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Ground Report : 2 दिनों में मानसून की दस्तक.. लेकिन नहीं हो पाया जल निकासी के लिए नालों से कनेक्टिविटी का काम पूरा - Flood in Patna

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के मुताबिक 13 जून को बिहार में मानसून हिट कर जाएगा. लेकिन अबतक पटना में जल निकासी (water logging problem in patna) के लिए नालों से कनेक्टिविटी का काम पूरा नहीं पाया है. ऐसे में एक बार फिर राजधानी के लोगों को डर सताने लगा है कि अगर साल 2019 की तरह लगातार बारिश होती रही और पानी की निकासी नहीं हो पाई तो कहीं फिर से पटना डूब तो नहीं जाएगा. हालांकि नगर निगम प्रशासन और विभाग का दावा है कि जल्द ही शत-प्रतिशत काम पूरा हो जाएगा, चिंता की बात नहीं है.

फिर डूब जाएगा पटना
फिर डूब जाएगा पटना
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Published : Jun 12, 2022, 11:44 AM IST

पटना: अगले दो दिनों में बिहार में मानसून की दस्तक (Monsoon in Bihar) पड़ जाएगी लेकिन अब तक जल निकासी का काम पूरा नहीं हो सका है. राजधानी पटना के कई इलाकों में जल निकासी योजना के तहत काम अधूरा पड़ा है. इन इलाकों में जलजमाव का खतरा बरकरार है. राजधानी अंचल के गर्दनीबाग और बाबू बाजार क्षेत्र को निगम की ओर से जलजमाव को लेकर संवेदनशील माना गया है. इन इलाकों की स्थिति यह है कि नाला निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है. पटना में जलजमाव की समस्या (water logging problem in patna) से निपटने के लिए इलाके में काफी नाले बनाए गए लेकिन उनकी कहीं भी कनेक्टिविटी दूसरे नालों से नहीं की गई है. स्थिति ऐसी है कि महज 20 मीटर की दूरी में बाबू बाजार इलाके में नाले की दूसरे नालों से कनेक्टिविटी नहीं की गई है और 20 मीटर के अधूरे काम की वजह से इलाके में जलजमाव होना तय है.

ये भी पढ़ें: पटना में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तटबंध मरम्मती की तैयारी, अधिकारियों को दिये गये निर्देश

पटना में जलजमाव की समस्या: पटना के वार्ड नंबर 14 में बाबू बाजार क्षेत्र पड़ता है. वहां के स्थानीय रंजन गुप्ता ने बताया कि बरसात के समय में इस इलाके से गुजरना कठिन काम हो जाता है. जल जमाव की स्थिति रहती है और पानी के निकास की कोई व्यवस्था नहीं है. जलजमाव की वजह से मलेरिया और डेंगू के मच्छरों के प्रकोप का खतरा भी बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि इलाके में नाला बनाया गया है लेकिन उसे आगे दूसरे नाले में नहीं जोड़ा गया है. ऐसे में नाला निर्माण का कोई मतलब नहीं बनता.

रंजन के मुताबिक इलाके के लोगों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए जो नाले बने हुए हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूसरे नालों से कनेक्ट करना चाहिए. सड़क के दोनों तरफ नाले बने हुए हैं लेकिन महज 20 मीटर की दूरी से जो दूसरा नाला गुजरता है, उससे उसको कनेक्ट नहीं किया गया है. जिससे इस बार जलजमाव की समस्या सुनिश्चित है और ऐसे में वह निगम प्रशासन से अनुरोध करेंगे कि जल्द से जल्द इसे कनेक्ट किया जाए, ताकि इलाके का पानी आसानी से निकल सके.

"बरसात के समय में इस इलाके से गुजरना कठिन काम हो जाता है. हर समय जल जमाव की स्थिति रहती है और पानी के निकास की कोई व्यवस्था नहीं है. जलजमाव की वजह से मलेरिया और डेंगू के मच्छरों के प्रकोप का खतरा भी बढ़ जाता है. सड़क के दोनों तरफ नाले बने हुए हैं लेकिन महज 20 मीटर की दूरी से जो दूसरा नाला गुजरता है, उससे उसको कनेक्ट नहीं किया गया है. हमें डर है कि कहीं पटना में जलजमाव के कारण बाढ़ जैसे हालात ना हो जाए" -रंजन गुप्ता, स्थानीय, वार्ड नंबर 14, पटना

वहीं, स्थानीय अयोध्या राम बताते हैं कि बहुत दिनों से थोड़ी दूर नाला बना करके छोड़ दिया गया है और इसे दूसरे नाले में जोड़ा नहीं गया है. वह वर्षों से इस इलाके में जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं और बरसात के समय में इस इलाके में घुटने से कमर तक पानी जमा हो जाता है और कई लोग पानी में गिरते भी हैं. उन्होंने कहा कि वह यही चाहते हैं कि सरकार इस पर संज्ञान ले और उन लोगों की सुविधा के लिए जो बहुत दिनों से नाला निर्माण आधे पर छोड़ दिया गया है, उसे पूरा किया जाए और दूसरे नाली से जोड़ा जाए ताकि इधर का पानी आसानी से निकल सके और लोगों को जल जमाव की समस्या ना झेलना पड़े.

