पटना: बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने कहा है कि संविधान की दसवीं अनुसूची में लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्षों को असीमित पावर दिए गए हैं. इसके कारण कई बार उनके निर्णय पर उंगली भी उठते रहे हैं. इसलिए इन अधिकारों की अब सही ढंग से व्याख्या होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताया है. विजय चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक प्राधिकार बनाने की बात भी कही है.
मणिपुर मामले में कोर्ट का फैसला सही
लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं. मणिपुर मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष भी किसी पार्टी विशेष से संबंधित होते हैं. ऐसे में उनके निर्णय भी प्रभावित हो सकते हैं. वहां उन्होंने तय समय सीमा में फैसला लेने का निर्देश भी दिया है. विजय चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सही ठहराया है.
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'विधानसभा अध्यक्ष के पावर की हो व्याख्या'
बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने कहा कि हम तो लंबे समय से इस मामले को उठाते रहे हैं. दसवीं अनुसूची में लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्षों को असीमित पावर दे दिए गए हैं और अब समय आ गया है कि इसकी सही ढंग से व्याख्या हो जाए. जिससे इनके निर्णय पर उंगली ना उठाया जा सके और ना विवाद हो.
गरिमामय पद विवाद में ना आए
विधानसभा अध्यक्षों पर कई बार सदस्यों के निलंबन से लेकर कई तरह के फैसलों पर सवाल खड़े होते रहे हैं. बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने कहा कि यह गरिमामय पद आगे विवाद में ना आए, इसलिए जरूरी है कि विधानसभा अध्यक्ष क्या-क्या कर सकते हैं और किस तरह के फैसले ले सकते हैं, उसकी सही ढंग से व्याख्या होना जरूरी है.