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पटना के IGIMS में 3 मरीजों की हुई मौत, 1 ब्लैक फंगस से ग्रसित

पटना के आइजीआइएमएस(IGIMS) में शनिवार को अस्पताल में 3 मरीज की मौत हुई है. जिसमें 1 ब्लैक फंगस से ग्रसित थे. अभी आइजीआइएमएस में 118 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती है. जिसका इलाज किया जा रहा है.

PATNA
पटना के IGIMS में 3 मरीजों की हुई मौत
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Published : Jun 12, 2021, 11:06 PM IST

पटना: आइजीआइएमएस (IGIMS) में कोरोना मरीजों (Corona Patinet) के साथ-साथ ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों का भी इलाज चल रहा है. फिलहाल संस्थान में कुल 118 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं. जिसमें 10 कोरोना पॉजिटिव और 108 कोरोना नेगेटिव मरीज हैं.

ये भी पढ़ें: तीसरी लहर की आहट! IGIMS में 8 साल के बच्चे का फेफड़ा 90 प्रतिशत तक संक्रमित, कोरोना रिपोर्ट है निगेटिव

ब्लैक फंगस के मरीजों का ऑपरेशन
संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने आज 6 ब्लैक फंगस के मरीजों का ऑपरेशन भी किया गया है. आज भी संस्थान में 5 नए ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती किये गए हैं. इसके साथ-साथ कोरोना मरीज का भी इलाज यहां हो रहा है.

ये भी पढ़ें: Doctor Advice on Black Fungus: ब्लैक फंगस से डरना नहीं, इन बातों का रखें ध्यान...

118 मरीजों का इलाज
आज कोरोना के 3 मरीजों की भी मौत (3 Patient died due to corona ) संस्थान में हुई है. जिसमें एक ब्लैक फंगस (Black Fungus) से ग्रसित थे. फिलहाल IGIMS में कोरोना के 118 मरीजों का इलाज चल रहा है. IGIMS में फिलहाल 218 ऑक्सीजन बेड खाली हैं. जबकि आईसीयू (ICU) और वेंटिलेटर बेड पूरी तरह से मरीजों से भरा है.

नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए OPD शुरू
बिहार में लगातार ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पटना के आईजीआईएमएस (IGIMS) को ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज के लिए चिह्नित किया गया है. यहां ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है और खास इंतजाम किए गए हैं. जब यहां ज्यादा मरीज आने लगे तो अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी भी शुरू किया गया है.

118 मरीजों का चल रहा इलाज
आईजीआइएमएस((IGIMS) में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज लगातार किया जा रहा है. सबसे पहले कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर यहां डेडिकेटेड अस्पताल (Dedicated covid hospital) बनाया गया. फिर ब्लैक फंगस के मरीज जब आने लगे तो राज्य सरकार ने इस अस्पताल को ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था के साथ वार्ड शुरू करने का आदेश दिया गया. उसके बाद यहां ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज शुरू किया गया. अभी भी संस्थान में 118 मरीजों का इलाज चल रहा है.

क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) (mucormycosis) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

कैसे होता है ब्लैक या व्हाइट फंगस?
उदाहरण के लिए बताया गया कि यदि किसी खाद्य पदार्थ को अधिक देर तक वातावरण में छोड़ देते हैं, तो उसके उपर बनने वाला काला अथवा उजला स्तर फंगस(White Fugus) कहलाता है. सामान्य मनुष्य के शरीर में इसका संक्रमण नहीं हो पाता है. यदि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. जैसे अनियंत्रित मधुमेह, अधिक मात्रा में दवा के रूप में स्टॉयराईड (डेक्सामेथासीन/प्रेडनीसोलोन) या कैंसर चिकित्सा के रूप में केमोथेरेपी के बाद जब शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है तो यह शरीर को संक्रमित कर सकता है.

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

पटना
ब्लैक फंगस के लक्षण

3 प्रकार के होते हैं मरीज
अधीक्षक मनीष मंडल के अनुसार तीन तरह के ब्लैक फंगस के रोगी अस्पताल पहुंच रहे हैं.

  • पहला: जिन्हें कोविड हुआ था और वे ठीक होकर घर चले गए लेकिन 15 से 20 दिन के अंदर उन्हें ब्लैक फंगस इंफेक्शन हो रहा है.
  • दूसरा: वैसे मरीज होते हैं जो कोविड पॉजिटिव होते हैं. इलाज चल रहा है लेकिन अचानक मरीज को ब्लैक फंगस हो जाता है. ये वैसे मरीज होते है जो घर पर रहकर इलाज कर रहे हैं. और घर पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था किए हुए हैं. जो ऑक्सीजन और पाइप इस्तेमाल किया जाता है उसमें फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है.
  • तीसरा: वैसे मरीज होते हैं जो अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं. जैसे ब्लड प्रेशर, शूगर, किडनी की बीमारी, टीबी या कैंसर. ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी कम रहती है. ज्यादातर ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता है.
    पटना
    ब्लैक फंगस से कैसे बचें

रखें इन बातों का ख्याल (Black Fungus Symptoms)
अधीक्षक ने बताया कि आम जनता को इस बीमारी के लक्षणों को समझना है और लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना है. ब्लैक फंगस के लक्षणों में व्यक्ति के आंख और नाक में दर्द, आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द, चेहरे में एक तरफ सूजन, नाक तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दातों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी व मानसिक स्थिति में परिवर्तन आदि लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें- संक्रमण का डबल अटैक: IGIMS में मिला जानलेवा बीमारी 'ब्लैक फंगस' का मरीज

ये भी पढ़ें- घबराएं नहीं, IGIMS में हो रहा ब्लैक फंगस का इलाज: अधीक्षक

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ये भी पढ़ें...बिहार के इन चार अस्पतालों में होगा ब्लैक फंगस का इलाज

पटना: आइजीआइएमएस (IGIMS) में कोरोना मरीजों (Corona Patinet) के साथ-साथ ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों का भी इलाज चल रहा है. फिलहाल संस्थान में कुल 118 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं. जिसमें 10 कोरोना पॉजिटिव और 108 कोरोना नेगेटिव मरीज हैं.

