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पति की लंबी आयु के लिए श्रद्धा के साथ महिलाएं कर रहीं हैं वट सावित्री की पूजा - पूजा

इस दिन सावित्री अपने पति सत्‍यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर आईं थीं, जिसके बाद उन्‍हें सती सावित्री कहा जाने लगा और तब से महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ये पूजा करने लगीं.

बरगद के वृक्ष के पास पूजा करती महिलाएं
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Published : Jun 3, 2019, 1:13 PM IST

Updated : Jun 3, 2019, 1:48 PM IST

पटनाः वट सावित्री पर्व पूरे बिहार में धूमधाम से मनाया जा रहा है. तमाम जिलों में सुहागिन महिलाएं उपवास रखकर अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना कर रहीं हैं. बरगद के पेड़ के नीचे सजी-धजी महिलाओं की भीड़ देखने लायक है. जो कच्चे धागे को बरगद से बांधकर उसकी परिक्रमा कर रही हैं.

राजधानी पटना में भी महिलाएं पूरी आस्था के साथ पूजा करने में व्यस्त हैं. इस बार वट सावित्री में सोमवती अमावस्या का सहयोग बना हुआ है. जो इस पर्व के लिए बेहद ही खास है. व्रती महिलाओं की मानें तो वट सावित्री व्रत करने वाली सुहागिन के पति पर आने वाले हर संकट दूर हो जाते हैं. पुराणों के अनुसार इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज के यहां से वापस ले आई थी. इसलिए उन्हें सती सावित्री कहा जाता है.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

उधर, पटनासिटी में भी सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु और अखण्ड सौभाग्यवती बने रहने के लिये वट वृक्ष की पूजा की. पूजा के दौरान महिलाओं ने अपने पति की आरती उतारी, पंखा डोलाया और फल खिला कर अपने-अपने पतियों से आशीर्वाद लिया.

गया में वट सावित्री की पूजा
बोधगया के मुहाने नदी के तट पर स्थित सरस्वती वेदी में सोमवती अमावस्या पर महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा की और अखंड सुहाग की कामना की. सुहागन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा. पूजा को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

गोपालगंज में भी हो रही पूजा
वहीं, गोपालगंज में भी अमर सुहाग का प्रतीक वट सावित्री व्रत श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यहां भी सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है. पति की लंबी उम्र और सुख शांति के लिए सुहागिन महिलाओं ने बरगद वृक्ष के जड़ में जल अर्पण किया. विधि विधान से फल-फूल के साथ रोड़ी अक्षत चढ़ाकर पूजा-अर्चना की. नव विवाहिताओं में वट सावित्री पूजा को लेकर खासा उत्साह देखा गया.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना

समस्तीपुर में भी लोक आस्था का पर्व वट सावित्री की पूजा महिलाओं ने की. मिथिलांचल का करवा चौथ कहे जाने वाला यह व्रत सौभाग्य देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना जाता है. मिथिलांचल में हर वर्ष जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को इस व्रत को मनाया जाता है. इस बार भी महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगल कामना के साथ बरगद के पेड़ की पूजा करती नजर आईं.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

नावादा में भी हो रही पूजा
नावादा में भी वट सावित्री की पूजा धूम-धाम से मनाई जा रही है. महिलाओं ने उपवास रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना की. पूजा कर रही महिलाओं ने कहा कि इस पर्व के माध्यम से सुहागिन महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करती हैं.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

पटनाः वट सावित्री पर्व पूरे बिहार में धूमधाम से मनाया जा रहा है. तमाम जिलों में सुहागिन महिलाएं उपवास रखकर अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना कर रहीं हैं. बरगद के पेड़ के नीचे सजी-धजी महिलाओं की भीड़ देखने लायक है. जो कच्चे धागे को बरगद से बांधकर उसकी परिक्रमा कर रही हैं.

