पटना: नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा होती है. चंद्रघंटा जैसा की नाम से प्रतीत हो रहा है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप का पूजन करने से अहंकार, क्रोध से मुक्ति मिल जाती है. मां चंद्रघंटा का स्वरुप सौम्यता एवं शांति से भरा हुआ होता है. इसके अलावा माता चंद्रघंटा सभी कष्टों का निवारण भी करती हैं. तो कैसे करें माता चंद्रघंटा का पूजन और किन मंत्रों से मां को प्रसन्न कर सकते हैं. आइए जानते हैं.
मां चंद्रघंटा की उपासना से मिलती हैं सौम्यता और विनम्रता
नवरात्र के तीसरे दिन की पूजा का खास महत्व शास्त्रों में भी बताया गया है. इस दिन मां के विग्रह का पूजन और आराधना की जाती है. माता की कृपा से भक्तों को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों में वीरता और निर्भीकता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास भी होता है.
भक्तों की मनोकमना पूर्ण करती हैं माता
आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि चंद्रघंटा का मतलब स्वर्ण के समान माता का चमकता शरीर घंटे का आकार अर्धचंद्र विराजमान होता है. इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है. मां चंद्रघंटा की पूजा करने वाले भक्त मन, कर्म, वचन, शुद्ध होकर पूजा करने वालों के सब पाप खत्म हो जाते हैं. जिसकी जो मनोकामना होती हैं वह माता पूर्ण करती हैं.
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आज ही के दिन महिषासुर का हुआ था संहार
आज ही के दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश मिलकर अपने आभूषण और अस्त्र-शस्त्र माता को प्रदान किए थे. देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला. असुरों का स्वामी महिषासुर था. महिषासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर लिया और स्वर्ग लोक पर राज करने लगा. इसे देखकर सभी देवता गण परेशान हो गए थे. इस समस्या से निकलने का उपाय जानने के लिए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए. देवताओं ने बताया कि महिषासुर ने इंद्र, चंद, वायु और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और उन्हें बंधक बनाकर स्वर्ग लोक का राजा बन गया है.
देवताओं ने बताया कि महिषासुर अत्याचार कर रहे हैं. तब जाकर एक देवी का अवतरण हुआ. भगवान शंकर ने त्रिशूल और भगवान विष्णु ने चक्र प्रदान किया. इसी प्रकार अन्य देवी-देवताओं ने माता के हाथों में अर्थशास्त्र सजा दिया, सूर्य ने अपना तेज और तलवार दिया. सवारी के लिए शेर दिया. देवी महिषासुर से युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार थी. उनका विशालकाय रूप देखकर महिषासुर को लगा की काल आ गया है. माता ने आज ही के दिन महिषासुर का वध भी किया था. साथ में अन्य बड़े दानव और राक्षसों का संहार कर दिया गया. इस तरह सभी देवताओं को असुरों से अभयदान दिलाया था.
ऐसे करें मां चंद्रघंटा का पूजन
मां चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद तेज से भरा हुआ है. मां का शरीर सोने के समान चमकीला है और माथे पर अर्धचंद्राकार रूप में चंद्रमा विराजमान हैं. 10 भुजा धारी माता चंद्रघंटा के हाथों में घंटा, कमल, धनुष बाण, कमंडल, तलवार, त्रिशूल, गदा व अन्य अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं. सफेद पुष्प चढ़ाएं और मां को खीर का भोग लगाएं. माता चंद्रघंटा को सफेद पुष्प की माला बेहद पसंद है और भोग स्वरूप माता के आगे छेने के बने सफेद मिष्ठान या दूध से बनी सामग्री जैसे का भोग लगाना विशेष फलदायी माना जाता है.
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मां के पूजन से ये होता है लाभ
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता चंद्रघंटा की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है. माता के हाथ में मौजूद घंटे की ध्वनि मात्र से जीवन में काम, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, मोह समेत अन्य कई तरह की चीजें खत्म होती हैं और जीवन उत्तम होता है. इस मंत्र से करें मां की पूजा.
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चंदकोपास्त्रकैर्युता।प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।
नवरात्रि व्रत के नियम
- नवरात्र व्रत में नियमों का पालन जरूर करना चाहिए.
- नवरात्र के 9 दिनों तक पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
- नवरात्र के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
- व्रत के दिन के समय फल और दूध का सेवन कर सकते हैं.
- शाम के समय मां की आरती करके परिवार के लोगों को प्रसाद बांटकर खुद भी प्रसाद ग्रहण करें.
- नवरात्रि के दौरान भोजन ग्रहण न करें सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
- अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन करवाकर उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
- संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.