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देशभर में पानी के लिए त्राहिमाम के बीच पटना में रोजाना बर्बाद हो रहे हैं सैकड़ों लीटर पानी

राजधानी में कई जगहों पर पानी के पाईपों में नल नहीं होने के कारण रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है, हर साल पानी को लेकर लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.

पाइप से गिरता हुआ पानी
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Published : Jun 6, 2019, 2:32 PM IST

Updated : Jun 6, 2019, 3:15 PM IST

पटनाः जहां एक तरफ गिरते जलस्तर से लोग त्राहिमाम हैं और बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ राजधानी में कई जगहों पर बेहिसाब पानी की बर्बादी हो रही है. सवाल ये है कि इसका जिम्मेदार कौन हैं.

भूजल स्तर में गिरावट
तेजी से गिरते जलस्तर को लेकर सूबे में जल संकट गहराता जा रहा है. भूजल स्तर में गिरावट से गांव से लेकर शहर तक लोग बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि नदी, पोखर, तालाब सब सूख रहे हैं. यहां तक कि सार्वजनिक स्थलों पर लगे चापाकल भी दम तोड़ रहे हैं. लेकिन इससे अलग एक दूसरी तस्वीर भी है, जहां पानी की बेहिसाब बर्बादी हो रही है, हजारों लीटर पानी यूं ही बर्बाद हो रहा है.

wastage of water
बर्बाद होता पानी

हजारों लीटर पानी रोजाना बर्बाद
राजधानी में कई जगहों पर पानी के पाईपों में नल नहीं होने के कारण रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है, हर साल पानी को लेकर लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन उसी पानी को बचाने के लिए हम कितने तैयार और सजग होते हैं. इसका अंदाजा अपने आसपास की तस्वीरों से ही देख सकते हैं. पानी की बर्बादी कर रहे लोगों को शायद यह नहीं पता कि बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोगों के बीच पानी का क्या मोल होता है.

बर्बाद होता पानी और जानकारी देते विशेषज्ञ

35000 चापाकल सूखे
गौरतलब है कि लगातार पानी के गिरते स्तर और कम बारिश की संभावना के कारण बिहार इस बार सूखे की मार झेलने को विवश है. प्रदेश के 35000 चापाकल सूख चुके हैं, तालाबों के लिए प्रसिद्ध उत्तरी बिहार में भी इस बार पानी टैंकर पहुंचाए जा रहे हैं. राजधानी पटना की बात करें तो यहां भी जलस्तर लगभग 5 से 7 फीट नीचे चला गया है. एक तरफ लोगों को पानी के लिए लगभग 500 टैंकर को लगाया गया है, लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं सरकार के नाक के नीचे पटना में हजारों लीटर पानी बर्बाद किए जा रहे हैं.

पटनाः जहां एक तरफ गिरते जलस्तर से लोग त्राहिमाम हैं और बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ राजधानी में कई जगहों पर बेहिसाब पानी की बर्बादी हो रही है. सवाल ये है कि इसका जिम्मेदार कौन हैं.

भूजल स्तर में गिरावट
तेजी से गिरते जलस्तर को लेकर सूबे में जल संकट गहराता जा रहा है. भूजल स्तर में गिरावट से गांव से लेकर शहर तक लोग बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि नदी, पोखर, तालाब सब सूख रहे हैं. यहां तक कि सार्वजनिक स्थलों पर लगे चापाकल भी दम तोड़ रहे हैं. लेकिन इससे अलग एक दूसरी तस्वीर भी है, जहां पानी की बेहिसाब बर्बादी हो रही है, हजारों लीटर पानी यूं ही बर्बाद हो रहा है.

wastage of water
बर्बाद होता पानी

हजारों लीटर पानी रोजाना बर्बाद
राजधानी में कई जगहों पर पानी के पाईपों में नल नहीं होने के कारण रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है, हर साल पानी को लेकर लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन उसी पानी को बचाने के लिए हम कितने तैयार और सजग होते हैं. इसका अंदाजा अपने आसपास की तस्वीरों से ही देख सकते हैं. पानी की बर्बादी कर रहे लोगों को शायद यह नहीं पता कि बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोगों के बीच पानी का क्या मोल होता है.

