेदारी कौन ले? महागठबंधन के अंदर अब इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

कांग्रेस पर निशाना
ईटीवी भारत ने इसको लेकर पहले RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी से सवाल किया. उन्होंने जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया. उनका कहना है कि हार की जिम्मेदारी सिर्फ राजद ही क्यों ले, कांग्रेस क्यों नहीं?

महागठबंधन के नेताओं का बयान

'कांग्रेस का नेतृत्व फेल'
शिवानंद तिवारी ने कहा कि देशभर में गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व में बना था. कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और उनके नेता प्रधानमंत्री बनने वाले थे. बिहार में गठबंधन इसी शर्त पर बना था कि जीतेंगे तो प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस पार्टी के नेता का नाम आगे करेंगे. ऐसे में हार की जिम्मेदारी भी सबसे बड़ी पार्टी की ही बनती है. उन्होंने कहा कि नेतृत्व ने अच्छे से काम नहीं किया, जिसका खामियाजा छोटी पार्टियों को भी भुगतना पड़ा.

हार किसी एक की जिम्मेदारी नहीं- कांग्रेस
वहीं, बिहार कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कहना है कि हार की जिम्मेदारी कोई एक पार्टी नहीं लेती है. बल्कि गठबंधन में सारे लोगों को लेनी चाहिए. हालांकि इशारों में ही उन्होंने कह दिया कि गठबंधन में जो सबसे बड़ी पार्टी होती है, उनकी जवाबदेही भी बड़ी होती है.

मांझी का क्या है कहना?
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का कहना है कि इस चुनाव में हुई करारी हार का सबसे बड़ा जिम्मेदार हमारी नीति रही है. एनडीए ने जहां अपना सीट चुनाव से पहले ही डिक्लियर कर दिया था. वहीं, महागठबंधन में सीटों को लेकर हुई खींचतान हार का सबसे बड़ा कारण रहा है.

समीक्षा बैठक पर टिकी सबकी नजर
बहरहाल, अगर हार की जिम्मेदार ठहराने की बात की जाए तो इस समय महागठबंधन में हर नेता अपने आप को बचाने की कोशिश लगा है. एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि किसी एक नेता को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराना कितना सही है? पार्टी के समीक्षा बैठक होने वाली है. इस बैठक के बाद ही कोई फैसला हो पाएगा कि आखिर इतनी बड़ी हार का जिम्मेदार कौन है?

Intro:लोकसभा चुनाव 2019 बिहार में महागठबंधन के करारी हार के लिए जिम्मेदार? हार की जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं नेता लगा रहे हैं एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप-----


Body: पटना---- लोकसभा चुनाव 2019 देशभर में बीजेपी ने अपना प्रदर्शन तो काफी अच्छा रखा बिहार में भी एनडीए ने अपना प्रदर्शन और अच्छा रखा लेकिन एनडीए को हराने के लिए बिहार में बने 5 पार्टियों की महागठबंधन पूरी तरह फिर साबित हुई एनडीए ने जहां 40 में से 39 सीट पर जीत मिली तो वही महागठबंधन के खाते में कांग्रेस पार्टी ने किशनगंज लोकसभा सीट से एक सीट जीत पाया ऐसे में सवाल उठता है कि एनडीए को हराने के लिए कांग्रेस राजद ने छोटी पार्टियों को मिलाकर महागठबंधन बनाया था लेकिन एनडीए की लहर के आगे यह महागठबंधन धरासाही हो गए पार्टी के अंदर अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू है कि आखिर इस हार की जिम्मेवारी बिहार में कौन ले, महागठबंधन के अंदर चल रहे घमासान के बीच जब ईटीवी भारत ने यह जानने की कोशिश की बिहार में महागठबंधन की हार का जिम्मेवार नेता कौन है और किस पार्टी को जिम्मेवारी ले ली चाहिए इसको लेकर हमने पहले आरजेडी नेता के यहां पहुंचे आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने जिम्मेवारी लेने से इनकार करते हुए कहा कि आखिर राजद हार की जिम्मेदारी अकेले क्यों ले कांग्रेस क्यों नहीं ले शिवानंद तिवारी बताते हैं कि देशभर में गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व में बना था कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और उनके नेता प्रधानमंत्री बनने वाले थे बिहार में गठबंधन इसी शर्त पर बना था कि जीतेंगे तो प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस पार्टी के नेता का नाम आगे करेंगे,साथ ही शिवानंद तिवारी ने कहा राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन के सबसे बड़े पार्टी तो कांग्रेस ही थी इसलिए हार की जिम्मेदारी सबसे बड़े पार्टी को बनती है चुकी नेतृत्व अच्छे से काम नहीं किया इसकी वजह से छोटे पार्टियों को भी हार का सामना करना पड़ा...
वही बिहार कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कहना है कि हार की जिम्मेवारी किसी एक पार्टी नहीं लेती है बल्कि गठबंधन में सारे लोगों को लेना चाहिए हालाकी इशारों ही इशारों में प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कर दिया की गठबंधन में जो सबसे बड़े पार्टी होती है उनका बड़ा जवाब दे ही होता है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता की हार की जिम्मेवार कोई एक पार्टी है।

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का मानना है कि इस चुनाव में हुई करारी हार का सबसे बड़ा जिम्मेवारी हमारी नीति रही है एनडीए जहां अपना सीट डिक्लियर चुनाव से पहले ही कर दिया था वही महागठबंधन में सीटों को लेकर हुई खींचतान हार का सबसे बड़ा कारण रहा है।


Conclusion: बरअहाल अगर हार की जिम्मेदार ठहराने की बात की जाए तो इस समय महागठबंधन में हर नेता अपने आप को बचाने की कोशिश में एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं ऐसे में सवाल उठता है कि किसी एक नेता को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराना कितना सही है ऐसे में पार्टी के समीक्षा बैठक होने वाली है इस बैठक के बाद ही कोई पार्टी निर्णय लेने की आखिर इतनी बड़ी हार का जिम्मेवार आखिर कौन है।

ईटीवी भारत के लिए पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट
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