पटना: नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहली बार नेत्र विभाग में दो मरीजों का क्रॉनिया ट्रांसप्लांट किया गया. सफल ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों में काफी खुशी का माहौल है. अस्पताल के एचओडी डॉ प्रदीप कारक ने बताया कि पहली बार नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र विभाग में आई बैंक की स्थापना की गई, जिससे लोग जागरूक हो रहे हैं. आज अपने मर्जी से 27 लोगों ने नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया.
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"पहली बार दो मरीजो की आंखों का कॉर्निया प्रत्यारोपण होने के बाद डॉक्टरों में खुशी है. जीते जी रक्तदान-मरणोपरांत नेत्रदान का जो मुहिम चल रहा है, इससे लोग काफी जागरूक हो रहे हैं. आज जिनके जीवन में अंधेरा छा गया था कॉर्निया सर्जरी के माध्यम से लोगों के जीवन में प्रकाश आया है."- डॉ. प्रदीप कारक, एचओडी, नेत्र विभाग, एनएमसीएच
क्या है कॉर्निया ट्रांसप्लांटः कॉर्निया ट्रांसप्लांट (केराटोप्लास्टी) मरीज के कॉर्निया के एक हिस्से को डोनर के कॉर्नियल टिश्यू से बदलने की सर्जिकल प्रक्रिया है. कॉर्निया आंख की एक गुंबद के आकार (dome-shaped) का सरफेस है, जो आंख की फोकस करने के काम आता है. लगभग सभी कॉर्नियल ट्रांसप्लांट प्रोसेस सफल होते हैं, लेकिन कॉर्निया ट्रांसप्लांट में कॉम्प्लिकेशन का थोड़ा रिस्क होता है, जैसे कि डोनर कॉर्निया की रिजेक्शन.
कहां से आता है कॉर्नियाः कॉर्नियल ट्रांसप्लांट में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर कॉर्निया मृत डोनर्स से आते हैं. लीवर और किडनी जैसे अंगों के विपरीत जिन लोगों को कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, उन्हें आमतौर पर लंबे इंतजार की जरूरत नहीं होती है. क्योंकि बहुत से लोग अपनी मृत्यु के बाद कॉर्निया दान कर रहे हैं. इसलिए ट्रांसप्लांट के लिए अधिक कॉर्निया उपलब्ध हैं.