पटना: बिहार की राजधानी पटना में जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (JDU leader Upendra Kushwaha ) ने जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेतावनी देते हुए कहा है कि लव-कुश और अति पिछड़ा की माताओं की कोख सुनी नहीं हुई है. यह विरासत जहां से छीन कर लाई गई थी. फिर उसी को सौंपने की बात हो रही है. यह नहीं चलेगा. उपेंद्र कुशवाहा का चेहरा मुनासिब न लगे तो किसी और चेहरे को आगे ले आइए. बड़ी संघर्ष के बाद तूफान से किश्ती को बाहर निकाले थे और फिर से तूफान की तरफ धकेलेने की कोशिश हो रही है.
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लव-कुश समाज के किसी चेहरे को ही सौंपे विरासतः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा नीतीश कुमार से मेरी प्रार्थना है कि उपेंद्र कुशवाहा का चेहरा अच्छा नहीं लगता हो तो कोई और इसी विरासत को आगे बढ़ाएं. चाहे वह श्रवण कुमार ही क्यों ना हो. जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में उपेंद्र कुशवाहा ने संघर्ष के दिनों की याद ताजा की. उन्होंने कहा कि शुरुआत में बहुत ज्यादा लोगों का समर्थन नहीं मिलता है. धीरे-धीरे कारवां जब आगे बढ़ता है तो लोग साथ आते जाते हैं. समता पार्टी के समय भी यही हुआ.
"लव-कुश और अति पिछड़ा की माताओं की कोख सुनी नहीं हुई है. यह विरासत जहां से छीन कर लाई गई थी, फिर उसी को सौंपने की बात हो रही है. यह नहीं चलेगा. उपेंद्र कुशवाहा का चेहरा मुनासिब न लगे तो किसी और चेहरे को आगे ले आइए. बहुत लोग इस समाज में हैं, लेकिन फिर से उसी को बिहार नहीं सौंपी जाएगी. क्या हमलोगों ने इसीलिए इतनी कुर्बानी दी थी" - उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड
लव-कुश समाज की कुर्बानियों से नीतीश कुमार को यह मुकाम मिलाः उपेंद्र कुशवाहा बोले कि समता पार्टी की मजबूती के लिए लव-कुश सम्मेलन, कुशवाहा सम्मेलन, कुर्मी सम्मेलन कितनी जगह आयोजित की गई. उस समय जब हम लोग घूमते थे तो हॉल भी नहीं भर पाता था. जबकि नेता नीतीश कुमार भी साथ होते थे. 1994 से संघर्ष की हमलोगों ने शुरुआत की थी और 2005 में मुकाम पर पहुंचे. जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो हम लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. संघर्ष के दिनों में एक क्षण भी इधर-उधर हम नहीं गए. लोग आज कहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा इधर-उधर करते हैं, लेकिन संघर्ष के दिनों में हमेशा साथ रहे.
अपने मन से निर्णय लें नीतीशः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार अपने मन से निर्णय ले रहे थे. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जब से उनके अगल-बगल बैठने वाले 4 लोगों के सुझाव पर निर्णय लेने लगे, गड़बड़ होने लगा. आज भी मेरा मानना है नीतीश कुमार अपनी इच्छा से निर्णय लेने लगेंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री कोई भी निर्णय लेने से पहले संघर्ष के दिनों के लव-कुश और अति पिछड़ा के चेहरे को याद करें. अगल-बगल बैठने वालों को भूलें. बिहार जिस तरह से चल रहा था, आगे भी चलेगा और हम लोगों के लिए गौरव की बात होगी.
कर्पूरी ठाकुर की विरासत को नीतीश कुमार ने आगे बढ़ायाः उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बड़ी कुर्बानी देकर समता पार्टी का निर्माण हुआ था. जननायक कर्पूरी ठाकुर की विरासत नीतीश कुमार के हाथ में आई, लेकिन आज उस विरासत का क्या होगा. यह चिंता का विषय है. बहुत ही संघर्ष के बाद उस विरासत से बिहार को छीन कर लाए थे. एक बार फिर से उसी विरासत को बिहार सौंपने की तैयारी स्वीकार नहीं होगी. आज कल जो कुछ हो रहा है, सारी बातें पब्लिक डोमेन में है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार फिर से उसी खौफनाक मंजर की ओर जाएगा तो इतिहास हमको भी माफ नहीं करेगा इसलिए आज बड़ी चुनौती है.
19-20 फरवरी को पटना में बैठक: उपेंद्र कुशवाहा ने 19 और 20 फरवरी को पटना में बैठक भी बुलाई है. उस को सफल बनाने की तैयारी भी कर रहे हैं, लेकिन उनका निशाना आरजेडी और तेजस्वी यादव हैं. हालांकि तेजस्वी यादव का नाम उपेंद्र कुशवाहा कभी नहीं ले रहे हैं और नीतीश कुमार के आसपास रहने वाले तीन चार लोग हैं. उन पर निशाना साध रहे हैं. उनसे सचेत रहने की सलाह मुख्यमंत्री को दे रहे हैं.