पटना: बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) से लड़ना यहां की नियति है. हर साल बाढ़ लाखों लोगों को बेघर कर जाती है और करोड़ों का नुकसान करती है. बिहार में इस बार आई बाढ़ नें हर तरफ तबाही मचाई है. बाढ़ ने दियारा के लोगों का सब कुछ डुबो दिया. अपने लिए इन लोगों ने सपनों की जिस आस को बुना था उसकी पूरी नींव ही डूब गयी.
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दियारा को बाढ़ ने डुबो दिया तो पटना में महंगाई ने विकराल रूप ले लिया. दियारा के डूब जाने से वहां के लोगों की पूरी खेती डूब गई. वहीं फसल खराब होने के चलते पटना को मिलने वाली सब्जी के भाव आसमान पर चले गए. मनेर से मोकामा तक पटना गंगा दियारा में होने वाली इस बार की पूरी सब्जी गंगा के बाढ़ में डूब गई. इस वजह से अब पटना के लोगों को महंगी सब्जी लेनी पड़ रही है. एक तो कोरोना के कहर से कमजोर हुई कमाई और उसपर से महंगाई ने पटना के लोगों के आंगन की हरियाली ही छीन ली है
पटना के 40 लाख की आबादी को 'पटना का दियारा' कम दाम पर सब्जी खिलाता था. बात गंगा से प्रभावित इलाकों की करें तो इसमें मनेर प्रखंड की 6 पंचायतें- जिसमें फीता-74 पूर्वी, फीता-74 पश्चिमी और फीता-74 मध्य, मंगरपाल, हुलासी टोला, तौफीर और सुअर मरवा 15 किमी तक का इलाका पूरी तरह गंगा में डूबा गया. इस इलाके में लगी हरी सब्जी की पूरी फसल ही खत्म हो गयी. इस इलाके से पटना शहर को नेनुआ, करैला, बैगन, टमाटर, कद्दू, भिंडी, हरी मिर्च, परवल की सब्जी आती थी जो गंगा में बढ़े पानी के कारण पूरी तरह से खत्म हो गयी है.
दानापुर के पुरानी पानापुर, पुराना मानस, नया पानापुर, कासिमचक, हेत्तनपुर , गंगहारा और पतलापुर, जिसकी कुल आबादी 2.50 लाख है. सारण जिले में पड़ने वाले अकिलपुर, हासिलपुर, कसमर पंचायत जो दिघवारा प्रखंड में है, ये वो इलाके हैं जहां से प्रतिदिन पटना को नेनुआ, करैला, बैंगन, टमाटर, कद्दू, भिंडी, हरी मिर्च, परवल सब मिलाकर 400 से 600 क्विंटल सब्जी पटना के बाजार में आती है. पूरे देश में बिकने वाली सब्जी से कम दाम पर यहां बिकती है.
पटना में इसी तरह नकटा दियारा, फतुहा, खुसरूपुर, बख्तियारपुर, बाढ़, अथमलगोला, पंडारक, मोकामा का कुल क्षेत्र ही खेती के लिए जाना है और इस इलाके में अगेती किस्म की खेती होती है. इन इलाकों से पटना सिटी, कंकड़बाग, राजेंद्र नगर और बाईपास के इलाके में टमाटर, कद्दू, भिंडी, हरी मिर्च, परवल, नेनुआ, करेला, बैगन, पपीता और केले की सब्जी आती हो जो औसतन 800 से 1200 क्विंटल के बीच होती है. पटना के लिए आने वाली ये सब्जी सीधे किसान लेकर आते हैं और बाजारों में बेचते हैं. इन इलाकों से ताजी और सस्ती सब्जी आती थी लेकिन इस बार इस इलाके के लोगों को पूरी खेती से हाथ धोना पड़ा और किसानों को उनकी होने वाली कमाई से.
किसानों ने बताया कि टमाटर की फसल की अंतिम निकासी नहीं हो पायी. उसके अलावा जो भी फसल खेत में थी पूरी फसल ही डूब गयी. गंगा में इस बार पानी भी ज्यादा आया था और सबसे बड़ी दिक्कत यह रही कि पानी ज्यादा दिन तक रुक भी गया. जिसके कारण पूरी फसल सड़ गयी. किसानों ने यह भी कहा कि पानी ज्यादा आने के करण अगेती खेती के लिए जो जमीन तैयार कर फसल लगायी जाती है, वह भी नहीं हो पायी. जिसके कारण सितम्बर के बाद जो सब्जी बाजार में आ जाती थी उसके आने में भी देरी होगी. किसानों की नकदी कमाई और रोजगार दोनों गंगा डूबा ले गयी.
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