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Patna News: 4 मार्च से दो दिवसीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस का आयोजन, देश-विदेश से जुटेंगे नामी डॉक्टर्स

बिहार में पहली बार पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी कॉन्फ्रेंस का आयोजन होने जा रहा है. इसकी शुरुआत पटना में 4 मार्च को होटल चाणक्या में होगी. इसमें देश-विदेश से कई नामचीन डॉक्टर्स शामिल होंगे. दो दिनों तक बच्चों में किडनी रोग को लेकर चर्चा होगी. पढ़ें पूरी खबर...

पटना में पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट सम्मेलन
पटना में पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट सम्मेलन
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Published : Mar 2, 2023, 8:26 AM IST

पटना में दो दिवसीय पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट सम्मेलन

पटना: राजधानी पटना में पहली बार राज्य स्तरीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी सम्मेलन का आयोजन (Pediatric Nephrology Conference in Patna) होने जा रहा है. यह आयोजन 4 मार्च से 5 मार्च तक पटना के होटल चाणक्य में चलेगा. जिसमें देशभर के प्रख्यात किडनी रोग विशेषज्ञ शामिल होंगे. इसके अलावे एक चिकित्सक लंदन और दुबई से भी पहुंच रहे हैं. यह आयोजन पाटलिपुत्र नेशनल किडनी फाउंडेशन की ओर से आयोजित की गई है. जिसमें बच्चों के किडनी रोग के बढ़ते हुए मामले को लेकर विस्तार से चर्चा की जाएगी.

यह भी पढे़ं- Patna News: IGIMS में कैंसर मरीजों के लिए बना 10 बेड का इमरजेंसी वार्ड, तेजस्वी ने किया उद्घाटन

दो दिवसीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी सम्मेलन: कार्यक्रम के बारे में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएमसीएच के पूर्व किडनी रोग विभागाध्यक्ष और पाटलिपुत्र नेशनल किडनी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ हेमंत कुमार ने बताया कि बच्चों में किडनी रोग का खतरा लगातार बढ़ रहा है. इसकी वजह से बच्चों में किडनी संबंधी बीमारियों के बारे में जागरूकता का काफी ज्यादा अभाव देखा जा रहा है.

बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी जरुरी: माता-पिता भी बच्चों की किडनी रोग के शुरुआती लक्षण को नहीं समझ पाते हैं. जो आगे चलकर काफी गंभीर समस्या बन जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि हर माता-पिता के लिए यह जानना जरूरी है कि बच्चों की किडनी की कार्यप्रणाली सही रहे और इसके लिए जरूरी है कि 6 महीने में कम से कम 1 बार बच्चे के पेशाब की जांच करा ले.

मोटापा से बचें बच्चे: आईजीआईएमएस किडनी रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ ओम कुमार ने बताया कि बच्चों में किडनी रोग के मामले बढ़ने का प्रमुख कारण मोटापा होना है. इसके अलावे कई बच्चों में फास्ट फूड का प्रचलन और कम पानी पीने की बड़ी समस्या है. इसके साथ ही कई बार बच्चों में किडनी अनुवांशिक तौर पर मिलते हैं. इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता जागरूक रहें. बच्चे को यदि किडनी की बीमारी है तब बच्चे के शरीर का विकास सही तरीके से नहीं होगा.बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होगा.

यूरिन टेस्ट स्कूलों में करवाना जरुरी: उन्होंने कहा कि बच्चों में किडनी संबंधी बीमारियों का सबसे बड़ा कारण यह है कि शुरुआती समय में यह बीमारी पकड़ में नहीं आती. क्योंकि बच्चों में कोई लक्षण नहीं नजर आता. ऐसे में जरूरी है कि स्कूलों में साल में कम से कम एक बार बच्चों का यूरिन टेस्ट करवाया जाए. उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार स्कूलों में रूटीन चेकअप लगाकर ब्लड टेस्ट और आई टेस्ट किया जाता है. उसी प्रकार बच्चों के यूरिन की भी जांच की जाए. जिससे बच्चों के शरीर के स्वास्थ्य की सही तरीके से जानकारी मिल सके.