राजधानी पटना में भी महिलाएं पूरी आस्था के साथ पूजा करने में व्यस्त हैं. इस बार वट सावित्री में सोमवती अमावस्या का सहयोग बना हुआ है. जो इस पर्व के लिए बेहद ही खास है. व्रती महिलाओं की मानें तो वट सावित्री व्रत करने वाली सुहागिन के पति पर आने वाले हर संकट दूर हो जाते हैं. पुराणों के अनुसार इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज के यहां से वापस ले आई थी. इसलिए उन्हें सती सावित्री कहा जाता है.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

उधर, पटनासिटी में भी सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु और अखण्ड सौभाग्यवती बने रहने के लिये वट वृक्ष की पूजा की. पूजा के दौरान महिलाओं ने अपने पति की आरती उतारी, पंखा डोलाया और फल खिला कर अपने-अपने पतियों से आशीर्वाद लिया.

गया में वट सावित्री की पूजा
बोधगया के मुहाने नदी के तट पर स्थित सरस्वती वेदी में सोमवती अमावस्या पर महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा की और अखंड सुहाग की कामना की. सुहागन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा. पूजा को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

गोपालगंज में भी हो रही पूजा
वहीं, गोपालगंज में भी अमर सुहाग का प्रतीक वट सावित्री व्रत श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यहां भी सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है. पति की लंबी उम्र और सुख शांति के लिए सुहागिन महिलाओं ने बरगद वृक्ष के जड़ में जल अर्पण किया. विधि विधान से फल-फूल के साथ रोड़ी अक्षत चढ़ाकर पूजा-अर्चना की. नव विवाहिताओं में वट सावित्री पूजा को लेकर खासा उत्साह देखा गया.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना

समस्तीपुर में भी लोक आस्था का पर्व वट सावित्री की पूजा महिलाओं ने की. मिथिलांचल का करवा चौथ कहे जाने वाला यह व्रत सौभाग्य देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना जाता है. मिथिलांचल में हर वर्ष जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को इस व्रत को मनाया जाता है. इस बार भी महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगल कामना के साथ बरगद के पेड़ की पूजा करती नजर आईं.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं

नावादा में भी हो रही पूजा
नावादा में भी वट सावित्री की पूजा धूम-धाम से मनाई जा रही है. महिलाओं ने उपवास रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना की. पूजा कर रही महिलाओं ने कहा कि इस पर्व के माध्यम से सुहागिन महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करती हैं.

वट सावित्री की पूजा करती महिलाएं
Intro:पूरे बिहार में धूमधाम से मनाया जा रहा है वट सावित्री पर्व महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए रखा उपवास---


Body:पटना--- पूरे बिहार में धूमधाम से मनाया जा रहा है वट सावित्री पर्व महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए रखा उपवास
साथ ही सुहाग की सलामती के लिए महिलाएं जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर सोमवार को वट सावित्री व्रत कर रही है बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना कर कच्चा धागा बांधकर उसकी परिक्रमा कर रही हैं इस बार वट सावित्री में सोमवती अमावस्या का सहयोग बना हुआ है इस पर्व के लिए बेहद ही खास संयोग बना हुआ है मन्नता के व्रती महिलाओं की माने तो वट सावित्री व्रत करने वाली पति पर आने वाले हर संकट को दूर हो जाता है पुराणों के अनुसार इस दिन सावित्री अपने पति सत्यभामा के प्राण को यमराज के यहां से वापस ले आई थी इसलिए उन्हें सती सावित्री कहा जाता है विद्वान आचार्यों की मानें तो सुहागन महिलाएं सुबह में स्नान कर सोलह सिंगार करके वटवृक्ष के नीचे सफाई कर सत्यवान और सावित्री की मूर्ति स्थापित कर धूप दीप रोली भी भोगी चने सिंदूर आदि से पूजन करती हैं और कथा का पाठ करवाती है।


Conclusion:
Last Updated : Jun 3, 2019, 1:48 PM IST
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