"बहुत दिनों से थोड़ी दूर नाला बना करके छोड़ दिया गया है और इसे दूसरे नाले में जोड़ा नहीं गया है. बरसात के समय में इस इलाके में घुटने से कमर तक पानी जमा हो जाता है. सरकार इस पर संज्ञान ले और उन लोगों की सुविधा के लिए जो बहुत दिनों से नाला निर्माण आधे पर छोड़ दिए गए हैं, उसे पूरा किया जाए ताकि इधर का पानी आसानी से निकल सके और लोगों को जल जमाव की समस्या ना झेलना पड़े"- अयोध्या राम, स्थानीय निवासी

पटना में ड्रेनेज सिस्टम का हाल: उधर, इस मसले पर स्थानीय पार्षद श्वेता राय से जब ईटीवी भारत ने पक्ष जानने का प्रयास किया तो वह शहर से बाहर थी और उन्होंने फोन पर कहा, 'अधूरे नाली निर्माण के लिए बुडको और एलएनटी जैसी कंपनियां जिम्मेदार हैं. इलाके में गैस पाइपलाइन और नमामि गंगे के कई कार्य चल रहे हैं. इसके लिए निर्माण एजेंसियों ने पूरे इलाके में सड़क को बर्बाद करके रख दिया है'. वहीं, नगर आयुक्त ने जानकारी दी कि जलजमाव की समस्या दूर करने के लिए सभी नालों की साफ सफाई लगभग करा ली गई है. 9 बड़े नालों की उड़ाही शत प्रतिशत करा ली गई है, जबकि डेढ़ सौ से अधिक छोटे नालों की उड़ाही 90 फीसदी से अधिक पूरी कर ली गई है और जल्द ही शत-प्रतिशत पूरी कर ली जाएगी.

फिर डूब जाएगा पटना?: इस बारे में बुडको की ओर से जानकारी दी गई कि शहर में जो 39 संप हाउस हैं, वह पूरी तरह से चालू हालत में है और इलाकों में जलजमाव की स्थिति ना हो इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं. जिस इलाके में जल निकासी योजना के काम पूरे नहीं हुए हैं, उन पर बुडको गंभीर है और कार्य अधूरा छोड़ने वाले ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सभी ठेकेदारों को आदेशित किया गया है कि जल्द ही वह बचा हुआ निर्माण कार्य पूरा करें ताकि शहर में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न ना हो. आपको बता दें कि पटना के गर्दनीबाग, पाटलिपुत्र और एजी कॉलोनी जैसे कई इलाके हैं, जहां पर अभी कई जगहों पर नाला निर्माण कार्य अधूरा है.

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पटना: अगले दो दिनों में बिहार में मानसून की दस्तक (Monsoon in Bihar) पड़ जाएगी लेकिन अब तक जल निकासी का काम पूरा नहीं हो सका है. राजधानी पटना के कई इलाकों में जल निकासी योजना के तहत काम अधूरा पड़ा है. इन इलाकों में जलजमाव का खतरा बरकरार है. राजधानी अंचल के गर्दनीबाग और बाबू बाजार क्षेत्र को निगम की ओर से जलजमाव को लेकर संवेदनशील माना गया है. इन इलाकों की स्थिति यह है कि नाला निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है. पटना में जलजमाव की समस्या (water logging problem in patna) से निपटने के लिए इलाके में काफी नाले बनाए गए लेकिन उनकी कहीं भी कनेक्टिविटी दूसरे नालों से नहीं की गई है. स्थिति ऐसी है कि महज 20 मीटर की दूरी में बाबू बाजार इलाके में नाले की दूसरे नालों से कनेक्टिविटी नहीं की गई है और 20 मीटर के अधूरे काम की वजह से इलाके में जलजमाव होना तय है.

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पटना में जलजमाव की समस्या: पटना के वार्ड नंबर 14 में बाबू बाजार क्षेत्र पड़ता है. वहां के स्थानीय रंजन गुप्ता ने बताया कि बरसात के समय में इस इलाके से गुजरना कठिन काम हो जाता है. जल जमाव की स्थिति रहती है और पानी के निकास की कोई व्यवस्था नहीं है. जलजमाव की वजह से मलेरिया और डेंगू के मच्छरों के प्रकोप का खतरा भी बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि इलाके में नाला बनाया गया है लेकिन उसे आगे दूसरे नाले में नहीं जोड़ा गया है. ऐसे में नाला निर्माण का कोई मतलब नहीं बनता.