ये भी पढ़ें: तीसरी लहर की आहट! IGIMS में 8 साल के बच्चे का फेफड़ा 90 प्रतिशत तक संक्रमित, कोरोना रिपोर्ट है निगेटिव

ब्लैक फंगस के मरीजों का ऑपरेशन
संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने आज 6 ब्लैक फंगस के मरीजों का ऑपरेशन भी किया गया है. आज भी संस्थान में 5 नए ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती किये गए हैं. इसके साथ-साथ कोरोना मरीज का भी इलाज यहां हो रहा है.

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118 मरीजों का इलाज
आज कोरोना के 3 मरीजों की भी मौत (3 Patient died due to corona ) संस्थान में हुई है. जिसमें एक ब्लैक फंगस (Black Fungus) से ग्रसित थे. फिलहाल IGIMS में कोरोना के 118 मरीजों का इलाज चल रहा है. IGIMS में फिलहाल 218 ऑक्सीजन बेड खाली हैं. जबकि आईसीयू (ICU) और वेंटिलेटर बेड पूरी तरह से मरीजों से भरा है.

नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए OPD शुरू
बिहार में लगातार ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पटना के आईजीआईएमएस (IGIMS) को ब्लैक फंगस (Black Fungus) के इलाज के लिए चिह्नित किया गया है. यहां ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम बनाई गई है और खास इंतजाम किए गए हैं. जब यहां ज्यादा मरीज आने लगे तो अब संस्थान में नॉन कोविड ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए ओपीडी भी शुरू किया गया है.

118 मरीजों का चल रहा इलाज
आईजीआइएमएस((IGIMS) में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज लगातार किया जा रहा है. सबसे पहले कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर यहां डेडिकेटेड अस्पताल (Dedicated covid hospital) बनाया गया. फिर ब्लैक फंगस के मरीज जब आने लगे तो राज्य सरकार ने इस अस्पताल को ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था के साथ वार्ड शुरू करने का आदेश दिया गया. उसके बाद यहां ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज शुरू किया गया. अभी भी संस्थान में 118 मरीजों का इलाज चल रहा है.

क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) (mucormycosis) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.

कैसे होता है ब्लैक या व्हाइट फंगस?
उदाहरण के लिए बताया गया कि यदि किसी खाद्य पदार्थ को अधिक देर तक वातावरण में छोड़ देते हैं, तो उसके उपर बनने वाला काला अथवा उजला स्तर फंगस(White Fugus) कहलाता है. सामान्य मनुष्य के शरीर में इसका संक्रमण नहीं हो पाता है. यदि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. जैसे अनियंत्रित मधुमेह, अधिक मात्रा में दवा के रूप में स्टॉयराईड (डेक्सामेथासीन/प्रेडनीसोलोन) या कैंसर चिकित्सा के रूप में केमोथेरेपी के बाद जब शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है तो यह शरीर को संक्रमित कर सकता है.

क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

पटना
ब्लैक फंगस के लक्षण

3 प्रकार के होते हैं मरीज
अधीक्षक मनीष मंडल के अनुसार तीन तरह के ब्लैक फंगस के रोगी अस्पताल पहुंच रहे हैं.

  • पहला: जिन्हें कोविड हुआ था और वे ठीक होकर घर चले गए लेकिन 15 से 20 दिन के अंदर उन्हें ब्लैक फंगस इंफेक्शन हो रहा है.
  • दूसरा: वैसे मरीज होते हैं जो कोविड पॉजिटिव होते हैं. इलाज चल रहा है लेकिन अचानक मरीज को ब्लैक फंगस हो जाता है. ये वैसे मरीज होते है जो घर पर रहकर इलाज कर रहे हैं. और घर पर ही ऑक्सीजन की व्यवस्था किए हुए हैं. जो ऑक्सीजन और पाइप इस्तेमाल किया जाता है उसमें फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है.
  • तीसरा: वैसे मरीज होते हैं जो अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं. जैसे ब्लड प्रेशर, शूगर, किडनी की बीमारी, टीबी या कैंसर. ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी कम रहती है. ज्यादातर ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता है.
    पटना
    ब्लैक फंगस से कैसे बचें

रखें इन बातों का ख्याल (Black Fungus Symptoms)
अधीक्षक ने बताया कि आम जनता को इस बीमारी के लक्षणों को समझना है और लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना है. ब्लैक फंगस के लक्षणों में व्यक्ति के आंख और नाक में दर्द, आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द, चेहरे में एक तरफ सूजन, नाक तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दातों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी व मानसिक स्थिति में परिवर्तन आदि लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

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