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महिला आरक्षण के चलते पुरुष अभ्यर्थियों को नहीं मिल रही है नौकरी, बोले- फैसला कीजिए सरकार

बिहार में छठे चरण के शिक्षक नियोजन (Teacher Niyojan) में 90 हजार से ज्यादा पदों पर बहाली होनी है. दो राउंड की काउंसलिंग के बावजूद अब तक महज 38 हजार पदों पर ही शिक्षकों का चयन हो सका है. शिक्षक अभ्यर्थी पद खाली रह जाने की बड़ी वजह महिलाओं का आरक्षण मानते हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Sep 8, 2021, 7:41 PM IST

पटना: बिहार में छठे चरण के शिक्षक नियोजन (Teacher Niyojan) में दो राउंड की काउंसलिंग के बावजूद अब तक महज 38 हजार पदों पर ही शिक्षकों का चयन हुआ है. शिक्षक अभ्यर्थी पद खाली रह जाने की बड़ी वजह महिला आरक्षण (Women Reservation) को बता रहे हैं.

ये भी पढ़ें- शिक्षक नियोजन की जांच में खुलासा, फर्जी सर्टिफिकेट पर नालंदा के 26 अभ्यर्थी चयनित

नीतीश सरकार (Nitish Government) ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी का आरक्षण दिया है. वहीं, शिक्षा विभाग (Education Department) की 21 अगस्त 2020 की अधिसूचना के मुताबिक सीधी नियुक्ति से भरे जाने वाले पदों पर प्रत्येक विषय में न्यूनतम 50 फीसदी महिला की नियुक्ति की जाएगी और विषम संख्या रहने पर अंतिम पद महिला के लिए चिन्हित किया जाएगा.

देखें रिपोर्ट

कुछ ऐसी ही बात इसके पहले 2012 की सेवा शर्त नियमावली में भी लिखी है. यानी बिहार में शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50% आरक्षण का लाभ मिलता है. बिहार में जारी प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की बात करें, तो छठे चरण में अब तक 38 हजार पदों पर शिक्षकों का चयन हुआ है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं. लेकिन, इससे बड़ी बात ये है कि दो राउंड की काउंसलिंग के बावजूद जो पद खाली रह गए हैं, उनमें ज्यादातर पद ऐसे हैं जहां महिला अभ्यर्थी नहीं होने की वजह से चयन नहीं हो पाया है.

ये भी पढ़ें- पटना में आंदोलन की तैयारी में शिक्षक अभ्यर्थी, शिक्षा विभाग ने कहा- समय पर होगी नियोजन की प्रक्रिया

एक तरफ महिलाओं के पद खाली रह गए तो दूसरी तरफ उसी जगह पर पुरुष अभ्यर्थी खाली हाथ लौटे, क्योंकि उनके लिए पद था ही नहीं. यही वजह है कि पुरुष अभ्यर्थी इस बात की मांग कर रहे हैं कि जिन जगहों पर महिला अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हैं, वहां पुरुष अभ्यर्थियों को सरकार मौका दें.

''महिलाओं को आगे लाने कि बिहार सरकार की नीति का हम समर्थन करते हैं, लेकिन जिस तरह से 90 हजार से ज्यादा रिक्तियों के होने पर भी एक लाख से ज्यादा पुरुष अभ्यर्थी खाली बैठे हैं, उसमें बड़ी वजह महिला आरक्षण है, क्योंकि इतनी संख्या में ट्रेंड महिलाएं उपलब्ध नहीं हैं. सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए. जिन जगहों पर महिलाओं की सीट होने के बावजूद महिलाएं उपस्थित नहीं हो रही हैं, वहां पुरुष अभ्यर्थियों को मौका दिया जाए.''- पप्पू कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी

ये भी पढ़ें- पुराने नहीं, अब सिर्फ नए खाते से होगा सरकारी स्कूलों में हिसाब-किताब

''महिलाओं को आरक्षण देकर सरकार उन्हें आगे लाना चाहती है. हम समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं और इसमें हमारी नीति स्पष्ट है.''- विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री, बिहार

इस बारे में शिक्षाविद संजय कुमार कहते हैं कि संविधान के मुताबिक आरक्षित श्रेणियों के पदों पर किसी अन्य वर्ग या कोटि के उम्मीदवारों की नियुक्ति नहीं की जा सकती है. भले ही उस कोटि के उम्मीदवार मिले या ना मिले. शेष बची हुई रिक्तियों को अगली रिक्ति में जोड़कर सीटों को भरा जा सकता है. विशेष परिस्थिति में यदि तीन बार के विज्ञापन के बाद भी आरक्षित पदों के विरुद्ध उम्मीदवार नहीं मिलता है, तो विधि विभाग के परामर्श के बाद मंत्रिमंडल की स्वीकृति लेकर उसे सामान्य अन्य कोटी में तब्दील किया जा सकता है.