बर्बाद होता पानी और जानकारी देते विशेषज्ञ

35000 चापाकल सूखे
गौरतलब है कि लगातार पानी के गिरते स्तर और कम बारिश की संभावना के कारण बिहार इस बार सूखे की मार झेलने को विवश है. प्रदेश के 35000 चापाकल सूख चुके हैं, तालाबों के लिए प्रसिद्ध उत्तरी बिहार में भी इस बार पानी टैंकर पहुंचाए जा रहे हैं. राजधानी पटना की बात करें तो यहां भी जलस्तर लगभग 5 से 7 फीट नीचे चला गया है. एक तरफ लोगों को पानी के लिए लगभग 500 टैंकर को लगाया गया है, लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं सरकार के नाक के नीचे पटना में हजारों लीटर पानी बर्बाद किए जा रहे हैं.

Intro: जल संकट:-- गिरते जलस्तर से त्राहिमाम का संदेश,बुंद बुंद के लिए तरसते लोग,वहीं कई जगहो पर हो रही बेहिसाब पानी कि बर्बादी जिमम्मेवार कौन.....? ईटीवी भारत पर देखिए खास रिपोर्ट:--


Body:गिरते जलस्तर को लेकर सूबे में जल संकट गहराते जा रहा है,भूजलस्तर के गिरावट से गांव से लेकर शहर तक लोग बूंद बूंद के लिए तरस रहे है,आलम यह है कि नदी,पोखर ,तालाब सूख चूके है यहां तक कि सार्वजनिक स्थलो पर लगे सभी चापाकल सुख चूके है,हलांकी इससे इतर एक और तस्वीरे जहाँ पानी कि बेहिसाब बर्बादी हो रही है,हजारों लीटर पानी यू ही बर्बाद होता दिख रहा है,राजधानी के कई जगहों पर पानी के पाईपों मे बिना नल के कारण रोजाना यू ही पानी कि बर्बादी हो रही है,आखिर हो रहे हजारों लीटर पानी कि बर्बादी को लेकर कौन है जिमम्मेवार वार..? हर साल पानी को लेकर हमसभी मुसिबतों का सामना करते है लेकिन उसी पानी को बचाने के लिए हम कितना तैयार और सजग होते है इन तस्वीरों को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है,हमसभी कितने जागरूक है, पानी कि बर्बादी कर रहे लोगो को शायद यह नहीं पता कि बूंद बूंद के लिए तरस रहे लोगो के बिच पानी का क्या मोल होता है,पानी का मोल प्यास लगने के बाद ही पता चलता है,जिसका विकल्प कोई दुसरा नही है


Conclusion: गौरतलब है कि लगातार पानी के गिरते जलस्तर और कम बारिश की संभावना के कारण बिहार इस बार सूखे की मार झेलने को विवश हैं प्रदेश के 35000 चापाकल सूख चुके हैं तालाबों के लिए प्रसिद्ध उत्तरी बिहार में भी इस बार पानी के लिए टैंकर से पहुंचाने पढ़ रहे हैं राजधानी पटना की बात करें तो यहां भी जलस्तर लगभग 5 से 7 फीट नीचे चला गया है एक तरफ लोगों को पीने के लिए लगभग 500 टैंकर को लगाया गया है लोग पानी के लिए तरस रहे हैं वहीं सरकार के नाक के नीचे पटना में हजारों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है सरकार लगातार जल संकट से निबटने के लिए बैठके पर सभी जिलो के जिलाधिकारी को टास्क दे रहे है बाईट- जानकारी देते भूजल विशेषज्ञ प्रोफेसर के.सी सिन्हा प्रिंसिपल, सायंस कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय
Last Updated : Jun 6, 2019, 3:15 PM IST
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