रंजन के मुताबिक इलाके के लोगों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए जो नाले बने हुए हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूसरे नालों से कनेक्ट करना चाहिए. सड़क के दोनों तरफ नाले बने हुए हैं लेकिन महज 20 मीटर की दूरी से जो दूसरा नाला गुजरता है, उससे उसको कनेक्ट नहीं किया गया है. जिससे इस बार जलजमाव की समस्या सुनिश्चित है और ऐसे में वह निगम प्रशासन से अनुरोध करेंगे कि जल्द से जल्द इसे कनेक्ट किया जाए, ताकि इलाके का पानी आसानी से निकल सके.

"बरसात के समय में इस इलाके से गुजरना कठिन काम हो जाता है. हर समय जल जमाव की स्थिति रहती है और पानी के निकास की कोई व्यवस्था नहीं है. जलजमाव की वजह से मलेरिया और डेंगू के मच्छरों के प्रकोप का खतरा भी बढ़ जाता है. सड़क के दोनों तरफ नाले बने हुए हैं लेकिन महज 20 मीटर की दूरी से जो दूसरा नाला गुजरता है, उससे उसको कनेक्ट नहीं किया गया है. हमें डर है कि कहीं पटना में जलजमाव के कारण बाढ़ जैसे हालात ना हो जाए" -रंजन गुप्ता, स्थानीय, वार्ड नंबर 14, पटना

वहीं, स्थानीय अयोध्या राम बताते हैं कि बहुत दिनों से थोड़ी दूर नाला बना करके छोड़ दिया गया है और इसे दूसरे नाले में जोड़ा नहीं गया है. वह वर्षों से इस इलाके में जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं और बरसात के समय में इस इलाके में घुटने से कमर तक पानी जमा हो जाता है और कई लोग पानी में गिरते भी हैं. उन्होंने कहा कि वह यही चाहते हैं कि सरकार इस पर संज्ञान ले और उन लोगों की सुविधा के लिए जो बहुत दिनों से नाला निर्माण आधे पर छोड़ दिया गया है, उसे पूरा किया जाए और दूसरे नाली से जोड़ा जाए ताकि इधर का पानी आसानी से निकल सके और लोगों को जल जमाव की समस्या ना झेलना पड़े.

"बहुत दिनों से थोड़ी दूर नाला बना करके छोड़ दिया गया है और इसे दूसरे नाले में जोड़ा नहीं गया है. बरसात के समय में इस इलाके में घुटने से कमर तक पानी जमा हो जाता है. सरकार इस पर संज्ञान ले और उन लोगों की सुविधा के लिए जो बहुत दिनों से नाला निर्माण आधे पर छोड़ दिए गए हैं, उसे पूरा किया जाए ताकि इधर का पानी आसानी से निकल सके और लोगों को जल जमाव की समस्या ना झेलना पड़े"- अयोध्या राम, स्थानीय निवासी

पटना में ड्रेनेज सिस्टम का हाल: उधर, इस मसले पर स्थानीय पार्षद श्वेता राय से जब ईटीवी भारत ने पक्ष जानने का प्रयास किया तो वह शहर से बाहर थी और उन्होंने फोन पर कहा, 'अधूरे नाली निर्माण के लिए बुडको और एलएनटी जैसी कंपनियां जिम्मेदार हैं. इलाके में गैस पाइपलाइन और नमामि गंगे के कई कार्य चल रहे हैं. इसके लिए निर्माण एजेंसियों ने पूरे इलाके में सड़क को बर्बाद करके रख दिया है'. वहीं, नगर आयुक्त ने जानकारी दी कि जलजमाव की समस्या दूर करने के लिए सभी नालों की साफ सफाई लगभग करा ली गई है. 9 बड़े नालों की उड़ाही शत प्रतिशत करा ली गई है, जबकि डेढ़ सौ से अधिक छोटे नालों की उड़ाही 90 फीसदी से अधिक पूरी कर ली गई है और जल्द ही शत-प्रतिशत पूरी कर ली जाएगी.

फिर डूब जाएगा पटना?: इस बारे में बुडको की ओर से जानकारी दी गई कि शहर में जो 39 संप हाउस हैं, वह पूरी तरह से चालू हालत में है और इलाकों में जलजमाव की स्थिति ना हो इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं. जिस इलाके में जल निकासी योजना के काम पूरे नहीं हुए हैं, उन पर बुडको गंभीर है और कार्य अधूरा छोड़ने वाले ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सभी ठेकेदारों को आदेशित किया गया है कि जल्द ही वह बचा हुआ निर्माण कार्य पूरा करें ताकि शहर में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न ना हो. आपको बता दें कि पटना के गर्दनीबाग, पाटलिपुत्र और एजी कॉलोनी जैसे कई इलाके हैं, जहां पर अभी कई जगहों पर नाला निर्माण कार्य अधूरा है.

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