पटना/लखनऊ : कयासों और बयानों के विपरीत उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तर्ज पर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड विधानसभा चुनावों में गठबंधन करेंगे. दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व गठबंधन को लेकर एक दौर की बातचीत कर चुके हैं और यह तय है कि दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. जदयू ने अपनी राज्य ईकाई से कहा है कि वह पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती सीटों का आकलन कर बताए कि कहां पार्टी प्रत्याशी उतार सकती है.
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पिछले दिनों जदयू की प्रदेश ईकाई ने कई बार उत्तर प्रदेश की 200 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के दावे किए. पार्टी की ओर से ऐसे बयान आते रहे, जिससे यह भ्रम पैदा होने लगा कि उत्तर प्रदेश में जदयू और भाजपा की राहें जुदा-जुदा होंगी. हालांकि यह केवल दबाव बनाने की राजनीति ही थी. पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की जदयू के शीर्ष नेताओं से उत्तर प्रदेश में गठबंधन को लेकर बातचीत हो चुकी है. ऐसे में दोनों दलों के राज्य नेतृत्व कुछ भी बयान देते रहें, किंतु जब टिकट वितरण का समय आएगा. तब दोनों दलों का राष्ट्रीय नेतृत्व गठबंधन और सीटों की संख्या पर निर्णय करेंगे.
सूत्र बताते हैं कि जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन की उप्र में गठबंधन को लेकर गृहमंत्री अमित शाह से भी बात हुई है. राजीव रंजन ने अपनी राज्य ईकाई से पूर्वी उत्तर प्रदेश की उन सीटों का ब्यौरा भी मांगा है, जिन पर पार्टी की पकड़ मजबूत है. जदयू की राज्य ईकाई मानती है कि उसका प्रदेश के बड़े हिस्से में जनाधार है. खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश की बिहार से लगी लगभग सत्तर सीटों पर उसकी स्थिति बहुत अच्छी है. पार्टी का मानना है कि इन सीटों पर बिहार सरकार की शराब बंदी सहित कई अन्य अच्छी नीतियों का भी प्रभाव होगा.
जनता दल (यू) के प्रदेश महासचिव शैलेंद्र कुमार कहते हैं कि चुनाव को ध्यान में रखकर दस अगस्त को प्रदेश के पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें सभी जिलाध्यक्ष और प्रदेश के सभी सात जोनों के कोऑर्डिनेटर आए थे. कुछ मंडलों में संगठन को मजबूत बनाने के लिए फेरबदल किया गया है. सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह जिला अध्यक्षों के माध्यम से बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत बनाएं. पार्टी का फोकस पूर्वी उत्तर प्रदेश के वह इलाके हैं, जो बिहार से लगे हुए हैं. ऐसी 70 विधानसभा सीटें हैं, जिनका संगठन क्षेत्र में बहुत सक्रिय है और मजबूती से काम कर रहा है. उन सीटों पर पार्टी का ज्यादा ध्यान है.
जनता दल (यू) के प्रदेश महासचिव शैलेंद्र कुमार कहते हैं कि हम एनडीए के घटक दल हैं. पहले भी भाजपा के साथ मिलकर गठबंधन कर चुके हैं. हमारे किसान बिल और जातीय जनगणना के मुद्दों पर वैचारिक मतभेद हैं. इसके बावजूद जनता दल यूनाइटेड भाजपा के साथ गठबंधन के लिए इच्छुक है. यदि जेडीयू को सम्मानजनक सीटें दी जाएंगी, तो गठबंधन होगा. इस संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं ने भी फैसला ले लिया है कि यदि हमें सम्मानजनक भागीदारी मिली तो गठबंधन के साथ ही चुनाव लड़े जाएंगे.
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इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि जनता दल यूनाइटेड राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का राष्ट्रीय स्तर पर हमारा भागीदार है. निश्चित तौर पर बहुत सारे दलों की अपेक्षा रहती है कि गठबंधन के साथ शामिल हों. चुनाव समिति की बैठक में यह बातें तय होंगी. केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड इसे तय करेगा कि किन दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा जाएगा. फिलहाल उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी और अपना दल भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी संगठन हैं. आने वाले समय में जिस प्रकार की परिस्थितियां बनेंगी, उसी के अनुसार कार्य किया जाएगा.
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