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बिहार में RT-PCR जांच कम होने पर सियासत, 70% से अधिक एंटीजन किट का होता है उपयोग

बिहार में बीते दिनों में RT-PCR जांच में कमी देखी जा रही है. राज्य में 70 प्रतिशत से अधिक जांच एंटीजन किट से हो रही है. इस पर सियासत भी जारी है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : May 17, 2021, 10:21 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण जांच को लेकर भी खूब सियासत हो रही है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कोरोना जांच को लेकर लगातार नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी लगातार बैठकों में स्वास्थ्य विभाग को अधिक से अधिक RT-PCR जांच कराने का निर्देश दे रखा है. लेकिन बिहार में एक लाख से अधिक अभी कोरोना के जांच हो रहे हैं और उसमें मुश्किल से 30000 सैंपल का ही RT-PCR जांच हो रहा है. यानी 70% से अधिक जांच एंटीजन किट से किया जा रहा है.

20 लैब में 40000 RT-PCR जांच की क्षमता
बिहार में आरटीपीसीआर जांच की क्षमता केवल 40000 सैंपल है. कोरोना के पहले लहर में केवल आरएमआरआई पटना में ही आरटीपीसीआर जांच होता था. लेकिन आरटीपीसीआर लैब की संख्या बढ़कर अब 20 हो चुकी है. लेकिन अभी भी इनमें मुश्किल से 30000 सैंपल की जांच हो रही है. एक लैब में अधिक से अधिक 2000 से 2500 सैंपल की RT-PCR जांच होती है. बिहार में 38 जिले हैं और RT-PCR लैब मात्रा 15 जिलों में ही स्थापित है, जिसमें अधिकांश मेडिकल कॉलेज में लगाए गए हैं. 6 लैब तो केवल पटना जिले में है. ऐसे 15 जिलों को लैब को 38 जिलों से कनेक्ट किया गया है. जहां लैब है वहां एक साथ कई जिलों को उससे जोड़ा गया है और जिलों से 300 से 500 तक सैंपल प्रतिदिन लैब पहुंच रहे हैं.

सैंपल अधिक होने के कारण जांच रिपोर्ट आने में भी 1 सप्ताह से 10 दिन तक लग जा रहा है. ऐसे में RT-PCR जांच जो डॉक्टरों की ओर से भरोसेमंद माना जाता है. बिहार में कोरोना संक्रमण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. कई मरीजों की रिपोर्ट तो मौत के बाद भेजी गई है. शुरू में रिपोर्ट नहीं रहने के कारण हॉस्पिटल भर्ती भी नहीं कर रहे थे.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार पर इसी को लेकर हमला भी बोल रहे हैं. क्योंकि आरटीपीसीआर जांच सबसे बेहतर जांच माना जाता है. कुल जांच में 70% आरटी पीसीआर जांच होना चाहिए. ऐसे नीतीश कुमार ने भी बैठकों में लगातार स्वास्थ्य विभाग को अधिक से अधिक आरटी पीसीआर जांच करने का निर्देश दे रखा है. लेकिन सच्चाई यही है कि 70% से अधिक जांच एंटीजन किट के माध्यम से किया जा रहा है.

बिहार में आरटी पीसीआर लैब इस प्रकार से हैं...

जिला का नामलैब का स्थान
पटनाआरएमआरआई
पटनाएनएमसीएच
पटनाएम्स
पटनाआईजीआईएमएस
पटनापीएमसीएच
मुजफ्फरपुरएसकेएमसीएच
गयाएएमसीएच
दरभंगाडीएमसीएच
भागलपुरजीएलएमएनसीएच
दरभंगाडीएमसीएच
बेतियाजीएमसी
नालंदावीआईएमएस
पटनाएनजीएमसी(बिहटा)
किशनगंज एमजीएमसी
रोहतासएनएमसी(सासाराम)
कटिहारकेएमसी
मधुबनीएमएमसी
सहरसा एलबी केएमसी
मधेपुराजेएनकेटीएमसीएच
पूर्णियाजिला अस्पताल
पूर्वी चंपारणजिला अस्पताल

इसके साथ बक्सर औरंगाबाद, मुंगेर और सारण में आरटीपीसीआर जांच की मशीन लंबे समय से शुरू होने का इंतजार कर रही है. कोरोना संक्रमण काल में कई लैब कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने पर बंद भी किया गया और इसका भी जांच पर असर पड़ा है. साथ ही लैब टेक्नीशियन का बिहार में काफी अभाव है.

अधिकांश जांच अभी एंटीजन किट से हो रहा
प्रत्येक RT-PCR जांच लैब में 300 से 500 तक सैंपल हर जिले से भेजे जाते हैं. इससे सैंपल का बैकलॉग होता जाता है. ऐसे में सैंपल अधिक होने के कारण आरटी पीसीआर जांच केंद्र से रिपोर्ट तैयार होने में समय लगता है और इसी के कारण कई दिनों बाद लोगों को रिपोर्ट मिलता है. ऐसे रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर ही मिल जाना चाहिए. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. 1 सप्ताह से 10 दिन तक रिपोर्ट आने में लगता है और इसके कारण भी लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई है.

