पटनाः मधुबनी से गुजरने वाली नेशनल हाईवे 227 (National Highway 227) में गड्ढे की तस्वीर वायरल होने के बाद पथ निर्माण विभाग ने एक्शन लिया है. विभाग के मंत्री नितिन नवीन के निर्देश पर संज्ञान लेते हुए 2 इंजीनियर को सस्पेंड (Two Engineers Suspended In NH 227 Case) कर दिया गया है. विभाग के कार्यपालक अभियंता लोकेश नाथ मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है. जबकि संविदा पर काम कर रहे सहायक अभियंता और कनीय अभियंता की सेवा समाप्त कर दी गई है. साथ ही मुख्य अभियंता अमरनाथ पाठक और दरभंगा के अधीक्षण अभियंता ईश्वरी प्रसाद सिंह से स्पष्टीकरण मांगा गया है. जवाब संतोषप्रद नहीं मिलने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है. मंत्री ने यह भी कहा है कि सड़क को चलने लायक बनाने की कोशिश जल्द ही की जाएगी.
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दरअसल पिछले दिनों ही मधुबनी से गुजरने वाले नेशनल हाईवे 227 में कई गड्ढे की ड्रोन तस्वीर खूब वायरल हुई थी. इस सड़क में सबसे बड़ा गड्ढा 100 फीट तक का है और यह महत्वपूर्ण सड़क है. जिससे ट्रक और डंपर जैसे बड़े वाहन तो गुजरते ही हैं. बड़ी संख्या में छोटी गाड़ियों का भी आवागमन होता है. लेकिन गड्ढों के कारण दुर्घटना का डर बना रहता है. 7-8 सालों से सड़क की स्थिति दयनीय बनी हुई है. लेकिन विभागीय इंजीनियर ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया और इसी तरह की स्थिति एनएच की कई सड़कों का है. हालांकि सड़क बनाने के लिए अब तक 3 बार टेंडर जारी किया जा चुका है. लेकिन ठेकेदारों ने कुछ दूर सड़क बनाकर काम छोड़ दिया और फरार हो गए.
"मधुबनी सड़क का चौड़ीकरण एनएचएआई की ओर से किया जाना है, लेकिन तब तक इस सड़क को चलने लायक बनाने की जिम्मेवारी एनएच डिविजन की है. कार्यपालक अभियंता लोकेश नाथ मिश्रा की लापरवाही को देखते हुए निलंबित किया गया है. कनीय अभियंता को भी निलंबित किया गया है. पथ निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता अमरनाथ पाठक से स्पष्टीकरण मांगा गया है. अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो आगे और कार्रवाई होगी"- नितिन नवीन, पथ निर्माण मंत्री
आपको बता दें कि बिहार में एनएच की सड़कों को लेकर पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं. बिहार सरकार एनएच की सड़कों की मरम्मत पर पहले भी 1000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर चुकी है. लेकिन केंद्र से वह राशि भी नहीं मिली थी. जिसका जिक्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी करते रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या एनएच की मरम्मत में ठेकेदारों की मनमानी है. मधुबनी का मामला भी कमोबेश यही है. ऐसे में कुछ मामलों पर हाईकोर्ट की भी नजर है और हाईकोर्ट इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है. केंद्र सरकार की तरफ से भी पहल हुई है.