पटना: बिहार में छठे चरण के शिक्षक नियोजन (Teacher Niyojan) में दो राउंड की काउंसलिंग के बावजूद अब तक महज 38 हजार पदों पर ही शिक्षकों का चयन हुआ है. शिक्षक अभ्यर्थी पद खाली रह जाने की बड़ी वजह महिला आरक्षण (Women Reservation) को बता रहे हैं.

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नीतीश सरकार (Nitish Government) ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी का आरक्षण दिया है. वहीं, शिक्षा विभाग (Education Department) की 21 अगस्त 2020 की अधिसूचना के मुताबिक सीधी नियुक्ति से भरे जाने वाले पदों पर प्रत्येक विषय में न्यूनतम 50 फीसदी महिला की नियुक्ति की जाएगी और विषम संख्या रहने पर अंतिम पद महिला के लिए चिन्हित किया जाएगा.

देखें रिपोर्ट

कुछ ऐसी ही बात इसके पहले 2012 की सेवा शर्त नियमावली में भी लिखी है. यानी बिहार में शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50% आरक्षण का लाभ मिलता है. बिहार में जारी प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन की बात करें, तो छठे चरण में अब तक 38 हजार पदों पर शिक्षकों का चयन हुआ है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं. लेकिन, इससे बड़ी बात ये है कि दो राउंड की काउंसलिंग के बावजूद जो पद खाली रह गए हैं, उनमें ज्यादातर पद ऐसे हैं जहां महिला अभ्यर्थी नहीं होने की वजह से चयन नहीं हो पाया है.

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एक तरफ महिलाओं के पद खाली रह गए तो दूसरी तरफ उसी जगह पर पुरुष अभ्यर्थी खाली हाथ लौटे, क्योंकि उनके लिए पद था ही नहीं. यही वजह है कि पुरुष अभ्यर्थी इस बात की मांग कर रहे हैं कि जिन जगहों पर महिला अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हैं, वहां पुरुष अभ्यर्थियों को सरकार मौका दें.

''महिलाओं को आगे लाने कि बिहार सरकार की नीति का हम समर्थन करते हैं, लेकिन जिस तरह से 90 हजार से ज्यादा रिक्तियों के होने पर भी एक लाख से ज्यादा पुरुष अभ्यर्थी खाली बैठे हैं, उसमें बड़ी वजह महिला आरक्षण है, क्योंकि इतनी संख्या में ट्रेंड महिलाएं उपलब्ध नहीं हैं. सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए. जिन जगहों पर महिलाओं की सीट होने के बावजूद महिलाएं उपस्थित नहीं हो रही हैं, वहां पुरुष अभ्यर्थियों को मौका दिया जाए.''- पप्पू कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी

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''महिलाओं को आरक्षण देकर सरकार उन्हें आगे लाना चाहती है. हम समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं और इसमें हमारी नीति स्पष्ट है.''- विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री, बिहार

इस बारे में शिक्षाविद संजय कुमार कहते हैं कि संविधान के मुताबिक आरक्षित श्रेणियों के पदों पर किसी अन्य वर्ग या कोटि के उम्मीदवारों की नियुक्ति नहीं की जा सकती है. भले ही उस कोटि के उम्मीदवार मिले या ना मिले. शेष बची हुई रिक्तियों को अगली रिक्ति में जोड़कर सीटों को भरा जा सकता है. विशेष परिस्थिति में यदि तीन बार के विज्ञापन के बाद भी आरक्षित पदों के विरुद्ध उम्मीदवार नहीं मिलता है, तो विधि विभाग के परामर्श के बाद मंत्रिमंडल की स्वीकृति लेकर उसे सामान्य अन्य कोटी में तब्दील किया जा सकता है.

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