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'बिहार में MSP के करीब गेहूं के भाव की वजह से सुस्त पड़ी अधिप्राप्ति' - बिहार में MSP के करीब गेहूं के भाव

मंत्री बताते हैं कि बिहार में दरअसल गेहूं का बाजार भाव, न्यूनतम समर्थन मूल्य के करीब चल रहा है. इसलिए अधिप्राप्ति की रफतार धीमी है.

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Published : May 11, 2020, 11:02 AM IST

पटना: देश के अन्य हिस्सों में गेहूं की सरकारी खरीद जोरों पर चल रही है. लेकिन बिहार में इसकी रफ्तार सुस्त पड़ गई, जबकि प्रदेश के 35 जिलों में गेहूं की सरकारी खरीद 20 अप्रैल से ही जारी है. बिहार सरकार के मंत्री राणा रणधीर ने इसकी वजह बताई.

राणा रणधीर बिहार के सहकारिता मंत्री हैं और प्रदेश में गेहूं व धान जैसी फसलों की सरकारी खरीद करने वाली एजेंसी प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटीज(पैक्स) इनके विभाग के अंतर्गत ही आती है.

35 जिलों में गेहूं अधिप्राप्ति का काम जारी
सहकारिता मंत्री ने बताया कि चालू रबी मार्केटिंग सीजन 2020-21 में बिहार में गेहूं की सरकारी खरीद 20 अप्रैल को शुरू हो गई और 38 जिलों में सिर्फ पटना, सीतामढ़ी और कटिहार को छोड़ बाकी 35 जिलों में गेहूं अधिप्राप्ति का काम चल रहा है.

patna
खेत में काम करता किसान

गेहूं का भाव 1800-1900 रुपए प्रति क्विंटल
नीतीश सरकार के युवा मंत्रियों में शुमार राणा रणधीर पूर्वी चंपारण जिले के मधुबन से बीजेपी विधायक हैं. उन्होंने बताया कि, 'प्रदेश के 35 जिलों में गेहूं अधिप्राप्ति का काम चल रहा है, लेकिन इसकी गति इसलिए सुस्त है क्योंकि गेहूं का बाजार भाव हमारे यहां 1800-1900 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति क्विंटल है. अधिप्राप्ति का मूल उद्देश्य भी यही है कि बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम न हो.' उन्होंने कहा कि अधिप्राप्ति की गति सुस्त होने की वजह यही है कि बाजार भाव एमएसपी के करीब है और कहीं-कहीं इससे अधिक भी है.

अब तक करीब 1750 टन गेहूं की अधिप्राप्ति
राणा रणधीर ने बताया कि इसके बावजूद अब तक करीब 1750 टन गेहूं की अधिप्राप्ति हो चुकी है. हालांकि बिहार में इस साल गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य दो लाख टन है. बाजार सूत्रों से भी इस बात की पुष्टि हुई कि देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद सूबे के किसानों को गेहूं का अच्छा भाव मिल रहा है.

अच्छी क्वालिटी का गेहूं 2000 रुपए प्रति क्विंटल
बिहार की सबसे बड़ी अनाज मंडियों में शुमार पूर्णिया जिला स्थित गुलाबबाग मंडी से मिली जानकारी के अनुसार, अच्छी क्वालिटी का गेहूं इस समय मंडी में 2000 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है.

क्वालिटी गेहूं का बाजार भाव एमएसपी से नीचे
बता दें कि देश के अन्य प्रमुख गेहूं उत्पादक प्रदेशों की जींस मंडियों में मिल क्वालिटी गेहूं का बाजार भाव एमएसपी से नीचे चल रहा है. बिहार में गेहूं का भाव इस साल उंचा होने की वजह पूछे जाने पर सहकारिता मंत्री ने बताया, 'असामयिक बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है.' फसलों की सरकारी खरीद के भुगतान प्रक्रिया को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि किसानों को उनकी फसल की खरीद के 48 घंटे के भीतर सीधे उनके बैंक खाते में भुगतान किया जाता है.

patna
फाइल फोटो

मक्के की सरकारी खरीद भी शुरू करेंगे: मंत्री
बिहार में धान और गेहूं की सरकारी खरीद होती है, लेकिन प्रदेश की प्रमुख फसल मक्का व अन्य फसलों की सरकारी खरीद नहीं होती है. इस संबंध में पूछे गए सवाल पर राणा रणधीर ने कहा, किसानों की ओर से मक्का और दलहनों की अधिप्राप्ति की मांग आ रही है और इस पर हम विचार कर रहे हैं. आने वाले वर्षो में मक्के की सरकारी खरीद भी शुरू करेंगे.

