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कृषि अभियंत्रण में शोध और बदलाव पर चर्चा, 3 दिनों तक चलेगा अंतरराष्ट्रीय सिम्पोजियम - ईटीवी भारत

पटना के ज्ञान भवन में कृषि अभियंत्रण के 55वें वार्षिक समारोह (Annual Function of Agricultural Engineering) का आयोजन किया गया. कृषि की चुनौतियों को देखते हुए कृषि अभियंत्रण में शोध और बदलाव को लेकर 23 से 25 नवंबर तक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिम्पोजियम (Three Days International Symposium) में चर्चा की जाएगी.

Annual Function of Agricultural Engineering
कृषि अभियंत्रण में शोध और बदलाव पर चर्चा
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Published : Nov 23, 2021, 5:17 PM IST

पटना: राजधानी पटना के ज्ञान भवन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (Rajendra Prasad Central Agricultural University) पूसा, बामेति पटना और आईएसइए के संयुक्त तत्वधान में कृषि अभियंत्रण का 55वां वार्षिक समारोह (Annual Function of Agricultural Engineering) आयोजन किया गया. जिसका बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Deputy Chief Minister Tarkishore Prasad) और कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Amarendra Pratap Singh) ने उद्घाटन किया. आने वाले समय में खेती और कृषि (Farming and Agriculture) की चुनौतियों को देखते हुए कृषि अभियंत्रण में शोध और बदलाव को लेकर के तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिम्पोजियम में चर्चा की जाएगी. यह सिम्पोजियम 23 से 25 नवंबर तक चलेगा. इसमें देश-विदेश के प्रख्यात विशेषज्ञ अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे.

ये भी पढ़ें- तेजस्वी ने CM नीतीश को 5W 1H में दिया जवाब, कहा- कॉपी-कलम रखकर मुझे बुलाइये... हम बताएंगे

इस दौरान उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय कृषि के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहा है. विश्वविद्यालय के सुखेत मॉडल की चर्चा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में की है. बिहार सरकार कृषि के विकास को लेकर प्रतिबध है और कृषि रोड मैप बनाकर खेती के विकास के लिए काम किया जा रहा है. कृषि रोड मैप में 12 विभाग एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

देखें वीडियो

उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में खेती के तरीके भी बदले हैं. जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और खेत सीमित हैं. ऐसे में तकनीक के आधार पर ही खेती संभव है. बिहार में छोटे-छोटे किसान हैं, इसलिए खेती के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग नहीं किया जा सकता. कृषि अभियंत्रण का 55वें वार्षिक समारोह में देश-विदेश से जो विशेषज्ञ आए हैं, वह 3 पर मंथन करेंगे की खेती में किस तरह से तकनीकी सुधार किया जा सकता है.

वहीं, पूसा विश्वविद्यालय के लेक्चरर डॉ. अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि कृषि अभियंत्रण से जुड़े देश के 23 राज्यों से वैज्ञानिक शिरकत कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में अमेरिका सहित 10 देशों से आये वैज्ञानिक अपने विचार प्रस्तुत करेंगे. उन्होंने बताया कि इस तरह का अधिवेशन हर साल होता है, 2020 में पुणे में किया गया था. कृषि अभियंत्रण के क्षेत्र में कंजर्वेशन वाटर वेटरड्रेनेज सिस्टम फार्म मैकेनाइजेशन करके किस तरह से किसानों की आमदनी दोगुनी की जाए, इस पर विशेष चर्चा किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- बिहार में गुंडा राज को बढ़ावा दे रहे सीएम नीतीश, यहां सबसे ज्यादा अराजकता: चिराग

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पटना: राजधानी पटना के ज्ञान भवन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (Rajendra Prasad Central Agricultural University) पूसा, बामेति पटना और आईएसइए के संयुक्त तत्वधान में कृषि अभियंत्रण का 55वां वार्षिक समारोह (Annual Function of Agricultural Engineering) आयोजन किया गया. जिसका बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Deputy Chief Minister Tarkishore Prasad) और कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Amarendra Pratap Singh) ने उद्घाटन किया. आने वाले समय में खेती और कृषि (Farming and Agriculture) की चुनौतियों को देखते हुए कृषि अभियंत्रण में शोध और बदलाव को लेकर के तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिम्पोजियम में चर्चा की जाएगी. यह सिम्पोजियम 23 से 25 नवंबर तक चलेगा. इसमें देश-विदेश के प्रख्यात विशेषज्ञ अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे.

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इस दौरान उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय कृषि के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहा है. विश्वविद्यालय के सुखेत मॉडल की चर्चा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में की है. बिहार सरकार कृषि के विकास को लेकर प्रतिबध है और कृषि रोड मैप बनाकर खेती के विकास के लिए काम किया जा रहा है. कृषि रोड मैप में 12 विभाग एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में खेती के तरीके भी बदले हैं. जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और खेत सीमित हैं. ऐसे में तकनीक के आधार पर ही खेती संभव है. बिहार में छोटे-छोटे किसान हैं, इसलिए खेती के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग नहीं किया जा सकता. कृषि अभियंत्रण का 55वें वार्षिक समारोह में देश-विदेश से जो विशेषज्ञ आए हैं, वह 3 पर मंथन करेंगे की खेती में किस तरह से तकनीकी सुधार किया जा सकता है.

वहीं, पूसा विश्वविद्यालय के लेक्चरर डॉ. अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि कृषि अभियंत्रण से जुड़े देश के 23 राज्यों से वैज्ञानिक शिरकत कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में अमेरिका सहित 10 देशों से आये वैज्ञानिक अपने विचार प्रस्तुत करेंगे. उन्होंने बताया कि इस तरह का अधिवेशन हर साल होता है, 2020 में पुणे में किया गया था. कृषि अभियंत्रण के क्षेत्र में कंजर्वेशन वाटर वेटरड्रेनेज सिस्टम फार्म मैकेनाइजेशन करके किस तरह से किसानों की आमदनी दोगुनी की जाए, इस पर विशेष चर्चा किया जाएगा.

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