पटना : जेपी की धरती से केंद्र के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम को धार देने की तैयारी थी. नीतीश कुमार तमाम विपक्षी दलों के नेताओं को एकजुट करने के लिए मुहिम चला रहे थे. 12 जून को बैठक के लिए तारीख मुकर्रर की गई थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी के रुख के चलते 12 जून की बैठक को टाल दी गई. आपको बता दें कि 12 जून को ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कोर्ट ने सदस्यता रद्द कर दी थी और उसी दिन आपातकाल की पटकथा लिख दी गई थी. 12 जून की तारीख को लेकर कांग्रेस पार्टी असमंजस की स्थिति में थी. कारण यह बताया गया कि राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे उस दिन उपलब्ध नहीं रह सकेंगे.
ये भी पढ़ें- JDU On BJP : 'केंद्र सरकार लोगों को बेवकूफ बना रही है, भाजपा नेताओं के कथनी और करनी में अंतर'
कांग्रेस ने फंसा दिया विपक्षी एकता ? : मिल रही जानकारी के मुताबिक 12 जून को होने वाली बैठक के लिए लगभग 18 दलों ने सहमति दे दी थी. नीतीश कुमार चाहते हैं कि बैठक में तमाम दलों के शीर्ष नेता उपस्थित हों और भविष्य की रणनीतियों पर कुछ ठोस निर्णय लिया जाए. नवीन पटनायक, केसीआर-केटीआर ने बैठक में आने को लेकर अपनी असहमति जाहिर कर दी थी. अरविंद केजरीवाल को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजधानी पटना में होने वाली बैठक को लेकर कांग्रेस असहज क्यों है यह भी जानना जरूरी है.
स्वीकार्यता को लेकर असमंजस : नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं को बैठक में आना असहज लग रहा है. क्योंकि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है और देश की राजनीति में दूसरी बड़ी पार्टी मानी जाती है. दूसरी तरफ से नीतीश कुमार के पास 43 विधायक हैं और राष्ट्रीय स्तर पर वैसी स्वीकार्यता नहीं है. ऐसे में कांग्रेस ने एक मुख्यमंत्री और किसी और नेता को भेजने का फैसला लिया था जो नीतीश कुमार को मंजूर नहीं था.
अपनी पिच पर लाना चाहती है कांग्रेस : ममता बनर्जी ने जयप्रकाश नारायण के नाम पर बिहार की धरती से बैठक का आगाज करने का सुझाव दिया था. कांग्रेस के लिए जेपी भी असहज हैं, क्योंकि वो भी आजीवन कांग्रेस पार्टी के खिलाफ संघर्ष करते रहे. पटना की धरती पर होने वाली बैठक से कांग्रेस को परहेज नहीं है लेकिन 'जीपी के नाम पर' हो इससे कांग्रेस को ऐतराज है. कांग्रेस पार्टी विपक्षी एकता के लिए बैटलग्राउंड बिहार को बनाना नहीं चाहती है. पार्टी की मंशा यह है कि बैठक किसी कांग्रेस शासित राज्य में हो और तमाम विपक्षी नेता हमारे पिच पर बल्लेबाजी करें.
कांग्रेस को मनाने के चक्कर में पिछलग्गू न बन जाएं नीतीश: विपक्षी एकता पर बैठक की अगली तारीख कब होगी यह जदयू और कांग्रेस नेताओं के रुख पर निर्भर करता है. अगर राहुल गांधी या मलिकार्जुन खरगे सहमति दे देते हैं तभी नीतीश कुमार बैठक में खुद मौजूद रहेंगे. इधर बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि नीतीश कुमार को कांग्रेस पार्टी में आइना दिखाने का काम किया है. अगली तारीख नहीं मिलने से नीतीश कुमार बेचैन हैं. इस चक्कर में नीतीश कुमार कहीं कांग्रेस के पिछलगू न बन जाए.
जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि ''महागठबंधन की एकता के लिए प्रतिबद्ध है और नीतीश कुमार इसके लिए लगातार काम कर रहे हैं. भाजपा विरोधी दलों की बैठक होगी और तारीख का ऐलान भी शीघ्र कर दिया जाएगा. बैठक को लेकर कांग्रेस समेत तमाम दलों की सहमति है.''
''विपक्षी एकता को लेकर बैठक होना तय है. संभव है कि बैठक की तिथि जल्द ही तय हो जाए. कांग्रेस नेता ने कहा कि सभी दलों के बीच सहमति है. राहुल गांधी विदेश दौरे पर हैं लौटते ही तारीख को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.'' - डॉक्टर शकील अहमद खान, कांग्रेस विधायक दल के नेता
वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि ''कांग्रेस पार्टी बैठक तो चाहती है लेकिन उनके अपने शर्त हैं. पार्टी को यह लगता है कि छोटे दल के द्वारा शासित राज्य और नेता के छतरी के नीचे कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता कैसे आएंगे. महागठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार लेगा या नहीं. ये पूरे तौर पर कांग्रेस के रुख पर निर्भर करेगा. नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि हमारे अध्यक्षता में अगर तमाम दल आ जाएंगे तो उनके नाम की स्वीकार्यता भी बन सकती है. लेकिन कांग्रेस के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा.''