पटना: कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए शिशु रोग विभाग (Department of Pediatrics) पटना एम्स (Patna AIIMS) और बिहार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिहार के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर और नर्सों की पीआईसीयू ट्रेनिंग (PICU Training) का आयोजन शुरू हुआ.
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कोरोना से बच्चों को बचाने की कवायद
कार्यक्रम का शुभारंभ एम्स के निदेशक डॉ. पी. के. सिंह ने दीप जलाकर किया. इस मौके पर अधीक्षक डॉ. सी. एम. सिंह, डीन डॉ. उमेश भदानी और कृषि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेश तिवारी समेत कई चिकित्सक मौजूद रहे. इस कार्यक्रम में 31 डॉक्टर और नर्सों ने हिस्सा लिया. यह कार्यक्रम 2 सप्ताह तक चलेगा. इसमें सभी को पीआईसीयूकी ट्रेनिंग (PICU Training) दी जाएगी. कार्यक्रम के पहले दिन स्थिति के बारे में राज्य के कार्यक्रम पदाधिकारी एवं निदेशक, नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NVBDCP) डॉक्टर अंजनी कुमार के द्वारा बताया गया.
पीआईसीयू सेंसिटाइजेशन एंड ओवरशिप प्रोग्राम का यह तीसरा संस्करण है. जिसका डॉक्टरों को 2 सप्ताह के लिए पीआईसीयू की ट्रेनिंग दी जा रही है. पटना एम्स (Patna AIIMS) के पीकू (PICU) को राज्य के अन्य पीकू को डिजिटल माध्यम से जोड़ने के लिए एम्स पटना एवं स्टार्टअप क्लाउडसपीटल निर्मित द कियोस्क पीआईसीयू का प्रदर्शन भी इस कार्यक्रम में किया जाएगा.
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तीसरी लहर में बच्चों को संक्रमित होने का खतरा
कियोस्क (Kiosk) के माध्यम से अन्य पीकू (Paediatric Intensive Care Unit) को पटना एम्स में पदस्थापित वरीय चिकित्सकों द्वारा दूरस्थ परामर्श दिया जाएगा. जिससे पीकू में भर्ती बच्चों की चिकित्सा में सहायता मिलेगी. इस कियोस्क में मौजूद नई तकनीक जैसे हृदय ध्वनि सुनने के लिए डिजिटल स्टैथोस्कोप, डिजिटल ऑटोस्कोप, डिजिटल डर्माटोस्कोप के माध्यम से भर्ती बच्चों की वास्तविक समय में क्लीनिकल जांच की जा सकेगी.
बच्चों के एक्सरे सीटी स्कैन अल्ट्रासाउंड इकोकार्डियोग्राफी, मल्टी पारा मॉनिटर्स और और ब्लड रिपोर्ट को भी ऑडियो वीडियो माध्यम से देखा जा सकेगा. इस कियोस्क के माध्यम से पीकू में भर्ती बच्चों की 24 घंटे निगरानी वरीय चिकित्सकों द्वारा की जा सकेगी और आपातकाल के समय में उनका बहुमूल्य परामर्श लिया जा सकेगा.
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दो सप्ताह तक चलेगा कार्यक्रम
कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रतिभागियों को बीमार बच्चों का मूल्यांकन करने एवं पीकू की कार्यप्रणाली और दस्तावेजों का लेखा जोखा रखने के बारे में बताया जाएगा. 2 सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि राज्य में चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू और सुदृढ़ बनाना है.