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पटनाः नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ की शुरुआत, छठ व्रतियों ने लगाई गंगा में डुबकी

चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व छठ बिहार का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. पर्व नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो रहा है. इस अवसर पर हजारों की संख्या में छठव्रतियों ने अलखानाथ घाट पर गंगा में डुबकी लगाई.

महापर्व छठ की शुरुआत
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Published : Oct 31, 2019, 11:50 AM IST

पटनाः भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ शुरू हो गया है. नहाय-खाय के मौके पर छठव्रती स्नान और पूजन-अर्चन के बाद कद्दू और चावल से बने प्रसाद को ग्रहण करती हैं. इसके अगले दिन खरना के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.

छठ व्रतियों ने लगाई गंगा में डुबकी
चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व बिहार का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. पर्व नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो रहा है. इस अवसर पर हजारों की संख्या में छठ व्रतियों ने अलखानाथ घाट पर गंगा में डुबकी लगाई. छठ व्रती स्नान कर पूजा पाठ किया और अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की. वहीं, घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए प्रशासन की तरफ से एसडीआरएफ टीम की तैनाती की गई थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

चार दिनों का होता है छठ पर्व
छठ का प्रारंभ 'नहाय-खाय' से होता है, जिस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती हैं. इस दिन खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी को दिनभर व्रती उपवास कर शाम में स्नान कर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की आराधना कर प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस पूजा को 'खरना' कहा जाता है.

patna
प्रसाद खाती छठव्रती

इसके अगले दिन उपवास रखकर शाम को व्रतियां बांस से बने दउरा में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब, या अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं. चौथे दिन व्रतियां सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर वापस लौटकर अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करती हैं, यानी व्रत तोड़ती हैं.

पटनाः भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ शुरू हो गया है. नहाय-खाय के मौके पर छठव्रती स्नान और पूजन-अर्चन के बाद कद्दू और चावल से बने प्रसाद को ग्रहण करती हैं. इसके अगले दिन खरना के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.

छठ व्रतियों ने लगाई गंगा में डुबकी
चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व बिहार का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. पर्व नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो रहा है. इस अवसर पर हजारों की संख्या में छठ व्रतियों ने अलखानाथ घाट पर गंगा में डुबकी लगाई. छठ व्रती स्नान कर पूजा पाठ किया और अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की. वहीं, घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए प्रशासन की तरफ से एसडीआरएफ टीम की तैनाती की गई थी.

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चार दिनों का होता है छठ पर्व
छठ का प्रारंभ 'नहाय-खाय' से होता है, जिस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती हैं. इस दिन खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी को दिनभर व्रती उपवास कर शाम में स्नान कर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की आराधना कर प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस पूजा को 'खरना' कहा जाता है.

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प्रसाद खाती छठव्रती

इसके अगले दिन उपवास रखकर शाम को व्रतियां बांस से बने दउरा में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब, या अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं. चौथे दिन व्रतियां सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर वापस लौटकर अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करती हैं, यानी व्रत तोड़ती हैं.

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Body:शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो जाती है जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है।कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। क्योंकि इस महीने में सारे देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है मतलब 1 महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते हैं। इस महीने को त्यौहार को का महीना भी कहा जाता है लक्ष्मी पूजा छठ पूजा, दीपा पूजा, सूर्य पूजा, विष्णु पूजा जैसे उत्सव मनाए जाते।

कार्तिक माह चतुर्दशी एवं छोटी दीवाली को लेकर आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी जैसे-जैसे कार्तिक माह बढ़ रही हो और श्रद्धालुओं की भीड़ भी बढ़ती जा रही है सुबह-सुबह दूर-दूर से महिलाएं आकर अलखनाथ घाट में गंगा स्नान कर पूजा करती हैं और अपने परिवार के लिए सुख और समृद्धि की कामना करती हैं वह स्थानीय लोगों द्वारा पूजा-पाठ सिंगार सहित कई तरह के दुकान लगाए गए वही कल से भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया है जैसे-जैसे कार्तिक माह के दिन बीत रहे और छठ नजदीक आ रही है वैसे उसे पूरा माहौल भक्तिमय होता जा रहा है। वही महिला श्रद्धालुओं ने गंगा नदी के किनारे माता गंगा की पूजा अर्चना की गीत गाए।

नहा खा एंव पुरानी संगत के साथ आज छठ महापर्व की हुई शुरुआत हजारों श्रद्धालुओं ने अलखनाथ घाट में गंगा में लगाई डुबकी श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए प्रशासन की तरफ से एसडीआरएफ टीम की अलखनाथ घाट पर की गई है। वहीं कई महिला गंगा घाट पर ही कद्दू भात भोजन बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण कर रही है अलखनाथ घाट में लाइट से लेकर सभी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त कर दिया गया है।4 दिनों तक चलने वाला यह महापर्व बिहार का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है इस पर्व को लेकर बिहार से दूर रहने वाले सभी घर पहुंचकर मां छठ की आराधना में जुटे हैं।

सुबह से ही गंगा स्नान करने के लिए महिलाओं की भीड़ अलखनाथ घाट,उमानाथ घाट और बाढ़ के विभिन्न घाटों में उमड़ पड़ी है।वहीं महिलाएं स्नान कर पूजा पाठ की और अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। कई महिलाएं लगातार एक महीने तक गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं।

उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने में इतना महत्व है कि लोग 1 महीने के लिए बनारस सिमरिया बाढ़ के उमा नाथधाम बाढ़ के अलखनाथ धाम चले आते हैं और 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान पूजा पाठ करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है जो आषाढ़ महीने का अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।

वाइट- आनंद मोहन पांडे lअलखनाथ घाट के पुजारी)




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