पटना : भारत के चुनाव आयोग ने जैसे ही राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान किया बिहार में नीतीश को राष्ट्रपति बनाने की मांग तेजी पकड़ने लगी (Nitish becomes the President of India) है. अब विकासशील इंसान पार्टी (Vikassheel Insan Party ) यानी मुकेश सहनी की पार्टी ने नीतीश को रायसीना की रेस में देखना चाहते हैं. मुकेश सहनी चाहते हैं कि नीतीश कुमार देश के राष्ट्रपति बनें. ये बिहार के लिए गर्व की बात होगी. इसलिए विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार में राष्ट्रपति बनने की सभी काबिलियत है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने ये बातें अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहीं.
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पार्टी के संस्थापक मुकेश साहनी की भी यही चाह है कि बिहार का बेटा देश का प्रथम नागरिक बने। वीआईपी के पास एक भी विधायक नहीं हैं, लेकिन वीआईपी की कामना है कि नीतीश कुमार देश के राष्ट्रपति बने।
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— Dev Jyoti (@DevJyot92186002) June 9, 2022
'नीतीश बनें देश के राष्ट्रपति' : वीआईपी के नेता ने कहा कि अगर नीतीश कुमार देश के राष्ट्रपति बनते हैं तो ये पूरे बिहार के लिए गर्व की बात होगी. इससे बिहार की पूरी जनता को खुशी होगी. उन्होंने कहा नीतीश कुमार की साफ छवि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की है. अगर नीतीश कुमार राष्ट्रपति बनते हैं तो देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के बाद यह दूसरा मौका होगा जब बिहार से कोई राष्ट्रपति बनेगा. चूंकि नीतीश कुमार की छवि एक सुलझे हुए नेता की है, ऐसे में उनके राष्ट्रपति बनने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों से भारत के संबंध में और प्रगाढ़ता आएगी.
'नीतीश में राष्ट्रपति बनने की काबिलियत': VIP ने यह भी कहा कि वर्षों तक बिहार की सफलता पूर्वक नेतृत्व करने के अलावा वे केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. ऐसे में नीतीश कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए. देव ज्योति ने साफ लहजे में कहा कि नीतीश कुमार में काबिलियत है और राष्ट्रपति पद के योग्य हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी के संस्थापक मुकेश साहनी की भी यही चाह है कि बिहार का बेटा देश का प्रथम नागरिक बने. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वीआईपी के पास एक भी विधायक नहीं हैं, लेकिन वीआईपी की कामना है कि नीतीश कुमार देश के राष्ट्रपति बनें.
18 जुलाई को राष्ट्रपति का चुनाव : गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव 2022 की घोषणा हो गई है. चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी और 21 जुलाई को मतों की गिनती होगी. इस बार राष्ट्रपति चुनाव में सांसद के मत का मूल्य 708 से घटकर 700 कर दिया गया है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 29 जून निर्धारित की गई है.
इतनी है मतदाताओं की संख्या : राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाताओं की कुल संख्या 4,809 है, जिसमें 776 सांसद और 4,033 विधायक होंगे. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संसद और राज्य विधानसभाओं के परिसर में होगा, जबकि राज्यसभा के महासचिव रिटर्निंग ऑफिसर होंगे. आम तौर पर, सांसद संसद में और विधायक अपने-अपने राज्य की विधानसभा में मतदान करते हैं. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव की कठिन परीक्षा राज्यसभा में देनी होगी.
राज्यसभा में कठिन परीक्षा : बता दें, राष्ट्रपति चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों की राज्यसभा में कठिन परीक्षा है. 10 जून को ऊपरी सदन की 57 सीटों के लिए महामुकाबला है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में संसद सदस्य (राज्य सभा और लोकसभा दोनों) और राज्यों में विधान सभाओं के सदस्य होते हैं. सांसदों की कुल संख्या 776 है (राज्यसभा 233 लोकसभा 543 ) प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 है. विधायकों के मामले में देश भर में कुल 4,120 वोट हैं. 1971 की जनगणना के अनुसार उनके वोट का मूल्य एक राज्य से दूसरे राज्य में बदलता रहता है. भाजपा जिसने हाल ही में असम, त्रिपुरा और नागालैंड से 3 सीटें जीतकर 245 सदस्यीय सदन में 101 पर पहुंच गई. उसके पास वर्तमान में 16 रिक्तियों के कारण राज्यसभा में 95 सदस्य हैं.
जानें सीट का समीकरण: भाजपा की सहयोगी जद-यू के पास 4 जबकि कांग्रेस के 29, टीएमसी के 13, आप के 8, डीएमके के 10, राजद के 6, वाईएसआरसीपी के 6, टीआरएस के 6, राजद के 5 और एनसीपी के 4 सदस्य हैं. एनडीए को अभी भी एडवांटेज है, लेकिन भाजपा के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होगा, क्योंकि राज्य विधानसभाओं में भगवा पार्टी के विधायकों की संख्या वास्तव में इस साल यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में मार्च में 4/5 की जीत के बावजूद कम हुई है. आप ने मार्च में पंजाब में जीत हासिल की थी. यह भाजपा को राज्यसभा में संख्या हासिल करने के लिए और अधिक प्रयास करने के लिए मजबूर करेगा, जबकि विपक्षी दलों पर भी अपनी घटती संख्या को बढ़ाने का दबाव होगा. राज्य सभा की जिन 57 सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है वह 15 राज्यों में फैली हुई हैं, जबकि मनोनीत सांसदों की सात सीटें भी खाली हैं. राज्यवार विवरण से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में 11, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में 6-6, बिहार में 5, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में 4-4, ओडिशा में 3, पंजाब, झारखंड में 2-2 सीटें हैं. जबकि हरियाणा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना और उत्तराखंड में एक-एक सीट है.
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