पटना: दिल्ली में मानसून सत्र (Monsoon Session) से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. जदयू (JDU) और लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) को मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय माना जा रहा है. लेकिन संख्या बल को लेकर भाजपा (BJP) और जदयू में खींचतान है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की मुलाकात के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी.
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जदयू को 4 मंत्री पद की उम्मीद
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए मानसून सत्र से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना जताई जा रही है. भाजपा के सहयोगी दलों ने दावे भी शुरू कर दिए हैं. जदयू ने जहां सम्मानजनक उम्मीद जताई है, वहीं पशुपति पारस को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की भी तैयारी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. जदयू खेमे में विस्तार को लेकर चिंता है.
पहले विस्तार में सांकेतिक तौर पर मिले मंत्री
पहले विस्तार में जदयू को सांकेतिक तौर पर एक मंत्री का कोटा दिया गया था, लेकिन पार्टी ने सांकेतिक हिस्सेदारी से इनकार कर दिया था. लेकिन दूसरे विस्तार में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलने की स्थिति में मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात कही है. मिल रही जानकारी के मुताबिक जदयू मंत्रिमंडल में 4 बर्थ की उम्मीद लगाए बैठी है. 2 कैबिनेट और दो एमओएस का दावा पार्टी की ओर से किया जा रहा है. लेकिन भाजपा जदयू के हिस्से में दो कैबिनेट मंत्री देने के मूड में है.
बराबर होनी चाहिए हिस्सेदारी
लोजपा सांसद पशुपति पारस को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की तैयारी है. आपको बता दें कि पहले से बिहार कोटे से भाजपा के पांच मंत्री हैं. जदयू की उम्मीद भी भाजपा के बराबर मंत्री पद की है. पार्टी का तर्क है कि दोनों के सांसद लगभग बराबर-बराबर हैं. ऐसे में हिस्सेदारी भी बराबर होनी चाहिए.
भाजपा के मंत्रियों को किया जा सकता है ड्रॉप
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रियों के कार्यों की समीक्षा की है. बदली परिस्थितियों में कुछ सहयोगी दलों को मंत्रिमंडल में जगह देनी है. ऐसे में बिहार के कुछ मंत्रियों को जहां ड्रॉप किया जा सकता है वहीं नए चेहरे को जगह मिल सकती है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल या सुशील मोदी ने किसी एक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
भाजपा कोटे से रविशंकर प्रसाद, आरके सिंह, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय और अश्वनी चौबे केंद्र में मंत्री हैं. अगर बिहार से 4 नए चेहरे को शामिल किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में भाजपा कोटे के दो मंत्रियों को ड्रॉप किया जा सकता है. केंद्र सरकार के सामने प्राथमिकता उत्तर प्रदेश है. वहां चुनाव होना है. लिहाजा उत्तर प्रदेश से अधिक संख्या में मंत्री बनाए जाने की तैयारी है.
'पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. एनडीए ने 40 में से बिहार में 39 सीटों पर जीत हासिल की है. जदयू की भूमिका भी जीत में है. ऐसे में जदयू सम्मानजनक समझौते की उम्मीद करती है. घटक दलों के शीर्ष नेता इस मसले पर बैठ कर अंतिम निर्णय लेंगे.' -अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू
'केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुल संख्या के 15% को ही मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. हिस्सेदारी पूरे राज्यों को दी जानी है. ऐसे में क्षेत्रीय दलों को उसी हिसाब से हिस्सेदारी दी जा सकती है. वैसे इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है.' -नवल किशोर यादव, वरिष्ठ नेता, भाजपा
'केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार संभावित है. जदयू के साथ-साथ पशुपति पारस को भी जगह दी जा सकती है. भाजपा के पुराने चेहरे को जहां ड्रॉप किया जा सकता है, वहीं कुछ नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए बिहार से 4 से ज्यादा मंत्री केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जा सकते हैं.' -डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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