पटना: बिहार में शहरी स्थानीय निकायों से जुड़े तीन प्रमुख संशोधन उप मुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने गुरुवार को विधानसभा में पेश किया. इस संशोधनों के जरिए तीन प्रमुख बातों को लेकर लंबे अरसे से जारी खामियां दूर करने की उम्मीद उप मुख्यमंत्री ने जताई है.
पढ़ें: बिहार के मंत्रियों के बंगले की कहानी, किसी के लिए लकी तो किसी के लिए रहा अनलकी
ग्रुप 'ग' के कर्माचारियों को दूसरे संस्थानों में ले सकते है सेवा
उप मुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा, "नगर निकाय के अंदर आने वाले समूह 'ग' के पद वाले कर्मचारियों का संवर्ग एक ही नगर निकाय में कार्य कर रहे थे. जिनका प्रतिभा का लाभ दूसरे संस्थानों नहीं ले पाते है. इन खामियों को दूर करने के लिए नगर निकायों के ग्रुप 'ग' के कर्माचारियों के लिए प्रस्ताव संशोधन लाया गया है. इस संशोधन के बाद समूह 'ग' के कर्मचारियों से दूसरे संस्थानों में सेवा ले सकते है."
नगर निकायों में नियुक्त पदाधिकारी से संबंधित
नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि " दूसरा संशोधन नगर निकायों में नियुक्त पदाधिकारी से संबंधित है. इस संशोधन के बाद राज्य सरकार द्वारा नगर निकायों में नियुक्त पदाधिकारी को सशक्त स्थाई समिति के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा गया है. जिसमें नियुक्त पदाधिकारी को 1 साल के बाद नगर निकायों के पद धारकों की कुल संख्या के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर हटाने का प्रावधान भी है. इस प्रावधान की वजह से वहां पदस्थापित पदाधिकारी निष्पक्ष रुप से काम नहीं कर पाते थे, इसलिए दूसरा संशोधन बिल लाया गया."
संशोधन से होगी खामियां दूर
उन्होंने बताया कि "इस कठिनाई को दूर करने के लिए अधिनियम की वर्तमान धारा 41 को प्रावधान को संशोधित किए जाने का प्रस्ताव दिया गया है. यही नहीं बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 53 के वर्तमान प्रधान में नगर पालिका के संविदा में आर्थिक हित रखने वाला पार्षद को इससे संबंधित किसी समिति की बैठक में शामिल होने से मना किया गया है. इसके बावजूद उनके परिवार के किसी सदस्य का आर्थिक होने के बाद भी वे बैठक में भाग लेते हैं. इसे रोकने के लिए अधिनियम के वर्तमान धारा 53 को संशोधित किए जाने का प्रस्ताव किया गया है."
पढ़ें: पटना में किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन, बिहार में एमएसपी एक्ट लागू करने की मांग
तीसरा संशोधन प्रस्ताव अतिक्रमण से संबंधित
वहीं, तीसरा प्रस्ताव नगर निकाय क्षेत्र में अतिक्रमण की रोकथाम के संबंध में है. अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निकायों को संबंधित जिला के जिला प्रशासन पर आश्रित रहना होता है. जिससे कारण अतिक्रमण मुक्त करने में काफी कठिनाई होती है. इसके अलावा अतिक्रमण पर दंड की राशि अधिकतम1 हजार रुपये है. इसे संशोधित करते हुए दंड की राशि बढ़ाकर 20 हजार रुपए करने का प्रावधान नए प्रस्ताव में किया गया है.