पटनाः उत्तरकाशी टनल हादसा ने सभी को झकझोर दिया था. देश के कई राज्यों के 41 मजदूर टनल में फंस गए थे. आखिर में काफी मशक्कत से 17 दिनों के बाद सभी मजदूर को सुरक्षित निकाला गया. इन 41 मजदूरों में बिहार के 5 मजदूर शामिल थे, जो विभिन्न पदों पर तैनात थे. जैसे ही घटना की जानकारी मिली थी बिहार में रह रहे परिजनों में कोहराम मच गया था.
उत्तरकाशी टनल से बाहर निकल कर बिहार आए मजदूरः टनल से सुरक्षित बाहर निकले पांचों मजदूर शुक्रवार को पटना पहुंचे. सुबह से ही पटना एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम और श्रम विभाग के अधिकारी पहुंचे हुए थे. जैसे ही पांचों मजदूर पटना एयरपोर्ट पहुंचे, फूल माला पहनाकर सभी का भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान मजदूरों में काफी खुशी देखने को मिली.
17 दिनों सुरंग में बीता जीवनः बिहार के भोजपुर से सबाह अहमद, सारण से सोनू कुमार साह, रोहतास से सुनील कुमार, बांका के विरेंद्र किसकु, मुजफ्फरपुर से दीपक कुमार हादसे का शिकार हो गए थे. सभी मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया. शुक्रवार को पटना पहुंचे मजदूरों ने उन 17 दिनों की कठिनाई को बयां किया. कहा कि उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते कि किस हालात में 17 दिन गुजारे.
मजदूरों में खुशी का माहौलः पटना पहुंचे आरा निवासी सबाह अहमद ने कहा कि बहुत खुशी हुई कि मैं अपने बिहार घर पहुंच आया हूं. रोहतास के सुनील कुमार ने बताया कि उस वक्ता काफी डर का माहौल था. 17 दिनों तक बहुत कठिनाई रहना पड़ा. बांका के रहने वाले विरेंद्र किसकु ने बताया कि काफी डर का माहौल था. मैं बयां नहीं कर सकता हूं कि 17 दिनों तक अंदर रहना कितना कठिन था. पटना एयरपोर्ट पर पहुंचे मंत्री सुरेंद्र राम ने सभी मजदूरों का भव्य स्वागत किया.
"ये हमारे श्रमवीर हैं, जो देश निर्माण का काम कर रहे थे. हादसे के बाद सुरंग में फंस गए. हमलोग इनके हौसले को सलाम करते हैं. बिहार के साथ साथ पूरे देश के लोग दुआ कर रहे थे. सभी पटना एयरपोर्ट पहुंचे हैं. यहां से सभी को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा. सरकार की ओर से मदद की जाएगी." -सुरेंद्र राम, श्रम संसाधन मंत्री, बिहार
12 नवंबर को हुआ हादसाः 12 नवंबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिल्कायरा में सुरंग निर्माण के दौरान हादसा हो गया था. इस हादसे में विभिन्न राज्यों के 41 मजदूर फंस गए थे. 17 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद काफी मशक्कत से सभी मजदूर सो सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. 28 नवंबर को मजदूर को बाहर निकालने के बाद हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर अस्पताल लाया गया. जांच के बाद सभी को डिस्चार्ज करते हुए अपने अपने राज्य भेजे गए.
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