"बच्चों में किडनी रोग के मामले बढ़ने का प्रमुख कारण मोटापा होना है. इसके अलावे कई बच्चों में फास्ट फूड का प्रचलन और कम पानी पीने की बड़ी समस्या है. इसके साथ ही कई बार बच्चों में किडनी अनुवांशिक तौर पर मिलते हैं. इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता जागरूक रहें". -डॉ ओम कुमार, विभागाध्यक्ष, नेफ्रोलॉजी विभाग, आईजीआईएमएस

पटना में दो दिवसीय पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट सम्मेलन

पटना: राजधानी पटना में पहली बार राज्य स्तरीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी सम्मेलन का आयोजन (Pediatric Nephrology Conference in Patna) होने जा रहा है. यह आयोजन 4 मार्च से 5 मार्च तक पटना के होटल चाणक्य में चलेगा. जिसमें देशभर के प्रख्यात किडनी रोग विशेषज्ञ शामिल होंगे. इसके अलावे एक चिकित्सक लंदन और दुबई से भी पहुंच रहे हैं. यह आयोजन पाटलिपुत्र नेशनल किडनी फाउंडेशन की ओर से आयोजित की गई है. जिसमें बच्चों के किडनी रोग के बढ़ते हुए मामले को लेकर विस्तार से चर्चा की जाएगी.

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दो दिवसीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी सम्मेलन: कार्यक्रम के बारे में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएमसीएच के पूर्व किडनी रोग विभागाध्यक्ष और पाटलिपुत्र नेशनल किडनी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ हेमंत कुमार ने बताया कि बच्चों में किडनी रोग का खतरा लगातार बढ़ रहा है. इसकी वजह से बच्चों में किडनी संबंधी बीमारियों के बारे में जागरूकता का काफी ज्यादा अभाव देखा जा रहा है.

बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी जरुरी: माता-पिता भी बच्चों की किडनी रोग के शुरुआती लक्षण को नहीं समझ पाते हैं. जो आगे चलकर काफी गंभीर समस्या बन जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि हर माता-पिता के लिए यह जानना जरूरी है कि बच्चों की किडनी की कार्यप्रणाली सही रहे और इसके लिए जरूरी है कि 6 महीने में कम से कम 1 बार बच्चे के पेशाब की जांच करा ले.

मोटापा से बचें बच्चे: आईजीआईएमएस किडनी रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ ओम कुमार ने बताया कि बच्चों में किडनी रोग के मामले बढ़ने का प्रमुख कारण मोटापा होना है. इसके अलावे कई बच्चों में फास्ट फूड का प्रचलन और कम पानी पीने की बड़ी समस्या है. इसके साथ ही कई बार बच्चों में किडनी अनुवांशिक तौर पर मिलते हैं. इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता जागरूक रहें. बच्चे को यदि किडनी की बीमारी है तब बच्चे के शरीर का विकास सही तरीके से नहीं होगा.बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होगा.

यूरिन टेस्ट स्कूलों में करवाना जरुरी: उन्होंने कहा कि बच्चों में किडनी संबंधी बीमारियों का सबसे बड़ा कारण यह है कि शुरुआती समय में यह बीमारी पकड़ में नहीं आती. क्योंकि बच्चों में कोई लक्षण नहीं नजर आता. ऐसे में जरूरी है कि स्कूलों में साल में कम से कम एक बार बच्चों का यूरिन टेस्ट करवाया जाए. उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार स्कूलों में रूटीन चेकअप लगाकर ब्लड टेस्ट और आई टेस्ट किया जाता है. उसी प्रकार बच्चों के यूरिन की भी जांच की जाए. जिससे बच्चों के शरीर के स्वास्थ्य की सही तरीके से जानकारी मिल सके.

"बच्चों में किडनी रोग के मामले बढ़ने का प्रमुख कारण मोटापा होना है. इसके अलावे कई बच्चों में फास्ट फूड का प्रचलन और कम पानी पीने की बड़ी समस्या है. इसके साथ ही कई बार बच्चों में किडनी अनुवांशिक तौर पर मिलते हैं. इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता जागरूक रहें". -डॉ ओम कुमार, विभागाध्यक्ष, नेफ्रोलॉजी विभाग, आईजीआईएमएस

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