पटना: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता सह पूर्व केंद्रीय कमेटी के सदस्य गणेश शंकर विद्यार्थी का 97 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. गणेश शंकर विद्यार्थी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. पटना के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. जहां सोमवार की देर रात हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.
पूर्व केंद्रीय कमेटी के सदस्य की मौत
पटना के बांस घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता शामिल रहे. इस दौरान भाकपा के नेता ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी के निधन से कम्युनिस्ट आंदोलन और वामपंथ आंदोलन को अपूरणीय क्षति हुई है. जिसकी भरपाई भविष्य में कोई नहीं कर सकता है. छात्र जीवन से ही गणेश शंकर विद्यार्थी जन समस्याओं को लेकर आंदोलन करते हुए बिहार में कम्युनिस्ट आंदोलन को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी. साथ ही किसानों मजदूरों के लिए वह हर समय आंदोलनरत रहते थे.
गणेश शंकर विद्यार्थी की जीवनी
बता दें कि गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म रजौली में साल 1924 में हुआ था. गणेश शंकर विद्यार्थी एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे थे और उनका पूरा परिवार कांग्रेस का समर्थक था. इसके बावजूद वह परिवार में इकलौते ऐसे शख्स थे, जो कम्युनिस्ट पार्टी के साथ खड़े होकर अंतिम सांस तक चलते रहे. गणेश शंकर विद्यार्थी छात्र जीवन से ही जन समस्याओं को लेकर आंदोलन करते हुए कई बार जेल भी गए. साथ ही दो बार बिहार विधानसभा और एक बार विधान परिषद के सदस्य भी चुने गए. आजादी के बाद लंबे समय तक भारतीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे. जिसके बाद में सीपीआईएम से जुड़े और 18 वर्ष तक में सीपीआईएम के राज्य सचिव रहे.