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पटना: IGIMS में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू

कोरोना महामारी के दौर में ब्लैक फंगस का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. जिसके चलते बिहार सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू किया गया है और यहां बाहर के आने वाले मरीज को आंख, नाक और कान के डॉक्टर देखते हैं. ऐसे मरीज जिनको हल्के लक्षण हैं, उन्हें भर्त्ती नहीं किया जाता है और उन्हें दवा देकर घर में ही रहने की सलाह दी जा रही है.

PATNA
ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू
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Published : May 28, 2021, 10:40 PM IST

पटना: बिहार में लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पटना के आईजीआईएमएस को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए चिह्नित किया गया है. यहां ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है और खास इंतजाम किए गए हैं. जब यहां ज्यादा मरीज आने लगे तो अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू किया गया है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें...बिहार में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, कोरोना मरीजों की तरह रखा जाएगा रिकॉर्ड

आईजीआइएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज लगातार किया जा रहा है. सबसे पहले कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर यहां डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया. फिर ब्लैक फंगस के मरीज जब आने लगे तो राज्य सरकार ने इस अस्पताल को ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था के साथ वार्ड शुरू करने का आदेश दिया गया. उसके बाद यहां ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज शुरू किया गया. अभी भी संस्थान में 157 मरीजों का इलाज चल रहा है.

'अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू किया गया है और यहां बाहर के आनेवाले मरीज को आंख ,नाक और कान के डॉक्टर देखते हैं. ऐसे मरीज जिनको हल्के लक्षण है उन्हें भर्त्ती नहीं किया जाता है और उन्हें दवा देकर घर मे ही रहने की सलाह दी जा रही है. हमारे पास डेडिकेटेड डॉक्टर की टीम है जो लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रहे हैं'.- मनीष मंडल, IGIMS संस्थान के अधीक्षक

क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

ये भी पढ़ें- संक्रमण का डबल अटैक: IGIMS में मिला जानलेवा बीमारी 'ब्लैक फंगस' का मरीज

ये भी पढ़ें- घबराएं नहीं, IGIMS में हो रहा ब्लैक फंगस का इलाज: अधीक्षक

ये भी पढ़ें- बिहार में ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस का कहर, एक्सपर्ट से जानिए कैसे करें बचाव

ये भी पढ़ें...बिहार के इन चार अस्पतालों में होगा ब्लैक फंगस का इलाज

पटना: बिहार में लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पटना के आईजीआईएमएस को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए चिह्नित किया गया है. यहां ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है और खास इंतजाम किए गए हैं. जब यहां ज्यादा मरीज आने लगे तो अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू किया गया है.

देखें रिपोर्ट.

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आईजीआइएमएस में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज लगातार किया जा रहा है. सबसे पहले कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर यहां डेडिकेटेड अस्पताल बनाया गया. फिर ब्लैक फंगस के मरीज जब आने लगे तो राज्य सरकार ने इस अस्पताल को ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था के साथ वार्ड शुरू करने का आदेश दिया गया. उसके बाद यहां ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज शुरू किया गया. अभी भी संस्थान में 157 मरीजों का इलाज चल रहा है.

'अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी शुरू किया गया है और यहां बाहर के आनेवाले मरीज को आंख ,नाक और कान के डॉक्टर देखते हैं. ऐसे मरीज जिनको हल्के लक्षण है उन्हें भर्त्ती नहीं किया जाता है और उन्हें दवा देकर घर मे ही रहने की सलाह दी जा रही है. हमारे पास डेडिकेटेड डॉक्टर की टीम है जो लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रहे हैं'.- मनीष मंडल, IGIMS संस्थान के अधीक्षक

क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

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