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Navratra 2023 : नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है, जानें पूजा विधि और मंत्र

देश में चारों तरफ नवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है. नवरात्र का आज चौथा दिन है. आज मां कुष्मांडा सवरूप की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां कुष्मांडा ने ही संसार की रचना की है. मां कूष्मांडा स्वरूप की पूजा कैसे की जाती है जाने आचार्य रामशंकर दूबे से.

Navratra 2023
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 18, 2023, 6:03 AM IST

Updated : Oct 18, 2023, 8:09 AM IST

मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना विधि

पटना : नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है. अपनी मंद मुस्कान के द्वारा 'अंड' यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण माता को 'कूष्मांडा' के नाम से पुकारा जाता है. मां 'कूष्मांडा' की आठ भुजाएं हैं. आठ हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है. एक हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली, जप की माला ली हुई हैं. माता रानी सिंह के वाहन पर सवार हैं. माता का मुख अति तेज है, जो लोगों को वरदान देने वाली हैं.


ये भी पढ़ें: Navratri 2023 : दूसरे दिन की पूजा में जरूर बरतें ये सावधानी, त्याग की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना से मिलता है धैर्य-साहस

मां कूष्मांडा की पूजा विधि : आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि नवरात्र के चौथे दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भक्तों को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन करके माता की पूजा अर्चना शुरू करना चाहिए. गणेश वंदना से पूजा अर्चना शुरू करें उसके बाद मां कुष्मांडा का ध्यान धारें. मां को स्नान कराएं. अक्षत, पान-पत्ता, रोली, लौंग, इलायची, फल चढ़ाएं. खास करके माता रानी को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा में उनका लाल रंग के फूल लाल गुलाब कमल भी अर्पित किया जा सकता है.

''माता को भोग लगाने के लिए दही और हलवे की भोग लगाना चाहिए. जिससे माता प्रसन्न होती हैं. इसके बाद सप्तशती का पाठ करें. माता की आरती उतारे और क्षमा प्रार्थना करें इस तरह से पूजा करने से मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है.''- रामशंकर दूबे, आचार्य


मनवांक्षित फल देने वाली मां हैं कूष्मांडा : आचार्य रामशंकर दूबे ने कहा कि जो भी भक्त नवरात्र के 9 दिन कलश स्थापना करके पूजा अर्चना करते हैं उनको प्रतिदिन सुबह और शाम में मां की पूजा अर्चना करना चाहिए. जिस तरह से सुबह में पूजा अर्चना करते हैं, ठीक उसी प्रकार शाम में भी पूजा अर्चना करके माता को भोग लगाना चाहिए. माता की आरती उतारनी चाहिए. इस तरह प्रतिदिन पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना माता रानी पूर्ण करती हैं.


ब्रह्मांड की रचना करने वाली हैं मां कूष्मांडा : आचार्य रामशंकर दूबे ने कहा कि मां कुष्मांडा का चतुर्थ स्वरूप की पूजा अर्चना करने से अंधकार का नाश होता है. असत्य पर सत्य का विजय होता है. माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था और कोई भी जीव जंतु नहीं था तो मां दुर्गा ने इस 'अंड' यानी ब्रह्मांड की रचना मां कुष्मांडा ने की थी.

इस मंत्र का करें जाप : जो भक्त आज मां कुष्मांडा के ओम कुष्मांडा दिव्ये नमः मंत्र का जाम 108 बार करेंगे तो उनके दुख, पीड़ा दूर होगी और घर में सुख शांति बनी रहेगी. काम में पदोन्नति होगी. लक्ष्मी का आगमन होगा. क्योंकि ब्रह्मांड के सभी वस्तुओं और प्राणियों में मां कूष्मांडा का तेज व्याप्त है.

ये भी पढ़ें: Navratri 2023 : नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा में जरूर करें ये काम, मन्नतें होंगी पूरी

मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना विधि

पटना : नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है. अपनी मंद मुस्कान के द्वारा 'अंड' यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण माता को 'कूष्मांडा' के नाम से पुकारा जाता है. मां 'कूष्मांडा' की आठ भुजाएं हैं. आठ हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है. एक हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली, जप की माला ली हुई हैं. माता रानी सिंह के वाहन पर सवार हैं. माता का मुख अति तेज है, जो लोगों को वरदान देने वाली हैं.


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मां कूष्मांडा की पूजा विधि : आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि नवरात्र के चौथे दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भक्तों को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन करके माता की पूजा अर्चना शुरू करना चाहिए. गणेश वंदना से पूजा अर्चना शुरू करें उसके बाद मां कुष्मांडा का ध्यान धारें. मां को स्नान कराएं. अक्षत, पान-पत्ता, रोली, लौंग, इलायची, फल चढ़ाएं. खास करके माता रानी को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा में उनका लाल रंग के फूल लाल गुलाब कमल भी अर्पित किया जा सकता है.

''माता को भोग लगाने के लिए दही और हलवे की भोग लगाना चाहिए. जिससे माता प्रसन्न होती हैं. इसके बाद सप्तशती का पाठ करें. माता की आरती उतारे और क्षमा प्रार्थना करें इस तरह से पूजा करने से मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है.''- रामशंकर दूबे, आचार्य


मनवांक्षित फल देने वाली मां हैं कूष्मांडा : आचार्य रामशंकर दूबे ने कहा कि जो भी भक्त नवरात्र के 9 दिन कलश स्थापना करके पूजा अर्चना करते हैं उनको प्रतिदिन सुबह और शाम में मां की पूजा अर्चना करना चाहिए. जिस तरह से सुबह में पूजा अर्चना करते हैं, ठीक उसी प्रकार शाम में भी पूजा अर्चना करके माता को भोग लगाना चाहिए. माता की आरती उतारनी चाहिए. इस तरह प्रतिदिन पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना माता रानी पूर्ण करती हैं.


ब्रह्मांड की रचना करने वाली हैं मां कूष्मांडा : आचार्य रामशंकर दूबे ने कहा कि मां कुष्मांडा का चतुर्थ स्वरूप की पूजा अर्चना करने से अंधकार का नाश होता है. असत्य पर सत्य का विजय होता है. माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था और कोई भी जीव जंतु नहीं था तो मां दुर्गा ने इस 'अंड' यानी ब्रह्मांड की रचना मां कुष्मांडा ने की थी.

इस मंत्र का करें जाप : जो भक्त आज मां कुष्मांडा के ओम कुष्मांडा दिव्ये नमः मंत्र का जाम 108 बार करेंगे तो उनके दुख, पीड़ा दूर होगी और घर में सुख शांति बनी रहेगी. काम में पदोन्नति होगी. लक्ष्मी का आगमन होगा. क्योंकि ब्रह्मांड के सभी वस्तुओं और प्राणियों में मां कूष्मांडा का तेज व्याप्त है.

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Last Updated : Oct 18, 2023, 8:09 AM IST
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