पटना: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं ( Health Facilities In Bihar ) को लेकर सरकार के अनूठी पहल कागजों तक ही सीमित है. राजधानी पटना (Patna News ) शहर से 15 किलोमीटर दूर फुलवारी ब्लॉक अन्तर्गत परसा वार्ड 7 में बने स्वास्थ्य केंद्र ( Health Center In Bihar ) में स्वास्थ्य कर्मी ( Health Workers ) और दवाओं की कमी ने स्वास्थ्य सुविधाओं का पोल खोल कर रख दी है.
मरहम पट्टी के अलावा कोई सुविधा उपलब्ध नहीं
बताया जा रहा है कि परसा वार्ड सात में पुराने जर्जर भवन के बदले में 2001 में नया भवन बनाया गया था लेकिन वो सालों से बंद पड़ा था. कोरोना महामारी के कारण सरकार की तरफ से वहां एक स्वास्थ्य कर्मी की नियुक्ती तो कर दी गई, लेकिन उस स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर पायी. मरहम पट्टी करने के अलावा स्वास्थ्य केंद्र में कोई भी सुविधा नहीं है. केंद्र में ना ही इलाज के उपयोग में आने वाली कोई मशीन उपलब्ध है और ना ही ऑक्सीजन की कोई व्यवस्था है.
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टेटनेस के इंजेक्शन के लिए जाना पड़ता है बाहर
ग्रामीणों ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में टेटनेस के इंजेक्शन तक की सुविधा नहीं है. बुखार और बीपी की दवा किसी तरह मिल जाती है. वो भी हमेशा नहीं मिलता है. गांव में अगर किसी का कोई एक्सीडेंट हो जाता है तो उसे तुरंत रेफर किया जाता है. एक ही स्वास्थ्य कर्मी है जो इसी अस्पताल में रहती है. जब मन करता है तो अस्पताल खोल देती है और जब मन करता है अंदर से ताला मार कर उसी में सो जाती है.
स्वास्थ्य कर्मी ने क्या कहा
'मैं यहां पर 4 महीने से हूं. मेरे पास जो मरीज आते हैं उनकी देखरेख में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं करती. सरकार के द्वारा जो भी दवा उपलब्ध कराया जाता है मैं मरीजों तक पहुंचाती हूं. इस स्वास्थ्य केंद्र में दो और लोगों की नियुक्ति है, लेकिन वह कोरोना ड्यूटी में लगे हैं.' - डॉ गीतांजलि
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