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Holi 2023 : होली के त्यौहार में भगवान शिव का क्यों है महत्व? जानें क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

सभी जानते हैं कि होली का इतिहास प्रह्लाद से जुड़ा है पर आपको पता है कि होली भगवान शंकर और माता पार्वती से भी संबंध रखता है. इसके बारे में हर किसी को पता नहीं होगा, लेकिन इसके पीछ भी रोचक कहानी है, जिस कारण होली मनाई जाती है. आचार्य मनोज मिश्रा ने भगवान शंकर और माता पार्वती से जुड़ी कथा के बारे बता रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Mar 1, 2023, 11:58 PM IST

आचार्य मनोज मिश्रा

पटनाः बिहार में होली काफी धूमधाम से मनायी जाती है. 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को होली है. जिसकी तैयारी जोरो पर हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन मनाया जाता है. सभी जानते हैं कि होली का त्योहार प्रह्लाद से जुड़ा (History Of Holi) है, लेकिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती से भी इसका रहस्य जुड़ा है. इसके बारे में आचार्य मनोज मिश्रा ने कथा के बारे में बताया. आइये जानते हैं क्या है रहस्य...

यह भी पढ़ेंः Holi 2023 Special : अबकी बार आजमाएं भांग के ये 7 आइटम, जमेगा होली का रंग

कामदेव से भी जुड़ा है रहस्यः पौराणिक कथा के अनुसार माता-पार्वती भगवान शिव से शादी करने के लिए घोर तपस्या करने लगी, फिर भी भगवान शिव का ध्यान नहीं टूटा तो देवता गन बहुत ही घबरा गए और निर्णय लिया गया कि किसी भी तरह भगवान शिव का ध्यान भंग किया जाए. सबसे विकट समस्या यह थी भगवान शंकर का ध्यान भंग कौन करे? कामदेव माता पार्वती की सहायता करने के लिए भगवान शिव पर कामवान चलाने के लिए तैयार हो गए हैं.

कामदेव जलकर हो गए भस्मः योजना बनने के बाद कामदेव ने भगवान शिव पर काम बाण चलाया, जिससे भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुल गया. भगवान शिव के क्रोध के कारण कामदेव वहीं पर जलकर भस्म हो गए. कामदेव के भस्म होने से उनकी पत्नी रति विधवा हो गई. भगवान शिव का ध्यान भंग हुआ और उनका मन शांत हुआ तो उनका दृष्टि माता पार्वती पर पड़ा और भगवान शिव ने माता पार्वती से शादी करने के लिए तैयार हुए, लेकिन कामदेव का भष्म होना सभी के लिए दुख भरा था.

इस दिन मनाते हैं होलिका दहन : जब भगवान शिव को मालूम चला की कामदेव का नियत गलत नहीं था. वह सिर्फ माता पार्वती की सहायता करना चाहता था. इसीलिए कामदेव ने उन पर काम बाण छोड़ा. इसके बाद भगवान शिव पुनः कामदेव पर प्रसन्न हो गए और उनको जीवनदान दिया. जिस दिन कामदेव को जीवनदान मिला वह तिथि फागुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी उसी दिन होलिका दिवस भी मनाया जाता है.

भगवान की पूजा करने से दूर होता दोषः इसी कारण होली का दिवस भगवान शिव माता पार्वती और भगवान विष्णु कथा भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है. मान्यता है कि जिन लोगों की शादी नहीं हुई है या शादी में समस्या है वे यदि रात्रि में विधि विधान से भगवान शिव का पूजा-अर्चना करें तो शादी में बाधा आता है समाप्त हो जाता है. जिनके कुंडली में कालसर्प दोष हो वह यदि होलिका दिवस के रात्रि में भगवान शिव का पूजा होलिका के भस्म से करे तो कालसर्प दोष में शांति मिलता है.