कोरोना महामारी के चलते गेहूं खरीद में हुई देरी
रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की सरकारी खरीद आमतौर पर एक अप्रैल से ही पूरे देश में शुरू हो जाती है, मगर, इस साल कोरोना महामारी के प्रकोप को लेकर देशभर में लॉकडाउन होने की वजह से 15 अप्रैल से पहले कहीं भी गेहूं की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई.

पटना: देश के अन्य हिस्सों में गेहूं की सरकारी खरीद जोरों पर चल रही है. लेकिन बिहार में इसकी रफ्तार सुस्त पड़ गई, जबकि प्रदेश के 35 जिलों में गेहूं की सरकारी खरीद 20 अप्रैल से ही जारी है. बिहार सरकार के मंत्री राणा रणधीर ने इसकी वजह बताई.

राणा रणधीर बिहार के सहकारिता मंत्री हैं और प्रदेश में गेहूं व धान जैसी फसलों की सरकारी खरीद करने वाली एजेंसी प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटीज(पैक्स) इनके विभाग के अंतर्गत ही आती है.

35 जिलों में गेहूं अधिप्राप्ति का काम जारी
सहकारिता मंत्री ने बताया कि चालू रबी मार्केटिंग सीजन 2020-21 में बिहार में गेहूं की सरकारी खरीद 20 अप्रैल को शुरू हो गई और 38 जिलों में सिर्फ पटना, सीतामढ़ी और कटिहार को छोड़ बाकी 35 जिलों में गेहूं अधिप्राप्ति का काम चल रहा है.

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खेत में काम करता किसान

गेहूं का भाव 1800-1900 रुपए प्रति क्विंटल
नीतीश सरकार के युवा मंत्रियों में शुमार राणा रणधीर पूर्वी चंपारण जिले के मधुबन से बीजेपी विधायक हैं. उन्होंने बताया कि, 'प्रदेश के 35 जिलों में गेहूं अधिप्राप्ति का काम चल रहा है, लेकिन इसकी गति इसलिए सुस्त है क्योंकि गेहूं का बाजार भाव हमारे यहां 1800-1900 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति क्विंटल है. अधिप्राप्ति का मूल उद्देश्य भी यही है कि बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम न हो.' उन्होंने कहा कि अधिप्राप्ति की गति सुस्त होने की वजह यही है कि बाजार भाव एमएसपी के करीब है और कहीं-कहीं इससे अधिक भी है.

अब तक करीब 1750 टन गेहूं की अधिप्राप्ति
राणा रणधीर ने बताया कि इसके बावजूद अब तक करीब 1750 टन गेहूं की अधिप्राप्ति हो चुकी है. हालांकि बिहार में इस साल गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य दो लाख टन है. बाजार सूत्रों से भी इस बात की पुष्टि हुई कि देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद सूबे के किसानों को गेहूं का अच्छा भाव मिल रहा है.

अच्छी क्वालिटी का गेहूं 2000 रुपए प्रति क्विंटल
बिहार की सबसे बड़ी अनाज मंडियों में शुमार पूर्णिया जिला स्थित गुलाबबाग मंडी से मिली जानकारी के अनुसार, अच्छी क्वालिटी का गेहूं इस समय मंडी में 2000 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है.

क्वालिटी गेहूं का बाजार भाव एमएसपी से नीचे
बता दें कि देश के अन्य प्रमुख गेहूं उत्पादक प्रदेशों की जींस मंडियों में मिल क्वालिटी गेहूं का बाजार भाव एमएसपी से नीचे चल रहा है. बिहार में गेहूं का भाव इस साल उंचा होने की वजह पूछे जाने पर सहकारिता मंत्री ने बताया, 'असामयिक बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है.' फसलों की सरकारी खरीद के भुगतान प्रक्रिया को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि किसानों को उनकी फसल की खरीद के 48 घंटे के भीतर सीधे उनके बैंक खाते में भुगतान किया जाता है.

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फाइल फोटो

मक्के की सरकारी खरीद भी शुरू करेंगे: मंत्री
बिहार में धान और गेहूं की सरकारी खरीद होती है, लेकिन प्रदेश की प्रमुख फसल मक्का व अन्य फसलों की सरकारी खरीद नहीं होती है. इस संबंध में पूछे गए सवाल पर राणा रणधीर ने कहा, किसानों की ओर से मक्का और दलहनों की अधिप्राप्ति की मांग आ रही है और इस पर हम विचार कर रहे हैं. आने वाले वर्षो में मक्के की सरकारी खरीद भी शुरू करेंगे.

कोरोना महामारी के चलते गेहूं खरीद में हुई देरी
रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की सरकारी खरीद आमतौर पर एक अप्रैल से ही पूरे देश में शुरू हो जाती है, मगर, इस साल कोरोना महामारी के प्रकोप को लेकर देशभर में लॉकडाउन होने की वजह से 15 अप्रैल से पहले कहीं भी गेहूं की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई.

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