पटना: बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में पिछले 3 दशक से लालू परिवार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन इन दिनों आरजेडी और लालू परिवार में विवाद चरम पर है. इसकी बिहार में चर्चा भी खूब हो रही है. तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है. उनकी 'बगावत' ने भले ही परिवार और पार्टी की चिंता बढ़ा दी है, लेकिन सच ये भी है कि फिलहाल वे बिल्कुल अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं.
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दरअसल बड़े बेटे होने के बावजूद तेजप्रताप यादव की अब तक आरजेडी में कोई बड़ी भूमिका नहीं रही है. छात्र राजनीति को देखते रहे हैं, लेकिन उसमें भी अब उनके नजदीकी आकाश यादव को हटाकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उनको उनकी 'औकात' बता दी है.
आलम ये है कि फिलहाल तेज प्रताप यादव के साथ न तो तेजस्वी यादव दिख रहे हैं और ना ही परिवार का कोई सदस्य साथ खड़ा है. पार्टी में भी उनके सपोर्ट में कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है. एक तरह से तेज प्रताप अलग-थलग दिख रहे हैं. अपने हक के लिए तेज प्रताप यादव ने मोर्चा खोल रखा है.
वैसे तो तेज प्रताप यादव हमेशा किसी ना किसी कारणों से विवादों में रहे हैं, लेकिन अब नया विवाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदानंद सिंह और तेजस्वी के नजदीकी संजय यादव से शुरू हुआ है. तेज प्रताप यादव पार्टी में अपनी मजबूत भागीदारी चाहते हैं और इसलिए जगदानंद सिंह पर कई तरह के आरोप भी लगा रहे हैं, क्योंकि जगदानंद सिंह उनके मन के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं.
तेजस्वी यादव को जिस प्रकार से पार्टी में सम्मान मिल रहा है. वे चाहते हैं कि उन्हें भी सम्मान मिले और इसलिए तेजस्वी पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है. तेजस्वी के नजदीकी संजय यादव पर कई तरह के गंभीर आरोप भी लगा रहे हैं.
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फिलहाल तेज प्रताप यादव के साथ न तो परिवार का कोई सदस्य समर्थन में दिख रहा है और ना ही पार्टी का कोई नेता साथ खड़ा दिख रहा है. पहले जब भी विवाद होते रहे हैं, परिवार का कोई न कोई सदस्य तेज प्रताप यादव के पक्ष में खड़ा होता दिखता रहा है. वैसे दोनों भाई अब दिल्ली पहुंच चुके हैं और लालू दरबार में मामला सलटाने की कोशिश हो रही है, लेकिन उससे पहले तेज प्रताप यादव ने ट्वीट कर चेतावनी भी दे दी है.
लालू परिवार में बढ़ते विवाद को लेकर सत्ता पक्ष के नेताओं को हमला करने का मौका मिल गया है. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है लालू प्रसाद यादव एक ही म्यान में दो तलवार रखना चाहते हैं.
विनोद शर्मा कहते हैं कि तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों को सत्ता सुख का पता चल चुका है. इसलिए दोनों की अपनी-अपनी दावेदारी है और यह विवाद अब समाप्त नहीं होने वाला है.
उधर जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है के तेजू भैया को डिमोरलाइज करने की कोशिश हो रही है. उनकी सुरक्षा में भी सेंध लगाई जा रही है. दोनों भाई एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं. तेज प्रताप दुर्योधन का उदाहरण दे रहे हैं और महाभारत की कहानी बता रहे हैं, लेकिन बिहार की जनता राहत की सांस ले रही होगी कि इन दोनों के चक्कर में नहीं पड़ी.
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तेजप्रताप की बगावत के बाद क्या उन पर लालू कार्रवाई कर सकते हैं? वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि तेज प्रताप को परिवार या पार्टी में साइड करना आसान नहीं है. वे लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे हैं. तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष हैं और इसलिए कुर्सी उनके पास है तो स्वाभाविक है कि पार्टी के नेता उनके खिलाफ नहीं बोल सकते हैं, लेकिन पहले भी डैमेज कंट्रोल हो चुका है और मामला लालू के पास है, इसलिए इस बार भी मामले को सुलझा लिया जाएगा.
बिहार में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी ही है और इसलिए सत्तापक्ष को खटकता भी रहता है. लालू परिवार में जिस प्रकार से विवाद बढ़ रहा है. कहीं ना कहीं सत्तापक्ष को लगता है कि उसका लाभ उसे मिलेगा, यदि राजद में कोई बड़ा उलटफेर होता है तब. यही वजह है कि सत्ता पक्ष के नेता लगातार कटाक्ष कर रहे हैं चुटकी ले रहे हैं. वैसे लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी पहले भी परिवारिक विवाद को सलटाने में कामयाब रहे हैं. पार्टी नेताओं को और राजनीतिक विशेषज्ञों को भी यह लगता है कि इस बार भी विवाद सलट जाएगा.