पटना: राजधानी पटना के विद्यालयों के बाहर खड़े स्कूल वाहन कितने फीट हैं. इसका लेखा-जोखा परिवाहन विभाग के पास नहीं है. आधे से ज्यादा स्कूल वाहन जुगाड़ पर निर्भर हैं. सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन को दरकिनार करते स्कूल संचालक बच्चों को वाहन में ठूंसकर बैठाते हैं. किसी भी स्कूल वैन में बच्चे सुरक्षा बेल्ट लगाए नहीं मिलते हैं. आज राजधानी पटना में परिवहन विभाग के द्वारा बैठक की गई. जिसमें निर्णय लिया गया कि विभाग स्कूल वाहनों के फिटनेस, प्रदूषण, परमिट, इंस्यूरेंस आदि मानकों की जांच करेगी. वाहनों में कमी पाए जाने पर कार्रवाई होगी.
पटना में चलेगा स्कूल वाहनों का चेकिंग अभियान: परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूली बसों की जांच कराई जा रही है. लगातार कई बस में यह शिकायतें प्राप्त हो रही है कि उसमें स्पीड के मानकों का पालन नहीं किया जाता है. स्कूल बसों के लिए जो सुरक्षा मानक हैं उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है. वहीं स्कूल वाहनों की जांच के लिए सभी जिलों के डीटीओ को निर्देश दिये गये हैं.
15 एमवीआई की बनाई गई टीम: उन्होंने बताया कि स्कूलों के बच्चों को लाने के लिए प्रयुक्त सभी प्रकार के वाहनों की रिपोर्ट भी मांगी गई है. वहीं पटना में स्कूलों का सर्वेक्षण कर स्कूली वाहनों की जांच के लिए 15 एमवीआई की टीम बनाई गई है. परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने बताया है कि राज्य के विभिन्न स्कूलों में चलने वाले स्कूली वाहनों की जांच की जायेगी.
"स्कूली बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह जांच कराई जा रही है. कई बस में यह शिकायतें प्राप्त हो रही है कि उसमें स्पीड के मानकों का पालन नहीं किया जाता है. स्कूल बसों के लिए जो सुरक्षा मानक हैं उसका पालन नहीं किया जा रहा है. परिवहन विभाग ने सभी जिलों के जिला परिवहन पदाधिकारी को निर्देश दिया है." -संजय कुमार अग्रवाल, परिवहन सचिव
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