पटना: बिहार में बिजली लोगों को भले ही सही तरीके से मुहैया ना हो लेकिन बिल ससमय जरूर मिल जाता है और समय-समय पर दरों में वृद्धि भी की जाती है. उपभोक्ता पहले से ही बढ़ती महंगाई से परेशान है, ऊपर से बिजली का बिल भी रुलाने लगा है. यह बिल अब लोगों को और ज्यादा परेशान करने वाला है क्योंकि सरकार ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग के बिजली की दरों में बढ़ोतरी के फैसले को मंजूरी दे दी है. हालांकि आयोग ने 40 फीसदी दरों में बढ़ोतरी की मांग की थी लेकिन मुहर 24.10 फीसदी पर लगी. बिजली बिल के फिक्स्ड चार्ज पर भी डबल से ज्य़ादा बढ़ोतरी की गई है. 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक या आयोग के अगले टैरिफ आदेश तक नए दर प्रभावी रहेंगे.
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सब्सिडी के आधार पर यूनिट : बिजली की दरों में इजाफा होने के बाद उपभोक्ताओं के जेब पर इसका कितना असर पड़ेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार कितना सब्सिडी देती है. दरअसल उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का भार ना पड़े इसके लिए सरकार सब्सिडी का ऐलान करती है. हालांकि इस बार सरकार ने सब्सिडी में कटौती की है.
बिजली की नई दरें यहां जानें: बिजली कंपनियों ने 24 फीसदी बिजली दरों में वृद्धि और फिक्स्ड चार्ड भी डबल कर दिया है. ये प्रस्ताव कंपनियों ने बिजली आपूर्ति में हो रहे खर्च को आधार बनाते हुए दिया है. अब फिक्स्ड चार्ज 20 रुपये प्रति महीने कर दिया गया है जो कि पहले 10 रुपये प्रति महीने था. अब ग्रामीण क्षेत्रों के घरेलू उपभोक्ताओं को 50 यूनिट बिजली खपत करने पर 7.57 रुपये प्रति यूनिट देना होगा. वहीं इससे ज्यादा खर्च करने पर 8.22 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा. वहीं सिंचाई और कृषि क्षेत्रों के लिए मासिक बिजली बिल 800 रुपये से बढ़ाकर 1350 रुपये कर दिया गया है. सिंचाई और कृषि के लिए यूनिट की कोई बंदिश नहीं है. पहले उन्हें प्रति यूनिट 5.55 रुपये का भुगतान करना होता था जो अब 6.89 रुपये कर दिया गया है. वहीं शहरी क्षेत्रों में 100 यूनिट की खपत पर 7.57 रुपये प्रति यूनिट भुगतान करना होगा और 100 यूनिट से ज्यादा की खपत पर 9.10 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा.
वर्तमान में बिहार में बिजली की दरें: बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों के घरेलू उपभोक्ताओं को 50 यूनिट बिजली की खपत पर 6.10 रुपये प्रति यूनिट देना होता है. वहीं इससे ज्यादा खपत होने पर 6.40 रुपये देना होता है. वहीं शहरी क्षेत्रों में 100 यूनिट खपत पर 6.10 रुपये प्रति यूनिट चार्ज देना होता है, वहीं इससे ज्यादा खपत करने पर 6.95 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होता है.
दोगुना हुआ बिजली का फिक्स्ड चार्ज: बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष शिशिर कुमार ने बिजली की दरों में वृद्धि का ऐलान किया है. प्रति यूनिट बिजली की दरों का निर्धारण सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी से तय होगी लेकिन लोगों की जेब पर बोझ बढ़ना तय है. बिहार में बिजली के दरों में बढ़ोतरी के साथ ही बिजली बिल के फिक्स्ड चार्ज में भी बढ़ोतरी की गई है. इतना ही नहीं बिजली की दरों के स्लैब को तीन से घटाकर अब दो कर दिया गया है. 2023-24 के लिए आवश्यक बीएसपीटीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए स्वीकृत सकल राजस्व आवश्यकता 1231.36 करोड़ के विरूद्ध पुर्नरिक्षित एआरआर 1266.14 करोड़ का आकलन किया है जबकि आयोग ने पुर्नरिक्षित एआरआर 1152.26 करोड़ रूपया स्वीकृत किया.
बिहार में दूसरे राज्यों से महंगी है बिजली: बिहार में अन्य प्रदेशों के मुकाबले बिजली दर ज्यादा है. बिहार में फिलहाल 4.26 वहीं ओडिशा में 2.46, जम्मू कश्मीर में 2.77, हिमाचल प्रदेश में 2.57 और केरल में 2.87 रुपये प्रति यूनिट बिजली की दर है.प्रदेश में 6.22 रुपये प्रति यूनिट सप्लाई की जा रही है. बिहार में बिजली की दरें महंगी होने के कई कारण है. महंगे दामों में बिजली खरीद के साथ ही शराबबंदी भी इसके पीछे का एक कारण माना जा रहा है.
सरकार के सब्सिडी में आई कमी: बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर पारित आदेश में कहा गया है कि आयोग द्वारा आज बिहार स्टेट पॉवर ट्रांन्समिशन कंपनी लिमिटेड (बीएसपीटीसी एल) और राज्य भार पारेषण केन्द्र (स्टेट लोड डिस्पैच सेन्टर) के वित्तीय वर्ष 2023-24 के टैरिफ संबंधी याचिकाओं पर टैरिफ आदेश पारित किया गया है. बीएसपीटीसीएल द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 1516.73 करोड़ रूपये का अनुमानित सकल राजस्व की आवश्यकता का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था, प्रस्ताव पर सघन जांच के बाद 1176.62 करोड़ रूपये के एआरआर को मंजूरी दी गई है. यानी कि 340.11 करोड़ राशि कम कर दी गई. इसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 की कैंरिग कॉस्ट के साथ 339.36 करोड़ रूपये के राजस्व अधिशेष शामिल हैं.