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण जांच को लेकर भी खूब सियासत हो रही है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कोरोना जांच को लेकर लगातार नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी लगातार बैठकों में स्वास्थ्य विभाग को अधिक से अधिक RT-PCR जांच कराने का निर्देश दे रखा है. लेकिन बिहार में एक लाख से अधिक अभी कोरोना के जांच हो रहे हैं और उसमें मुश्किल से 30000 सैंपल का ही RT-PCR जांच हो रहा है. यानी 70% से अधिक जांच एंटीजन किट से किया जा रहा है.

20 लैब में 40000 RT-PCR जांच की क्षमता
बिहार में आरटीपीसीआर जांच की क्षमता केवल 40000 सैंपल है. कोरोना के पहले लहर में केवल आरएमआरआई पटना में ही आरटीपीसीआर जांच होता था. लेकिन आरटीपीसीआर लैब की संख्या बढ़कर अब 20 हो चुकी है. लेकिन अभी भी इनमें मुश्किल से 30000 सैंपल की जांच हो रही है. एक लैब में अधिक से अधिक 2000 से 2500 सैंपल की RT-PCR जांच होती है. बिहार में 38 जिले हैं और RT-PCR लैब मात्रा 15 जिलों में ही स्थापित है, जिसमें अधिकांश मेडिकल कॉलेज में लगाए गए हैं. 6 लैब तो केवल पटना जिले में है. ऐसे 15 जिलों को लैब को 38 जिलों से कनेक्ट किया गया है. जहां लैब है वहां एक साथ कई जिलों को उससे जोड़ा गया है और जिलों से 300 से 500 तक सैंपल प्रतिदिन लैब पहुंच रहे हैं.

सैंपल अधिक होने के कारण जांच रिपोर्ट आने में भी 1 सप्ताह से 10 दिन तक लग जा रहा है. ऐसे में RT-PCR जांच जो डॉक्टरों की ओर से भरोसेमंद माना जाता है. बिहार में कोरोना संक्रमण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. कई मरीजों की रिपोर्ट तो मौत के बाद भेजी गई है. शुरू में रिपोर्ट नहीं रहने के कारण हॉस्पिटल भर्ती भी नहीं कर रहे थे.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सरकार पर इसी को लेकर हमला भी बोल रहे हैं. क्योंकि आरटीपीसीआर जांच सबसे बेहतर जांच माना जाता है. कुल जांच में 70% आरटी पीसीआर जांच होना चाहिए. ऐसे नीतीश कुमार ने भी बैठकों में लगातार स्वास्थ्य विभाग को अधिक से अधिक आरटी पीसीआर जांच करने का निर्देश दे रखा है. लेकिन सच्चाई यही है कि 70% से अधिक जांच एंटीजन किट के माध्यम से किया जा रहा है.

बिहार में आरटी पीसीआर लैब इस प्रकार से हैं...

जिला का नामलैब का स्थान
पटनाआरएमआरआई
पटनाएनएमसीएच
पटनाएम्स
पटनाआईजीआईएमएस
पटनापीएमसीएच
मुजफ्फरपुरएसकेएमसीएच
गयाएएमसीएच
दरभंगाडीएमसीएच
भागलपुरजीएलएमएनसीएच
दरभंगाडीएमसीएच
बेतियाजीएमसी
नालंदावीआईएमएस
पटनाएनजीएमसी(बिहटा)
किशनगंज एमजीएमसी
रोहतासएनएमसी(सासाराम)
कटिहारकेएमसी
मधुबनीएमएमसी
सहरसा एलबी केएमसी
मधेपुराजेएनकेटीएमसीएच
पूर्णियाजिला अस्पताल
पूर्वी चंपारणजिला अस्पताल

इसके साथ बक्सर औरंगाबाद, मुंगेर और सारण में आरटीपीसीआर जांच की मशीन लंबे समय से शुरू होने का इंतजार कर रही है. कोरोना संक्रमण काल में कई लैब कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने पर बंद भी किया गया और इसका भी जांच पर असर पड़ा है. साथ ही लैब टेक्नीशियन का बिहार में काफी अभाव है.

अधिकांश जांच अभी एंटीजन किट से हो रहा
प्रत्येक RT-PCR जांच लैब में 300 से 500 तक सैंपल हर जिले से भेजे जाते हैं. इससे सैंपल का बैकलॉग होता जाता है. ऐसे में सैंपल अधिक होने के कारण आरटी पीसीआर जांच केंद्र से रिपोर्ट तैयार होने में समय लगता है और इसी के कारण कई दिनों बाद लोगों को रिपोर्ट मिलता है. ऐसे रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर ही मिल जाना चाहिए. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. 1 सप्ताह से 10 दिन तक रिपोर्ट आने में लगता है और इसके कारण भी लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई है.

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