प्रह्लाद से भी जुड़ी है कथाः आचार्य ने बताया कि होली सबसे प्रचलित कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ा है. जिसके बारे में हर कोई जानता है. होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर आग में जाकर बैठ गई. लेकिन इस आग में बुराई रूपी होलिका का दहन हुआ और सच्चाई की जीत हुई. विष्णु जी की असीम कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई. उस दिन भी फाल्गुन पूर्णिमा थी. इसलिए हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन होता है. इसके अगले दिन होली मनाई जाती है.

आचार्य मनोज मिश्रा

पटनाः बिहार में होली काफी धूमधाम से मनायी जाती है. 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को होली है. जिसकी तैयारी जोरो पर हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन मनाया जाता है. सभी जानते हैं कि होली का त्योहार प्रह्लाद से जुड़ा (History Of Holi) है, लेकिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती से भी इसका रहस्य जुड़ा है. इसके बारे में आचार्य मनोज मिश्रा ने कथा के बारे में बताया. आइये जानते हैं क्या है रहस्य...

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कामदेव से भी जुड़ा है रहस्यः पौराणिक कथा के अनुसार माता-पार्वती भगवान शिव से शादी करने के लिए घोर तपस्या करने लगी, फिर भी भगवान शिव का ध्यान नहीं टूटा तो देवता गन बहुत ही घबरा गए और निर्णय लिया गया कि किसी भी तरह भगवान शिव का ध्यान भंग किया जाए. सबसे विकट समस्या यह थी भगवान शंकर का ध्यान भंग कौन करे? कामदेव माता पार्वती की सहायता करने के लिए भगवान शिव पर कामवान चलाने के लिए तैयार हो गए हैं.

कामदेव जलकर हो गए भस्मः योजना बनने के बाद कामदेव ने भगवान शिव पर काम बाण चलाया, जिससे भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुल गया. भगवान शिव के क्रोध के कारण कामदेव वहीं पर जलकर भस्म हो गए. कामदेव के भस्म होने से उनकी पत्नी रति विधवा हो गई. भगवान शिव का ध्यान भंग हुआ और उनका मन शांत हुआ तो उनका दृष्टि माता पार्वती पर पड़ा और भगवान शिव ने माता पार्वती से शादी करने के लिए तैयार हुए, लेकिन कामदेव का भष्म होना सभी के लिए दुख भरा था.

इस दिन मनाते हैं होलिका दहन : जब भगवान शिव को मालूम चला की कामदेव का नियत गलत नहीं था. वह सिर्फ माता पार्वती की सहायता करना चाहता था. इसीलिए कामदेव ने उन पर काम बाण छोड़ा. इसके बाद भगवान शिव पुनः कामदेव पर प्रसन्न हो गए और उनको जीवनदान दिया. जिस दिन कामदेव को जीवनदान मिला वह तिथि फागुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी उसी दिन होलिका दिवस भी मनाया जाता है.

भगवान की पूजा करने से दूर होता दोषः इसी कारण होली का दिवस भगवान शिव माता पार्वती और भगवान विष्णु कथा भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है. मान्यता है कि जिन लोगों की शादी नहीं हुई है या शादी में समस्या है वे यदि रात्रि में विधि विधान से भगवान शिव का पूजा-अर्चना करें तो शादी में बाधा आता है समाप्त हो जाता है. जिनके कुंडली में कालसर्प दोष हो वह यदि होलिका दिवस के रात्रि में भगवान शिव का पूजा होलिका के भस्म से करे तो कालसर्प दोष में शांति मिलता है.

प्रह्लाद से भी जुड़ी है कथाः आचार्य ने बताया कि होली सबसे प्रचलित कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ा है. जिसके बारे में हर कोई जानता है. होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर आग में जाकर बैठ गई. लेकिन इस आग में बुराई रूपी होलिका का दहन हुआ और सच्चाई की जीत हुई. विष्णु जी की असीम कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई. उस दिन भी फाल्गुन पूर्णिमा थी. इसलिए हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन होता है. इसके अगले दिन होली मनाई जाती है.

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